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निवेश का सबसे मुश्किल हिस्सा इंतज़ार है

अच्छा निवेश धैर्य की बात है, लगातार कुछ करते रहने की नहीं

निवेश का सबसे मुश्किल हिस्सा इंतज़ार है | धैर्य से बड़ा लाभAI-generated image

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चार्ली मंगर की कही एक बात अक्सर सोशल मीडिया पर शेयर की जाती है: "बड़ा पैसा ख़रीदने और बेचने में नहीं बल्कि इंतज़ार करने में है." ये गहरी बात है जो निवेश की एक ज़रूरी सच्चाई को पूरी तरह दिखाती है. हालांकि, लगता है कि उनकी कही गई ऐसी कई बातों की तरह, मंगर की इस बात को भी सरल बना दिया गया है. कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, सांता बारबरा में 2004 में दिए गए भाषण का मूल कथन था, "ये इंतज़ार ही है जो एक निवेशक के तौर पर आपकी मदद करता है, और बहुत से लोग बस इंतज़ार नहीं कर सकते."

उनकी इस बात को उसके मूल स्वरूप में याद रखना शायद ज़्यादा मुश्किल हो, लेकिन इस तरह ये ज़्यादा गहराई से समझने वाली बात है. मंगर सिर्फ़ इंतज़ार करने की बात नहीं कर रहे थे - वे हमारी इंतज़ार न कर पाने के बारे में बात कर रहे थे. ये अंतर काफ़ी अहम है क्योंकि ये उन मूलभूत चुनौतियों में से एक की ओर इशारा करता है जिसका सामना सभी निवेशक करते हैं: अपने निवेश के साथ 'कुछ करने' की लगातार इच्छा.

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हम तत्काल संतुष्टि पाने वाले दौर में रहते हैं. हमारे फ़ोन हर कुछ मिनटों में जानकारियों से गूंजने लगते हैं, हम जो चाहें ऑर्डर कर सकते हैं और कुछ ही घंटों में डिलीवर हो सकते हैं, और हम स्क्रीन पर बस कुछ टैप करके पैसे ट्रांसफ़र कर सकते हैं या स्टॉक ट्रेडिंग कर सकते हैं. लगातार की जा रही गतिविधि और तत्काल प्रतिक्रिया के इस माहौल ने निवेश के बारे में एक अजीबोग़रीब धारणा बनाई है - कि निवेश में सफलता के लिए निरंतर गतिविधि की भी ज़रूरत होती है.

सच इससे ज़्यादा दूर कुछ नहीं हो सकता. असलियत ये है कि अच्छा निवेश तकनीक से ज़्यादा स्वभाव पर निर्भर करता है. ये मार्केट साइकल, आर्थिक अनिश्चितताओं और तत्काल कार्रवाई की मांग करने वाली 'तत्काल' ख़बरों की अंतहीन परेड के दौरान अपने निवेश के साथ बने रहने के लिए भावनात्मक अनुशासन के बारे में है.

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एक आसान सी मिसाल लेते हैं. अगर आपने बीस साल पहले बाज़ार पर नज़र रखने वाले एक बुनियादी इंडेक्स फ़ंड में निवेश किया होता और बस उसे बनाए रखा होता, तो आप अपने पैसे को कई गुना बढ़ा सकते थे. ये रिटर्न चालाकियों भरी ट्रेडिंग या मार्केट को टाइम करने से नहीं आता. ये दो दशकों में भारत की आर्थिक ग्रोथ में भागीदारी करने से आता. इसमें शामिल असली कौशल ये नहीं था कि क्या ख़रीदना है, बल्कि ये तय करना था कि क्या नहीं बेचना है.

यही वो जगह है जहां मंगर की समझदारी ख़ासतौर से प्रासंगिक हो जाती है. वे लोगों की इंतज़ार न कर पाने पर चर्चा करते हुए निवेश की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक रुकावट को उजागर करते हैं. ये बात इंतज़ार करते हुए केवल समय बिताने के बारे में नहीं है - ये आपके निवेश विकल्पों में दृढ़ विश्वास बनाए रखने के बारे में है. इसी समय, बाज़ार में उतार-चढ़ाव होता है, दोस्त अपनी ट्रेडिंग के ताज़ा मुनाफ़े के बारे में शेखी बघारते हैं, और फ़ाइनांस मीडिया चिंता करने के लिए अंतहीन कारण ब्रॉडकास्ट करता है.

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लेकिन यहां एक और गहरी नज़र भी है. इंतज़ार करने में असमर्थता अक्सर ख़ुद को ज़्यादा सफ़ाई से छिपा लेती है. निवेशक अक्सर अपनी लगातार ट्रेडिंग या पोर्टफ़ोलियो के बदलावों को मार्केट की स्थितियों पर प्रतिक्रिया' या 'रिस्क मैनेजमेंट' के तौर पर सही ठहराते हैं. असल में, इनमें से ज़्यादातर गतिविधियां उतावलेपन के महंगे रूप हैं. वे लेनदेन लागत और टैक्स पैदा करते हैं जबकि शायद ही कभी वैल्यू जोड़ते हैं.

इसका मतलब ये नहीं है कि आपको अपना निवेश पोर्टफ़ोलियो कभी नहीं बदलना चाहिए. निवेश बेचने के कई सही कारण हैं - जब आपके फ़ाइनेंशियल गोल बदल जाते हैं, निवेश को बनाए रखने का मूल कारण जब वैध नहीं रह जाता है, या जब आपको इसके मनचाहे उद्देश्य के लिए पैसे की ज़रूरत होती है. मंगर ऐसी गतिविधि के प्रति आगाह करते हैं जो ज़रूरत के बजाय उतावलेपन से आती है.

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इसलिए, निवेश की असली चुनौती अगला बढ़िया मौक़े तलाशना नहीं है. ये अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर में भी सही निवेश के साथ बने रहने का स्वभाव है. इस बात को समझने के बारे में है कि निवेश की सफलता का रास्ता शायद ही कभी सुचारू या निरंतर होता है और स्पष्ट निष्क्रियता के दौर अक्सर ऐसे समय होते हैं जब आपका पैसा आपके लिए सबसे मुश्किल काम कर रहा होता है.

इसलिए शायद हम मंगर की समझदारी का अपना संस्करण बना सकते हैं: निवेश का सबसे मुश्किल हिस्सा ये जानना नहीं है कि क्या करना है - ये आपके फ़ैसलों को समय के साथ काम करने देने का धीरज रखना है.

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