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म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स कैसे लगेगा? पूरी डिटेल

जब आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं और उससे मुनाफ़ा कमाते हैं, तो उस पर टैक्स देना होता है आइए इसे पूरे विस्तार से समझें

म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स कैसे लगेगा? जानें पूरी डिटेल

म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने वाले हर व्यक्ति को समझना ज़रूरी है कि उनके रिटर्न पर टैक्स कैसे लगेगा. टैक्सेशन का नियम मुख्य रूप से फ़ंड के प्रकार और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है. इस लेख में हम इक्विटी, डेट, हाइब्रिड फ़ंड, SIP, SWP और डिविडेंड पर टैक्स की पूरी जानकारी देंगे.

म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स कैसे लगता है? आसान भाषा में पूरी जानकारी

जब भी आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं और उसे बेचकर लाभ कमाते हैं, तो उस लाभ (Capital Gain) पर टैक्स देना होता है. यह टैक्स दो बातों पर निर्भर करता है:

  1. फ़ंड का प्रकार - यानी, आपने इक्विटी फ़ंड (शेयर बाज़ार आधारित) में निवेश किया है या डेट फ़ंड (बॉन्ड आधारित).
  2. निवेश की अवधि - यानि, आपने कितने समय के लिए निवेश रखा .

इसी आधार पर दो तरह के टैक्स लगते हैं:

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG)

जब आप म्यूचुअल फ़ंड को कम अवधि (Short Term) के लिए रखते हैं और फिर बेचते हैं, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगता है.

इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में STCG

  • अगर आप इक्विटी फ़ंड (Equity Mutual Fund) की यूनिट्स को 1 साल से पहले बेचते हैं , तो जो भी लाभ होगा, उस पर 20% टैक्स लगेगा.
    • उदाहरण:
    • आपने जनवरी 2023 में किसी इक्विटी फ़ंड में ₹1 लाख लगाए और जुलाई 2023 में उसे ₹1.20 लाख में बेच दिया.
    • आपका लाभ ₹20,000 हुआ.
    • इस पर 20% टैक्स लगेगा , यानी ₹4,000 का टैक्स देना होगा.

डेट म्यूचुअल फ़ंड में STCG

  • अगर आप डेट फ़ंड (Debt Mutual Fund) की यूनिट्स को 3 साल से पहले बेचते हैं , तो फ़ायदे पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा.
  • इसका मतलब यह है कि अगर आप 30% टैक्स स्लैब में आते हैं , तो आपको 30% टैक्स देना होगा.
    • उदाहरण:
    • आपने फ़रवरी 2023 में किसी डेट फ़ंड में ₹1 लाख लगाए और सितंबर 2024 में इसे ₹1.15 लाख में बेच दिया.
    • आपका लाभ ₹15,000 हुआ.
    • अगर आपकी इनकम टैक्स स्लैब 20% है, तो आपको ₹3,000 टैक्स देना होगा.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG)

अगर आप म्यूचुअल फ़ंड को लंबी अवधि (Long Term) के लिए रखते हैं , तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लागू होता है.

इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में LTCG

  • अगर आप 1 साल से ज़्यादा होल्ड करते हैं , तो ₹ 1.25 लाख तक का लाभ टैक्स-फ़्री होता है.
  • 1.25 लाख से ज़्यादा के लाभ पर 12.50% LTCG टैक्स लगता है.
  • उदाहरण:
    • आपने मार्च 2022 में किसी इक्विटी फ़ंड में ₹5 लाख लगाए और अप्रैल 2024 में इसे ₹7 लाख में बेच दिया.
    • आपका कुल लाभ ₹2 लाख हुआ.
    • पहले ₹1.25 लाख टैक्स-फ़्री होगा , और बाकी ₹75,000 लाख पर 12.50% LTCG टैक्स लगेगा .
    • यानी, आपको ₹9,375 टैक्स देना होगा.

डेट म्यूचुअल फ़ंड में LTCG (नया नियम)

1 अप्रैल 2023 से पहले, डेट फ़ंड पर 3 साल से ज्यादा होल्ड करने पर 20% टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ लगता था. लेकिन अब ये नियम बदल गया है.

  • अब LTCG टैक्स पूरी तरह हटा दिया गया है.
  • अब डेट फ़ंड पर मिलने वाला लाभ आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होगा.

नए नियम का असर समझें:

  • पहले डेट फ़ंड में 3 साल से ज्यादा निवेश करने पर टैक्स कम लगता था , क्योंकि इंडेक्सेशन के कारण महंगाई (Inflation) को एडजस्ट किया जाता था.
  • अब डेट फ़ंड को FD (Fixed Deposit) की तरह टैक्सेबल कर दिया गया है.
  • इसका मतलब है कि अगर आप 30% टैक्स स्लैब में हैं, तो आपका पूरा लाभ 30% टैक्स के दायरे में आएगा.

उदाहरण:

  • आपने 1 अप्रैल 2023 को ₹10 लाख का निवेश डेट फ़ंड में किया और 5 साल बाद ₹14 लाख में बेचा.
  • आपका लाभ ₹4 लाख हुआ.
  • पहले इंडेक्सेशन बेनिफ़िट के कारण ये लाभ कम माना जाता और 20% टैक्स देना पड़ता.
  • अब पूरा ₹4 लाख आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
  • अगर आप 30% स्लैब में आते हैं, तो ₹1.2 लाख टैक्स देना होगा.

निष्कर्ष

  • तो, इक्विटी फ़ंड में 1 साल से पहले बेचे गए निवेश पर 20% STCG टैक्स लगता है.
  • इक्विटी फ़ंड में 1 साल से ज्यादा होल्ड करने पर ₹1.25 लाख तक का लाभ टैक्स-फ़्री होता है, और 1.25 लाख से अधिक पर 12.5% LTCG टैक्स देना होता है.
  • डेट फ़ंड में 3 साल से पहले बेचे गए निवेश पर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होता है.
  • 1 अप्रैल 2023 के बाद, डेट फ़ंड पर LTCG टैक्स खत्म कर दिया गया है, और अब ये आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होगा.
  • डेट फ़ंड अब फ़िक्स्ड डिपॉजिट की तरह टैक्सेबल हो गए हैं, जिससे लंबी अवधि के निवेशकों को पहले के मुकाबले अधिक टैक्स देना पड़ सकता है.

अगर आप टैक्स कम करना चाहते हैं , तो इक्विटी फ़ंड को 1 साल से ज्यादा होल्ड कर सकते हैं और डेट फ़ंड में निवेश से पहले इनकम टैक्स स्लैब का ध्यान रखें.

ये भी पढ़िए- डीमैट अकाउंट क्या होता है?

इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स

इक्विटी फ़ंड वे होते हैं जो 65% या उससे अधिक का निवेश शेयर बाज़ार में करते हैं .

होल्डिंग पीरियड कैपिटल गेन टैक्स रेट
1 साल से कम शॉर्ट टर्म गेन 20%
1 साल से ज्यादा लॉन्ग टर्म गेन (1.25 लाख तक) टैक्स फ्री
1 साल से ज्यादा लॉन्ग टर्म गेन (12.5 लाख से अधिक) 12.5%

डेट म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स

डेट फ़ंड वे होते हैं जो मुख्य रूप से बॉन्ड्स और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं .

होल्डिंग पीरियड कैपिटल गेन टैक्स रेट
3 साल से कम शॉर्ट टर्म गेन इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार
3 साल से ज्यादा लॉन्ग टर्म गेन इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार (20% इंडेक्सेशन हटा दिया गया)

डेट फ़ंड पर पहले 20% LTCG टैक्स इंडेक्सेशन के साथ लागू होता था, लेकिन अब ये सुविधा हटा दी गई है.

SIP पर टैक्स कैसे लगेगा? आसान भाषा में पूरी जानकारी

SIP (Systematic Investment Plan) म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने का एक तरीक़ा है, जिसमें आप हर महीने या किसी तय समय अंतराल पर एक निश्चित रक़म निवेश करते हैं. लेकिन जब आप SIP के जरिए ख़रीदी गई यूनिट्स को बेचते हैं, तो उन पर लंप सम (एकमुश्त) निवेश की तरह ही टैक्स लगता है .

SIP में टैक्सेशन कैसे काम करता है?

SIP में हर निवेश की एक अलग तारीख़ होती है, इसलिए टैक्स भी उसी के हिसाब से लगेगा. इसे समझने के लिए दो मुख्य बातें याद रखें:

  1. हर SIP की ख़रीदारी की अलग-अलग तारीख़ होती हैं और जब आप यूनिट्स बेचते हैं, तो ये देखा जाता है कि वे यूनिट्स कितने समय के लिए होल्ड की गई थीं.
  2. SIP से होने वाले लाभ पर इक्विटी फ़ंड और डेट फ़ंड के अनुसार शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स लगेगा.

इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में SIP का टैक्स

a) शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

  • अगर SIP की कोई भी किश्त (installment) 1 साल से पहले बेची जाती है , तो उस पर 20% का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगेगा.
  • उदाहरण:
    • आपने जनवरी 2023 से हर महीने ₹5,000 की SIP शुरू की .
    • आपने दिसंबर 2023 में कुछ यूनिट्स बेच दीं .
    • जनवरी 2023 से जून 2023 तक की SIP किश्तें 1 साल से कम पुरानी हैं , तो उन पर 20% STCG टैक्स लगेगा.
    • लेकिन जुलाई 2022 से पहले की SIP यूनिट्स 1 साल पुरानी हो चुकी हैं , तो उन पर LTCG लगेगा.

b) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)

  • अगर SIP की यूनिट्स 1 साल से अधिक पुरानी हैं , तो उन पर ₹ 1.25 लाख तक का लाभ टैक्स-फ़्री रहेगा .
  • ₹1.25 लाख से अधिक के लाभ पर 12.50% LTCG टैक्स लगेगा .
  • उदाहरण:
    • आपने जनवरी 2022 से हर महीने ₹5,000 की SIP की .
    • जनवरी 2024 में आपने कुछ यूनिट्स बेच दीं .
    • चूंकि यह निवेश 1 साल से अधिक पुराना है , तो इस पर LTCG टैक्स लगेगा.
    • अगर कुल लाभ ₹1.25 लाख से कम है, तो कोई टैक्स नहीं लगेगा.
    • अगर लाभ ₹1.5 लाख हुआ, तो ₹25,000 पर 12.50% LTCG टैक्स (₹3,125) देना होगा.

डेट म्यूचुअल फ़ंड में SIP पर टैक्स

डेट म्यूचुअल फ़ंड में टैक्स नियम अलग होते हैं.

a) शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

  • अगर SIP की यूनिट्स 3 साल से पहले बेची जाती हैं , तो उन पर आपका इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा.
  • उदाहरण:
    • आप 30% टैक्स स्लैब में आते हैं .
    • आपने 2 साल तक SIP की और उसे बेच दिया .
    • अब आपका लाभ ₹50,000 हुआ, तो इस पर 30% टैक्स लगेगा यानी ₹15,000 टैक्स देना होगा.

b) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) - नया नियम

  • पहले, 3 साल से ज्यादा निवेश पर 20% LTCG टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ लगता था .
  • अब (1 अप्रैल 2023 के बाद), यह टैक्स हटा दिया गया है और अब लाभ आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होगा .

SIP टैक्सेशन को आसान भाषा में समझें

  • SIP में हर महीने किए गए निवेश की अलग-अलग ख़रीदारी तारीख़ होती है.
  • जब भी आप यूनिट्स बेचते हैं, तो हर SIP किश्त पर अलग से LTCG या STCG का हिसाब लगाया जाता है.
  • इक्विटी फ़ंड में 1 साल बाद बेचने पर ₹1.25 लाख तक का लाभ टैक्स-फ़्री रहता है, जबकि उससे अधिक पर 12.50% LTCG टैक्स लगता है.
  • डेट फ़ंड में अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं, बल्कि इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा .

ये भी पढ़िए- पैसा कहां निवेश करें? आपकी ज़रूरत के मुताबिक़ सबसे बेहतर निवेश

निष्कर्ष

  • अगर SIP की यूनिट्स 1 साल से पहले बेचते हैं, तो 20% STCG टैक्स लगेगा.
  • अगर 1 साल बाद बेचते हैं, तो ₹1.25 लाख तक का लाभ टैक्स-फ़्री होगा और उसके बाद 10% LTCG टैक्स लगेगा.
  • डेट फ़ंड में 3 साल से पहले बेचने पर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा.
  • 1 अप्रैल 2023 के बाद, डेट फ़ंड पर LTCG टैक्स की छूट खत्म हो गई है.

अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं, तो SIP के जरिए निवेश किए गए यूनिट्स को कम से कम 1 साल (इक्विटी फ़ंड) और 3 साल (डेट फ़ंड) तक होल्ड करें.

डिविडेंड पर टैक्स (Dividend Taxation)

डिविडेंड पर लगने वाले टैक्स नियमों में 2020 से बड़ा बदलाव हुआ है. पहले, म्यूचुअल फ़ंड से मिलने वाला डिविडेंड निवेशकों के लिए पूरी तरह टैक्स-फ़्री होता था क्योंकि उस पर पहले ही डीडीटी (Dividend Distribution Tax) लगाया जाता था. यानी, म्यूचुअल फ़ंड कंपनियां अपने निवेशकों को डिविडेंड देने से पहले ही सरकार को टैक्स चुका देती थीं. लेकिन 2020 के बजट के बाद, यह सिस्टम बदल गया और अब डिविडेंड निवेशक की इनकम में जुड़कर उनकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल हो गया है .

इसका मतलब है कि अगर आपकी कुल आय 30% टैक्स स्लैब में आती है, तो डिविडेंड पर भी 30% टैक्स लगेगा , जबकि 20% या 10% वाले स्लैब में कम टैक्स देना होगा. इसके अलावा, अगर किसी निवेशक को एक वित्त वर्ष में ₹5000 से अधिक का डिविडेंड मिलता है, तो उस पर पहले से ही 10% का TDS (Tax Deducted at Source) काट लिया जाता है.

हालांकि, अगर निवेशक की टैक्स योग्य आय कम है, तो वह फॉर्म 15G/15H जमा करके TDS कटौती से बच सकते हैं . इस बदलाव का असर यह हुआ है कि अब निवेशकों के लिए ग्रोथ ऑप्शन को चुनना अधिक फ़ायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें डिविडेंड पर हर साल टैक्स नहीं देना पड़ता, बल्कि लाभ कैपिटल गेन के रूप में मिलता है, जिस पर LTCG या STCG के नियम लागू होते हैं.

हाइब्रिड म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स

हाइब्रिड म्यूचुअल फ़ंड ऐसे फ़ंड होते हैं जो इक्विटी (शेयर) और डेट (बॉन्ड) दोनों में निवेश करते हैं . इन फ़ंड्स की टैक्सेशन इस बात पर निर्भर करती है कि उनमें इक्विटी का अनुपात कितना है . अगर किसी हाइब्रिड फ़ंड का 65% या उससे अधिक हिस्सा इक्विटी में निवेश किया गया है , तो उसे इक्विटी फ़ंड की तरह टैक्सेबल माना जाएगा और उस पर STCG (1 साल से कम होल्डिंग पर 15%) और LTCG (1 साल से ज्यादा होल्डिंग पर 1 लाख तक टैक्स-फ़्री, उसके बाद 10%) लागू होगा.

वहीं, अगर इक्विटी एक्सपोजर 65% से कम है , तो इसे डेट फ़ंड की तरह टैक्सेबल माना जाएगा और इस पर अब इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा . इसलिए, हाइब्रिड फ़ंड चुनते समय उसके इक्विटी अनुपात को समझना जरूरी है, ताकि आप टैक्स इंपैक्ट का सही अनुमान लगा सकें.

हाइब्रिड फ़ंड की टैक्सेशन इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें इक्विटी का अनुपात कितना है:

इक्विटी एक्सपोजर टैक्स नियम
65% या अधिक इक्विटी फ़ंड की तरह
65% से कम डेट फ़ंड की तरह

ये भी पढ़िए- निवेश बनाम ट्रेडिंग: सही मायनों में वैल्थ किससे बनेगी?

SWP (Systematic Withdrawal Plan) पर टैक्स

SWP के तहत हर निकासी पर LTCG या STCG लागू होगा .

  • इक्विटी फ़ंड में SWP करने पर 1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स फ़्री रहेगा .
  • डेट फ़ंड में SWP पर अब इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा.

SWP (Systematic Withdrawal Plan) एक तरीक़ा है जिससे आप म्यूचुअल फ़ंड से नियमित अंतराल पर पैसे निकाल सकते हैं , ठीक वैसे ही जैसे पेंशन या मासिक आय मिलती है. लेकिन हर बार जब आप SWP के जरिए निकासी करते हैं, तो यह आपके निवेश से यूनिट्स बेचकर किया जाता है , इसलिए इस पर कैपिटल गेन टैक्स (LTCG या STCG) लागू होता है .

यदि आप इक्विटी फ़ंड में SWP कर रहे हैं और यूनिट्स 1 साल से अधिक पुरानी हैं , तो 1.25 लाख रुपये तक का लाभ टैक्स-फ़्री रहेगा , जबकि उससे अधिक पर 12.5% LTCG टैक्स लगेगा. लेकिन अगर निकाली गई यूनिट्स 1 साल से कम पुरानी हैं , तो उन पर 20% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स लगेगा .

दूसरी ओर, डेट फ़ंड में SWP करने पर अब LTCG टैक्स का लाभ नहीं मिलता , और इस पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा . इसलिए, टैक्स बचाने के लिए SWP शुरू करने से पहले इक्विटी फ़ंड को 1 साल और डेट फ़ंड को 3 साल तक होल्ड करना फायदेमंद हो सकता है .

टैक्स बचाने के तरीक़े

अगर आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करके टैक्स बचाना चाहते हैं, तो इन तरीक़ों को आज़मा सकते हैं:

  1. ELSS (Equity Linked Savings Scheme)
    • इसमें 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है.
    • 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है.
    • LTCG टैक्स नियम समान रहते हैं.
  2. लॉन्ग टर्म निवेश करें
    • इक्विटी फ़ंड में 1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स फ़्री होता है.
    • SIP को 1 साल से ज्यादा होल्ड करें ताकि STCG से बचा जा सके.
  3. ग्रोथ ऑप्शन चुनें
    • डिविडेंड पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है, इसलिए ग्रोथ ऑप्शन बेहतर हो सकता है.

म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स नियमों को समझना जरूरी है ताकि आप सही निवेश रणनीति बना सकें . इक्विटी फ़ंड पर 1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स-फ़्री है, जबकि डेट फ़ंड की टैक्सेशन में बदलाव आया है . SIP और SWP के टैक्स नियमों को समझकर आप कम टैक्स देकर अधिक रिटर्न पा सकते हैं .

क्या आपके पोर्टफ़ोलियो के टैक्सेशन को लेकर कोई सवाल हैं? हमें धनक से पूछें सेक्शन में जा कर लिखें, हमारी कोशिश होगी कि हम आपको जवाब दें या ऐसी स्टोरी या वीडियो आपसे शेयर करें जो आपके सवालों का सही जवाब दे !

ये भी पढ़िए- जिम ट्रेनर ने एक युवा को फ़िटनेस के साथ निवेश की क्या सीख दी?

म्यूचुअल फ़ंड टैक्स से जुड़े 5 सबसे आम सवाल (FAQ)

1. म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने पर टैक्स क्यों देना पड़ता है?

जब आप म्यूचुअल फ़ंड से पैसा निकालते हैं और उस पर लाभ (Capital Gain) कमाते हैं, तो सरकार इसे आपकी आय का हिस्सा मानती है और इस पर टैक्स लागू करती है. यह टैक्स फ़ंड के प्रकार (इक्विटी या डेट) और निवेश की अवधि (शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म) पर निर्भर करता है.

2. क्या म्यूचुअल फ़ंड पर टैक्स बचाने का कोई तरीका है?

हाँ, अगर आप इक्विटी फ़ंड को 1 साल से ज्यादा होल्ड करते हैं , तो ₹ 1.25 लाख तक के लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता . टैक्स बचाने के लिए ELSS (टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फ़ंड) में निवेश कर सकते हैं , जिससे आपको धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है .

3. क्या SIP से होने वाले लाभ पर भी टैक्स देना पड़ता है?

हाँ, SIP में हर महीने की निवेश राशि को अलग-अलग तारीख का निवेश माना जाता है . जब आप यूनिट्स बेचते हैं, तो हर किस्त के हिसाब से STCG (20% - 1 साल से पहले) या LTCG (12.5% - 1.25 लाख तक टैक्स फ़्री, 1 साल बाद) लागू होता है.

4. डेट म्यूचुअल फ़ंड में टैक्सेशन का नया नियम क्या है?

पहले डेट फ़ंड पर 3 साल से ज्यादा निवेश करने पर 20% LTCG टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफ़िट के साथ लगता था , लेकिन 1 अप्रैल 2023 के बाद यह सुविधा हटा दी गई है. अब डेट फ़ंड से होने वाले लाभ पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा , ठीक वैसे ही जैसे फ़िक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर लगता है.

5. डिविडेंड पर टैक्स कैसे लगता है?

पहले डिविडेंड टैक्स-फ़्री था , लेकिन अब इसे आपकी आय में जोड़ दिया जाता है और आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है . अगर आपको एक वित्त वर्ष में ₹5000 से ज्यादा डिविडेंड मिलता है, तो 10% TDS भी काट लिया जाता है . टैक्स बचाने के लिए ग्रोथ ऑप्शन चुनना बेहतर हो सकता है .

ये भी पढ़िए- डायरेक्ट म्यूचुअल फ़ंड क्या होते हैं?

ये लेख पहली बार मार्च 04, 2025 को पब्लिश हुआ.

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