भारत में क़रीब 55% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. हालांकि, प्राकृतिक आपदाएं जैसे सूखा, बाढ़, ओला, चक्रवात और दूसरी मौसम संबंधी अनिश्चितताएं किसानों के लिए भारी नुक़सान का कारण बनती हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों को उनकी फसल क्षति से बचाने और वित्तीय स्थिरता देने के लिए शुरू की गई थी.
ये योजना 13 जनवरी 2016 को शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य किफ़ायती प्रीमियम दरों पर किसानों को व्यापक फसल बीमा देना है.
PMFBY स्कीम के फ़ायदे
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किफ़ायती बीमा:
सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने के कारण किसानों को प्रीमियम पर वित्तीय भार कम पड़ता है.
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व्यापक कवरेज:
प्राकृतिक आपदाओं, कीड़ों का संक्रमण और दूसरे खेती के रिस्क से फसल को सुरक्षा.
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तेज़ी से मुआवज़ा:
बीमा कंपनियां तय समय सीमा में दावा निपटान करती हैं.
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डिजिटल आवेदन और ट्रैकिंग:
किसान ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए आवेदन कर सकते हैं और अपने बीमे की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं.
- समय पर वित्तीय सहायता: फसल क्षति के मामलों में किसानों को समय पर वित्तीय सहायता मिलती है.
PMFBY के तहत कवर रिस्क का कवरेज
1. उपज हानि (खड़ी फसलें):
सरकार उन उपज हानियों के लिए बीमा कवरेज देती है जो रोके न जा सकने वाले रिस्क के तहत आती हैं, जैसे:
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प्राकृतिक आग और बिजली गिरना
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तूफान, ओलावृष्टि, बवंडर आदि
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बाढ़, जलभराव और भूस्खलन
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कीट/रोग आदि
- सूखा इत्यादि
2. रोपाई या बुवाई में बाधा:
ऐसे मामलों में जहां अधिसूचित क्षेत्र के अधिकांश बीमित किसान फसल बोना या रोपना चाहते हैं, लेकिन प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण ऐसा करने में असमर्थ होते हैं, उन्हें वहन किए गए ख़र्चों के लिए बीमित राशि के अधिकतम 25% तक का दावा करने का अधिकार होगा.
3. कटाई के बाद की हानि:
सरकार कटाई के बाद होने वाली फसल हानि के लिए व्यक्तिगत किसान स्तर पर बीमा कवरेज देती है. कटाई के बाद, "कट और फैलाई गई" स्थिति में संग्रहीत फसलों को अधिकतम 14 दिनों तक कवरेज मिलता है. इसका मतलब है कि सरकार उन किसानों को सुरक्षा देती है, जिन्होंने फसल को धूप में सूखने के लिए खेत में रखा हो, लेकिन चक्रवात या चक्रवाती बारिश के कारण उनकी फसल नष्ट हो गई हो.
4. स्थानीय आपदाएं:
सरकार स्थानीय स्तर पर होने वाली आपदाओं के लिए व्यक्तिगत किसान स्तर पर बीमा कवरेज देती है. ओले गिरना, भूस्खलन और जलभराव जैसी स्थानीय आपदाओं के कारण अलग-अलग खेतों को हुए नुक़सान को इस कवरेज में शामिल किया गया है.
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कौन-कौन से किसान PMFBY का का फ़ायदा ले सकते हैं?
पात्रता (Eligibility)
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अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले सभी किसान, जिनमें बटाईदार किसान और साझेदार किसान शामिल हैं.
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किसानों को बीमित फसलों में एक वैध बीमित हित (Insurable Interest) होना ज़रूरी है.
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किसानों के पास वैध और प्रमाणित भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र या वैध भूमि पट्टा समझौता होना चाहिए.
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किसान को बीमित भूमि पर स्वयं खेती करने वाला या साझेदार किसान होना ज़रूरी है.
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किसान को बीमा कवरेज के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर आवेदन करना होगा, जो आमतौर पर बुवाई के मौसम की शुरुआत के दो सप्ताह के भीतर होता है.
- किसान को उसी फसल हानि के लिए किसी दूसरे माध्यम या स्रोत से पहले ही मुआवज़ा नहीं मिला होना चाहिए.
PMFBY की मुख्य विशेषताएं
विशेषता | विवरण |
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लॉन्च वर्ष | 2016 |
उद्देश्य | प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुक़सान से सुरक्षा |
पात्रता | सभी किसान (स्वैच्छिक नामांकन) |
प्रीमियम दर | खरीफ़ फसल - 2%, रबी फसल - 1.5%, सालाना कमर्शियल/बागवानी फसल - 5% |
कवरेज | बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक जोखिमों को कवर करता है |
कार्यान्वयन | केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बीमा कंपनियों के माध्यम से |
आवेदन प्रक्रिया | ऑनलाइन और ऑफ़लाइन |
पोर्टल | pmfby.gov.in |
कैसे करें आवेदन?
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया:
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pmfby.gov.in
पर जाएं.
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"Farmer Corner" पर क्लिक करें और "Guest Farmer" चुनें.
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मांगी गई जानकारी भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें.
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आवेदन जमा करने के बाद प्रीमियम का भुगतान करें.
- आवेदन की स्थिति पोर्टल पर ट्रैक करें.
ऑफ़लाइन आवेदन प्रक्रिया:
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नज़दीकी बैंक, बीमा कंपनी या कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाएं.
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आवेदन फ़ॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें.
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निर्धारित प्रीमियम का भुगतान करें और रसीद प्राप्त करें.
- आवेदन की स्थिति ट्रैक करने के लिए CSC या बैंक से संपर्क करें.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बनाम अन्य कृषि बीमा योजनाएं
विशेषता | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना | राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) |
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प्रीमियम दर | खरीफ़ - 2%, रबी - 1.5% | खरीफ - 3.5%, रबी - 2% |
जोखिम कवरेज | बुवाई से कटाई तक | सीमित |
नामांकन | स्वैच्छिक | अनिवार्य |
तकनीकी सहायता | डिजिटल ट्रैकिंग और GPS आधारित रिपोर्टिंग | मैनुअल प्रक्रिया |
PMFBY के तहत बीमा दावा कैसे करें?
अगर किसान की फसल को नुक़सान होता है, तो उसे इस प्रक्रिया का पालन करना होगा:
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फसल क्षति की सूचना 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी, बैंक या CSC को दें.
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बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर फसल क्षति का आकलन करेगा.
- सर्वे के बाद दावा स्वीकृत होने पर राशि सीधे किसान के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाती है.
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PMFBY के तहत अब तक का प्रदर्शन
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2020-21 में 5.5 करोड़ किसानों ने नामांकन किया
. (स्रोत: PMFBY.gov.in)
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2016-2023 के दौरान ₹1.32 लाख करोड़ का दावा भुगतान किया गया
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- 2018 में 9.3 करोड़ हेक्टेयर भूमि इस योजना के अंतर्गत कवर की गई .
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक मज़बूत सुरक्षा कवच प्रदान करती है. ये योजना किसानों को वित्तीय सुरक्षा देने के साथ-साथ उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मदद करती है. हालांकि, किसानों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वे समय पर आवेदन करें और योजना की शर्तों को समझें.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana )
1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन करने की अंतिम तिथि क्या है?
ये हर फसल सीज़न (खरीफ़/रबी) के लिए अलग होती है. सटीक जानकारी के लिए
2. क्या इस योजना में छोटे और सीमांत किसान भी आवेदन कर सकते हैं?
हाँ, कोई भी किसान इस योजना में नामांकन कर सकता है.
3. PMFBY में बीमा राशि की कैसे कैलकुलेट की जाती है?
बीमित राशि प्रति हेक्टेयर फसल लागत और सरकारी मानकों के अनुसार तय होती है.
4. अगर फसल को नुक़सान होता है तो दावा कैसे करें?
किसान को 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट करना होगा, जिसके बाद सर्वेयर आकलन करेगा और स्वीकृति के बाद मुआवज़ा मिलेगा.
5. क्या PMFBY सभी राज्यों में लागू है?
हां, ये योजना भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है.
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ये लेख पहली बार फ़रवरी 24, 2025 को पब्लिश हुआ.