मेरे चचेरे भाई हैं नवीन, जो क़रीब 10 साल पहले सिंगापुर चले गए थे. एक होनहार टैक्सटाइल इंजीनियर, जिसने भारत से निकलते वक़्त कभी नहीं सोचा था कि वो एक दिन विदेश में नागरिकता ले लेगा. अब वो और उसका परिवार सिंगापुर का नागरिक है, अच्छी नौकरी और शानदार लाइफ़स्टाइल के साथ. लेकिन दिल के किसी कोने में अभी भी भारतीय निवेश के प्रति एक ख़ास लगाव बचा हुआ था.
एक दिन, फ़ोन पर बातचीत करते हुए नवीन ने मुझसे पूछा, "यार, भारत में स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करना कैसा रहेगा?" सवाल सुनकर मुझे ख़ुशी हुई कि नवीन भारतीय इकॉनमी में दिलचस्पी ले रहा है. लेकिन मैंने उसे बताया कि NRI होने के नाते उसे कुछ रेग्युलेटरी ज़रूरतें पूरी करनी होंगी.
उसने तुरंत NRE अकाउंट खोल लिया, लेकिन जब स्टॉक्स में निवेश की बारी आई, तो उसे RBI के Portfolio Investment Scheme (PIS) अकाउंट की ज़रूरत पड़ी. ये अकाउंट ज़रूरी यानी मैनडेटरी है क्योंकि इससे NRI भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकते हैं. साथ ही, उसे ये समझना पड़ा कि सिंगापुर में उसकी इस आमदनी पर टैक्स कैसे लागू होगा.
चूंकि सिंगापुर 'टेरिटोरियल टैक्सेशन सिस्टम' फ़ॉलो करता है, वहां सिर्फ़ स्थानीय आमदनी पर टैक्स लगाया जाता है. इसलिए जब तक नवीन अपने भारतीय निवेश की कमाई को सिंगापुर में नहीं लाता, तब तक उसे वहां कोई टैक्स नहीं देना होगा.
अब बात मेरी बहन प्रीति की, जो 20 साल पहले USA चली गई थीं. शादी, बेटी और एक अच्छा करियर - प्रीति अब पूरी तरह से अमेरिकी जीवनशैली में रम चुकी थी. लेकिन भारतीय जड़ों से उसका नाता कभी नहीं टूटा. कुछ समय से वो अपनी बचत का एक हिस्सा भारतीय म्यूचुअल फ़ंड्स में लगाना चाहती थी और इसे लेकर कई बार हमारी बात हुई.
जब उसने पहली बार निवेश करने की कोशिश की, तो एक अजीब मुश्किल पेश आई - कुछ भारतीय म्यूचुअल फ़ंड कंपनियां अमेरिकी निवासियों से निवेश स्वीकार नहीं करतीं. ये जानकर वो हैरान थी. कारण? FATCA (Foreign Account Tax Compliance Act), जो अमेरिका का एक सख़्त फाइनेंशियल क़ानून है. FATCA के तहत, अमेरिकी नागरिकों को दुनिया भर में कमाई किसी भी आमदनी की IRS को रिपोर्टिंग करनी होती है.
आख़िरकार, थोड़ी रिसर्च के बाद प्रीति ने ऐसी AMC (Asset Management Company) ढूंढ निकाली जो अमेरिकी निवासियों से निवेश स्वीकार कर रही थी. उसने SIP (Systematic Investment Plan) के ज़रिए निवेश शुरू किया. अब उसे DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) का फ़ायदा भी मिल रहा था, जिससे वो भारत में टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकती है.
इन दोनों ही मिसालों से साफ़ है कि किसी NRI के लिए निवेश करना आसान तो है, लेकिन उन्हें अपने निवास के देश (country of residence) के टैक्स नियमों और भारत के निवेश नियमों की अच्छी समझ होनी चाहिए. तो आइए, इसी पर आगे बात करते हैं और स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं कि कैसे कोई NRI भारत के स्टॉक और फ़ंड्स में निवेश कर सकता है. इस चर्चा की शुरुआत कुछ बड़े सवालों से करते हैं:
भारत में NRI निवेश के बड़े सवाल और उनके जवाब
क्या NRI भारतीय स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं?
हां, लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ ख़ास प्रोसेस फ़ॉलो करने होंगे. स्टॉक्स में निवेश के लिए PIS अकाउंट और म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश के लिए KYC (Know Your Customer) पूरी करनी होगी. पर एक बड़ा सवाल है कि आख़िर कोई NRI भारत में निवेश क्यों करे?
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क्यों भारत में निवेश करें?
भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है जहां निवेश के ढेरों शानदार मौक़े हैं. तेज़ी से बढ़ता स्टॉक मार्केट, मज़बूत और बड़ी सख़्ती के साथ रेग्युलेट किया जाने वाला म्यूचुअल फ़ंड सेक्टर और टैक्स के लिहाज़ से फ़ायदे वाले नियम, भारत को NRI निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या NRI बिना किसी अड़चन के भारत में निवेश कर सकते हैं? आइए अब इस पर बात करते हैं. मगर एक बुनियादी सवाल कि NRI स्टेटस होता क्या है?
NRI स्टेटस क्या है? कौन कहलाता है NRI?
भारतीय इनकम टैक्स एक्ट के तहत, अगर कोई भारतीय नागरिक किसी फ़ाइनेंशियल ईयर में 182 दिन या उससे ज़्यादा समय के लिए भारत से बाहर रहता है, तो उसे "नॉन-रेजिडेंट इंडियन" (NRI) माना जाता है.
NRI बनने के बड़े कारण:
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विदेश में नौकरी या बिज़नस
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हायर एजुकेशन
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स्थायी तौर पर विदेश में बसना
- भारत से बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO या Person of Indian Origin)
क्या NRI भारतीय स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश कर सकते हैं?
हां, NRI भारतीय शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें कुछ नियमों का पालन करना होता है.
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NRI निवेश के लिए स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए:
- NRE/NRO अकाउंट खोलें:
- NRI को भारत में निवेश करने के लिए एक NRE (Non-Resident External) या NRO (Non-Resident Ordinary) बैंक अकाउंट खोलना ज़रूरी होता है.
- PIS (Portfolio Investment Scheme) खाता:
- स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए RBI के तहत PIS अकाउंट ज़रूरी है.
- ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलें:
- Zerodha, HDFC Securities, ICICI Direct जैसे तमाम ब्रोकरों के ज़रिए अकाउंट खोला जा सकता है.
- शेयर ख़रीदें:
- NRI केवल भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिड कंपनियों में निवेश कर सकते हैं.
म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश के लिए:
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NRE/NRO अकाउंट अनिवार्य है
-
KYC प्रक्रिया पूरी करें
-
AMCs के ज़रिए निवेश करें
(
SBI MF
,
HDFC MF
,
ICICI MF
आदि)
- SIP या एकमुश्त (lump sum) निवेश का चुनाव करें
NRI पर टैक्स कैसे लागू होगा?
निवेश प्रकार | टैक्स नियम |
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स्टॉक्स (शॉर्ट-टर्म) | 15% STCG |
स्टॉक्स (लॉन्ग-टर्म) | 10% LTCG (₹1 लाख से ऊपर) |
म्यूचुअल फ़ंड्स (इक्विटी) | STCG: 15%, LTCG: 10% |
म्यूचुअल फ़ंड्स (डेब्ट) | STCG: स्लैब रेट, LTCG: 20% (इंडेक्सेशन के साथ) |
क्या NRI को अपने निवास वाले देश में भी टैक्स देना होगा?
NRI को अपने निवास वाले देश के टैक्स नियमों का पालन करना पड़ता है. हालांकि, भारत के कई देशों के साथ DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) है जिससे टैक्स दो बार नहीं देना पड़ता.
NRI के लिए भारत में निवेश करना जितना फ़ायदेमंद हो सकता है, उतना ही अहम ये समझना है कि उनके निवास वाले देश में टैक्स का क्या असर पड़ेगा. आमतौर पर, NRI को अपने निवास देश के टैक्स नियमों का पालन करना पड़ता है, जिससे ये तय होता है कि भारत में होने वाली उनकी कमाई पर टैक्स लगेगा या नहीं.
DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) की भूमिका
भारत ने कई देशों के साथ DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) किया है, जिससे ये सुनिश्चित किया जाता है कि निवेशक को एक ही आय पर दो बार टैक्स न देना पड़े. लेकिन इसका तरीक़ा हर देश में अलग हो सकता है.
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सिंगापुर में NRI के लिए टैक्स नियम
मिसाल के तौर पर नवीन, क़रीब 10 साल पहले सिंगापुर शिफ़्ट हुआ और अब वहां का नागरिक है. जब उसने भारत में स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश किया, तो उनके मन में सबसे बड़ा सवाल ये था—क्या उसे सिंगापुर में भी टैक्स देना पड़ेगा?
जैसा कि मैंने पहले बताया कि सिंगापुर में 'टेरिटोरियल टैक्सेशन सिस्टम' लागू है, यानी वहां के निवासी केवल उन्हीं आमदनी के स्रोतों पर टैक्स देते हैं जो सिंगापुर में कमाए हों. चूंकि भारत में हुए निवेश से होने वाली आमदनी सिंगापुर में नहीं कमाई गई है, इसलिए उन्हें सिंगापुर में इस पर टैक्स नहीं देना पड़ा. लेकिन अगर वे इस आमदनी को सिंगापुर में ट्रांसफ़र करते हैं, तो कुछ मामलों में टैक्स की देनदारी हो सकती है.
अब बात प्रीति की, जो 20 साल पहले अमेरिका गई थी और वहां की नागरिक है. उन्होंने भारत में कुछ म्यूचुअल फ़ंड और स्टॉक्स में निवेश किया, लेकिन जब टैक्सेशन की बारी आई, तो मामला सिंगापुर से अलग था.
अमेरिका में ग्लोबल टैक्सेशन सिस्टम लागू है, यानी वहां के नागरिकों को दुनिया में कहीं भी होने वाली कमाई पर अमेरिका में टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब हुआ कि प्रीति को भारत में अपने निवेश से होने वाली किसी भी आमदनी की जानकारी IRS (Internal Revenue Service) को देनी पड़ेगी.
हालांकि, अमेरिका और भारत के बीच DTAA समझौता होने के कारण, अगर प्रीति ने भारत में टैक्स चुकाया है, तो उन्हें अमेरिका में वही टैक्स क्रेडिट के तौर पर मिल सकता है, जिससे उसे दोबारा टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लेकिन, इसके लिए सही तरीक़े से टैक्स फइल करना जरूरी था, वरना उसे अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है.
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सिंगापुर में
अगर निवेश से हुई कमाई वहां नहीं लाई जाती, तो आमतौर पर टैक्स से बचा जा सकता है.
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अमेरिका में
निवेश पर टैक्स देना ही पड़ता है, लेकिन DTAA के तहत टैक्स क्रेडिट मिल सकता है.
- ये तो बस दो देशों के उदाहरण हैं, हर NRI को अपने निवास वाले देश के टैक्स नियमों को समझकर निवेश प्लान करना चाहिए.
इसलिए, अगर आप NRI हैं और भारत में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत के साथ-साथ अपने निवास के देश (country of residence) के टैक्स नियमों की भी पूरी जानकारी रखना जरूरी है.
NRI के लिए भारत में निवेश की बेस्ट स्ट्रैटेजी क्या होगी?
NRI के लिए भारत में निवेश के ढेरों अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन सही रणनीति अपनाने से उनका निवेश ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित हो सकता है. यहां कुछ बेहतरीन निवेश रणनीतियों को विस्तार से समझाया गया है, जिससे NRI को ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा मिल सके.
1. लंबी अवधि के लिए निवेश करें
भारत का शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फ़ंड सेक्टर लंबी अवधि में बेहतरीन रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. अगर आप 7-10 साल या उससे ज़्यादा समय के लिए निवेश करते हैं, तो आपको कॉम्पाउंडिंग (Compounding) का फ़ायदा मिलता है.
क्यों लंबी अवधि का निवेश सही है?
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शेयर बाज़ार में शॉर्ट-टर्म के उतार-चढ़ाव से बचाव
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कॉम्पाउंडिंग का फ़ायदा मिलता है
- टैक्स के फ़ायदे मिल सकते हैं
2. SIP के ज़रिए म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करें
SIP (Systematic Investment Plan) यानी हर महीने एक तय राशि निवेश करना. यह एक सुरक्षित तरीका है जिसमें मार्केट में उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम हो जाता है.
SIP क्यों फ़ायदेमंद है?
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मार्केट टाइमिंग का रिस्क कम होता है
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छोटे निवेश से बड़ा पोर्टफ़ोलियो बन सकता है
- रुपए की गिरावट से सुरक्षा मिलती है
3. RBI और SEBI के नियमों का पालन करें
NRI निवेश से जुड़े RBI और SEBI के नियमों को समझना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि किसी भी नियम का उल्लंघन करना महंगा साबित हो सकता है.
ज़रूरी बातें:
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NRI को PIS (Portfolio Investment Scheme) के तहत निवेश करना होगा
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सभी निवेशों के लिए KYC (Know Your Customer) पूरी करनी होगी
- FEMA (Foreign Exchange Management Act) का पालन करना ज़रूरी है
4. कम टैक्स वाले विकल्प चुनें
हर NRI को यह देखना चाहिए कि उन्हें भारत में निवेश पर कितना टैक्स देना पड़ेगा और किस तरह वे DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) का फ़ायदा उठा सकते हैं.
कैसे टैक्स बचाया जाए?
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ELSS (Equity Linked Savings Scheme) फ़ंड में निवेश करें - 80C के तहत टैक्स छूट
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लॉन्ग-टर्म निवेश करें, जिससे LTCG (Long-Term Capital Gains) टैक्स का फ़ायदा मिले
- NRE अकाउंट के ज़रिए मिलने वाले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता
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हमारी फ़ंड एडवाइज़र और स्टॉक ए़डवाइज़र सर्विस कैसे आपकी मदद कर सकती हैं
NRI के लिए भारत में निवेश करना काफ़ी फ़ायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन सही स्ट्रैटजी अपनाने से ही वे ज़्यादा से ज़्यादा प्रॉफ़िट कमा सकते हैं. लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट का निवेश, SIP, कम टैक्स वाले विकल्प और सही नियमों का पालन करके वे अपने निवेश को सुरक्षित और फ़ायदे का सौदा बना सकते हैं.
असल में, हर कोई अपने लिए बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड ही चुनना चाहता है. इस मामले में वैल्यू रिसर्च धनक आपकी मुश्किल आसान कर सकता है. इसमें निवेश के लिए सबसे अच्छे लगने वाले फ़ंड को फ़ाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. इस तरह से हम 1 स्टार से 5 स्टार तक की रेटिंग देते हैं. और, जिन फ़ंड्स को निवेश के लायक़ नहीं मानते है, उन्हें कोई रेटिंग नहीं दी जाती. हमारे इस फ़ीचर को इस्तेमाल करिए और निवेश के ज़रिए खुद को आर्थिक तौर पर सफ़ल बनाएं.
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FAQs: NRI निवेश से जुड़े 5 आम सवाल
1. क्या NRI भारत में सीधे स्टॉक ख़रीद सकते हैं?
हां, लेकिन उन्हें PIS अकाउंट खोलना अनिवार्य (mandatory) है.
2. क्या NRI भारत में FD कर सकते हैं?
हां, वे NRE/NRO FD में निवेश कर सकते हैं.
3. क्या NRI को म्यूचुअल फ़ंड में SIP करने में कोई दिक़्क़त आती है?
नहीं, लेकिन कुछ AMCs कुछ देशों के NRIs से निवेश स्वीकार नहीं करतीं.
4. क्या NRI भारत में रियल एस्टेट में निवेश कर सकते हैं?
हां, NRI को रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी ख़रीदने की अनुमति है.
5. क्या भारत में कमाया गया लाभ विदेश भेज सकते हैं?
हां, NRE अकाउंट से रेमिटेंस की कोई सीमा नहीं होती.
यह लेख मूल रूप से फ़रवरी 13, 2025 को पब्लिश हुआ था.