टाटा ग्रुप की वित्तीय सेवाओं की शाखा टाटा कैपिटल जल्द ही शेयर बाज़ार में अपने सफ़र की शुरुआत करने जा रही है. 25 फ़रवरी, 2025 को कंपनी के बोर्ड ने IPO लाने की योजना को मंज़ूरी दे दी. इससे पहले, नवंबर 2023 में टाटा टेक्नोलॉजीज़ की जबरदस्त लिस्टिंग हुई थी, जो दो दशकों में टाटा ग्रुप का पहला IPO था. अब, टाटा कैपिटल का IPO ग्रुप के निवेशकों के लिए एक और बड़ा अवसर साबित हो सकता है. अनुमान है कि यह इश्यू सितंबर 2025 तक लॉन्च हो सकता है.
IPO से पहले, टाटा कैपिटल ने अपने मौजूदा शेयरधारकों के लिए ₹1,504 करोड़ के राइट्स इश्यू को मंज़ूरी दी है, जिससे कंपनी अपने फंडिंग स्ट्रक्चर को मज़बूत करने की कोशिश कर रही है.
टाटा इन्वेस्टमेंट के शेयर में दमदार उछाल
इस ख़बर का शेयर बाज़ार में तुरंत असर देखने को मिला. टाटा इन्वेस्टमेंट के शेयर ने NSE पर इंट्रा डे में लगभग 10% की तेज़ी दिखाई और ₹6,344 के स्तर पर पहुंच गए. हालांकि, ये अब भी अपने 52-वीक हाई ₹9,757 से नीचे बना हुआ है.
IPO का आकार और संरचना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा कैपिटल के पब्लिक इश्यू में दो मुख्य कम्पोनेंट होंगे:
ऑफ़र फॉर सेल (OFS): जिसमें मौजूदा शेयरहोल्डर्स अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं.
नए इश्यू: जिसमें 23 करोड़ शेयर जारी किए जाएंगे.
वर्तमान में, टाटा सन्स के पास टाटा कैपिटल में 93% हिस्सेदारी है, और लिस्टिंग के बाद भी ये प्रमुख स्टेकहोल्डर बना रहेगा.
टाटा कैपिटल क्या करती है?
टाटा कैपिटल टाटा ग्रुप की फ़ाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख होल्डिंग कंपनी है, जो विभिन्न प्रकार के बिज़नस सेक्टर्स में काम करती है. इसके तहत कई सब्सिडियरी कंपनियां आती हैं, जैसे:
- टाटा कैपिटल फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ - कंज़्यूमर और कॉर्पोरेट लेंडिंग
- टाटा कैपिटल हाउसिंग फ़ाइनेंस - होम लोन और रियल एस्टेट फाइनेंसिंग
- टाटा क्लीनटेक कैपिटल - ग्रीन एनर्जी और सस्टेनेबल फ़ाइनेंसिंग
- टाटा सिक्योरिटीज़ - इन्वेस्टमेंट और एडवाइजरी बिज़नस
- टाटा कैपिटल सिंगापुर - इंटरनेशनल फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़
IPO क्यों लाया जा रहा है?
टाटा कैपिटल का ये IPO सिर्फ़ ग्रुप की रणनीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि RBI के रेग्युलेटरी दिशा-निर्देशों के तहत भी ज़रूरी हो गया था.
- सितंबर 2022 में, RBI ने टाटा कैपिटल फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ को "अपर लेयर" NBFC के रूप में वर्गीकृत किया था.
- नियमानुसार, इस कैटेगरी की कंपनियों को तीन साल के भीतर यानि सितंबर 2025 तक शेयर बाज़ार में लिस्ट होना ज़रूरी है.
- इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए, जनवरी 2024 में टाटा कैपिटल फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ का टाटा कैपिटल में विलय कर दिया गया था.
टाटा कैपिटल का AUM
टाटा कैपिटल की फ़ाइनेंशियल स्थिति पर एक नज़र डालें तो क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़:
- 31 मार्च, 2024 तक, कंपनी के पास ₹1,58,479 करोड़ का AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) था.
- टाटा सन्स के पास 92.83% इक्विटी हिस्सेदारी थी, जबकि बाक़ी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों और ट्रस्टों के पास थी.
- पिछले पांच फ़ाइनेंशियल ईयर में, टाटा सन्स ने टाटा कैपिटल में ₹6,097 करोड़ की पूंजी डाली है, जिससे ग्रुप की NBFC कारोबार में गंभीर दिलचस्पी का संकेत मिलता है.
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टाटा ग्रुप की IPO हिस्ट्री और संभावनाएं
अगर अतीत पर नज़र डालें, तो टाटा ग्रुप से जुड़ी कंपनियों के IPO बेहद सफल साबित हुए हैं.
- टाटा टेक्नोलॉजीज़ (नवंबर 2023) - ज़बरदस्त ओवरसब्सक्रिप्शन और दमदार लिस्टिंग.
- TCS IPO (2004) - भारतीय बाज़ार के सबसे सफल IPO में से एक, जिसने निवेशकों को लंबी अवधि में शानदार रिटर्न दिया.
अब, टाटा कैपिटल का IPO इसी सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. मार्केट एनेलिस्ट्स को उम्मीद है कि ख़ासकर टाटा ग्रुप की फ़ाइनेंशियल ताक़त और ट्रस्ट फ़ैक्टर को देखते हुए ये इश्यू निवेशकों के लिए मज़बूत संभावनाएं पेश कर सकता है.
क्या निवेशकों के लिए सही समय है?
टाटा कैपिटल का ये IPO, टाटा ग्रुप की फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ में मज़बूत पकड़ का संकेत देता है.
- RBI के सख्त रेगुलेशन्स के कारण ये लिस्टिंग अनिवार्य है, जिससे कंपनी का गवर्नेंस और ट्रांसपरेंसी बढ़ेगी.
- AUM और टाटा ग्रुप की मज़बूत बैलेंस शीट, इसे निवेश के लिए आकर्षक बना सकती है.
- हाल में टाटा इन्वेस्टमेंट के शेयरों में उछाल से निवेशकों के बढ़ते भरोसे का पता चलता है.
हालांकि, NBFC सेक्टर में RBI की रेगुलेटरी पॉलिसीज़, लोन बुक क्वालिटी और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव को भी ध्यान में रखना होगा.
निष्कर्ष
टाटा कैपिटल का IPO भारत के फ़ाइनेंशियल सेक्टर में एक बड़ा घटनाक्रम है. ये टाटा ग्रुप के निवेशकों के लिए एक बड़ा मौक़ा साबित हो सकता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो मज़बूत ब्रांड वैल्यू और स्थिर ग्रोथ वाले स्टॉक्स में निवेश करना चाहते हैं.
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