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मैंने सोचा था कि जिम जॉइन करते ही बॉडी बननी शुरू हो जाएगी. लेकिन तीन हफ़्ते मेहनत करने के बाद भी कोई ख़ास बदलाव नहीं दिखा. मेरे लिए ये निराश करने वाला था. मैं नियम से जिम जाता, पसीना बहाता, ख़ुद को मोटीवेट करता, लेकिन जब आईने में देखता तो कोई बदलाव नहीं दिखता.
ये काम नहीं कर रहा है ये सोच कर मैंने ट्रेनर से बड़ी उम्मीद के साथ पूछा, "कोई सीक्रेट टिप बताएंगे?" उन्होंने बस मुस्कुराते हुए कहा, "प्रॉसेस पर भरोसा रखिए".
उस समय ये सुनकर निराशा हुई, लेकिन बाद में उन शब्दों का मतलब समझ में आने लगा कि न केवल फ़िटनेस के बारे में बल्कि यही चीज़ इन्वेस्टिंग भी लागू होती है. धीरे-धीरे मगर लगातार मेहनत करने से ही नतीजे मिलते हैं.
छोटी शुरुआत, बड़ी सक्सेस
पहले दिन मैंने जिम में एक बंदे को हेवी डेडलिफ़्ट करते देखा और कहा, "बस, मुझे भी ऐसे ही करना है" मेरे ट्रेनर ने मुझे इसके बजाय 2.5 किलो के हल्के डंबल थमा दिए और कहा, "चलो पहले अपने फ़ॉर्म पर काम करो".
इसने मुझे निवेश करने के अपने पहले प्रॉसेस की याद दिला दी. यही ग़लती मैंने निवेश में भी की थी. मैंने निवेश शुरू करने के लिए महीनों इंतज़ार किया, ये सोचकर कि मुझे इसके "लायक़" बनाने के लिए एक बड़ी रक़म की ज़रूरत होगी तभी निवेश करना फ़ायदेमंद होगा. लेकिन दोस्त ने समझाया कि ₹500 की SIP भी एक अच्छी शुरुआत हो सकती है. उसी समय वो 2.5 किलो के लगभग शर्मनाक रूप से छोटे लग रहे थे. लेकिन जैसे हल्के डंबल से बॉडी बिल्ड होती है, वैसे ही छोटी-छोटी SIP से निवेश की आदत बनती है.
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कंसिस्टेंसी सबसे ज़रूरी है
मेरा ट्रेनर हमेशा कहता हैं, "एक दिन का तगड़ा वर्क़आउट करने से कुछ नहीं बदलेगा, लेकिन रेगुलर ट्रेनिंग से बॉडी ज़रूर बदलेगी."
यही चीज़ निवेश में भी लागू होती है. एकमुश्त रक़म लगाने से बेहतर परिणाम मिलेंगे लेकिन लंबे समय में SIP जैसी रेगुलर इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी ज़्यादा असरदार हो सकती है. इसे इस तरह से सोचें- क्या आप एक बार में बहुत ज़्यादा वज़न उठाकर ख़ुद को थका देना पसंद करेंगे, या फिर लगातार वज़न उठाकर ट्रेनिंग करके लगातार मज़बूत बनना पसंद करेंगे?
मार्केट ऊपर-नीचे होता रहेता हैं. लेकिन अगर आप SIP के ज़रिए हर महीने निवेश जारी रखेंगे, तो आप बाज़ार के उतार-चढ़ाव को औसत कर सकते हैं और रुपए की लागत के औसत होने से फ़ायदा उठा सकते हैं. जिससे लॉन्ग टर्म में अच्छे रिज़ल्ट मिलेंगे. वहीं, एकमुश्त निवेश समय पर बहुत ज़्यादा निर्भर करता है. ठीक वैसे ही जैसे तगड़ा वर्क़आउट करना और स्थायी परिणाम की उम्मीद करना.
धीरे-धीरे ग्रो करो
जिम में कुछ महीनों बाद जब मेरा वज़न बढ़ना बंद हो गया, तो ट्रेनर बोला, "तुम्हारा शरीर अब ये वज़न उठाने का आदी हो गया है, अब इसे कुछ बढ़ाने की ज़रूरत है." उसे दोगुना नहीं करना - बस थोड़ा सा ही बढ़ाना है ताकि उसे मैनेज भी किया जा सके.
ठीक इसी तरह, हर साल, जैसे-जैसे मेरी इनकम बढ़ती है, तो मैं SIP का अमाउंट भी थोड़ा-थोड़ा बढ़ाता हूं. इसे 'स्टेप-अप SIP' कहते हैं, लेकिन असल में ये पैसा बढ़ाने का 'प्रोग्रेसिव ओवरलोड' है. ये पक्का करती हैं कि समय के साथ आपकी संपत्ति ज़्यादा असरदार तरीके़ से बढ़ेगी.
उम्र के हिसाब से प्लान बदलो
एक दिन जिम में मैंने एक लड़के को हाई-इंटेंसिटी वर्क़आउट करते देखा, वो बॉक्स जंप कर रहा था. और उसके पास ही अधेड़ उम्र का एक व्यक्ति आराम से स्ट्रेचिंग कर रहा था. ट्रेनर बोला, "ये सही कर रहे हैं, उन्हें अपनी बॉडी की ज़रूरत पता है."
निवेश में भी यही बात लागू होती है. जब आप युवा होते हैं, तो ज़्यादा रिस्क ले सकते हैं और एक एग्रेससिव इक्विटी जैसा भारी पोर्टफ़ोलियो को मैनेज कर सकते हैं. लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, तो सेफ़ ऑप्शन की तलाश करने लगते हैं जो कि एक हद तक बुद्धिमानी है. जैसे डेट फ़ंड्स (Debt Funds) या फ़िक्स्ड इनकम के विकल्प. जो ग्रोथ को पक्का करते हुए आपने जो बनाया है उसे सेफ़ रखते हैं.
शॉर्टकट और ट्रेंड्स से बचें
मेरी इंस्टाग्राम फ़ीड अजीबोगरीब एक्सरसाइज़ और चमत्कारी डाइट को बढ़ावा देने वाले फ़िटनेस इन्फ्लुएंसर से भरी पड़ी है रोज़ कोई-न-कोई नया फ़िटनेस ट्रेंड आता है, लेकिन मेरा ट्रेनर कहता हैं, "बेसिक चीज़ों पर टिके रहो, वही असर करेगा" ये बोरिंग लगता है, लेकिन यही काम करता है.
निवेश की दुनिया में अपने ख़ुद के इन्फ्लुएंसर होते हैं हर दिन कोई नया 'हॉट स्टॉक', ऑप्शन ट्रेडिंग या क्रिप्टो का हल्ला मचता हैं, जल्दी अमीर बनने का वादा करते हैं. लेकिन असल फ़ायदा रेगुलर SIP, डायवर्सिफ़िकेशन और लंबे समय तक निवेश करने में है. गिरावट के दौरान निवेशित रहना वाक़यी में काम करता है.
इन बातों का ध्यान रखें!
उम्मीद करता हूं की आप लोग समझ गए होंगे कि बॉडी और पैसा बनाने के रूल काफ़ी हद तक एक जैसे हैं:
- छोटे क़दम से शुरुआत करें
- लंबे समय तक निवेश में बने रहें
- धीरे-धीरे अमाउंट को बढ़ाएं
- उम्र के हिसाब से प्लान में बदलाव करें
- शॉर्टकट से बचें
शायद मेरे जिम ट्रेनर को पता भी नहीं था, लेकिन वो एक फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र की तरह मुझे पैसे की अहमियत सिखा रहे थे. और इसके लिए उन्होंने एक्स्ट्रा फ़ीस भी नहीं ली.
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ये लेख पहली बार फ़रवरी 18, 2025 को पब्लिश हुआ.