लंच ब्रेक के दौरान एक टेलीग्राम ग्रुप मैसेज पर नज़र गई, "स्मॉल-कैप तगड़ा रिटर्न दे रहे हैं!" ये सितंबर 2024 का समय था और आंकड़े वाक़ई हैरान करने वाले थे.
दो साल में 37% का शानदार रिटर्न. निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी और रिकॉर्ड स्तर पर पैसा आया, सिर्फ़ सितंबर 2024 में ही स्मॉल कैप फ़ंड्स में ₹3,071 करोड़ निवेश किये गए थे.
हर कोई इस रैली का हिस्सा बनना चाहता था. ऑफ़िस में एक साथी ने कुछ ही महीनों में 30% रिटर्न की शेखी बघारी. टेलीग्राम ग्रुप में दोस्त ने कहा "स्मॉल-कैप में इन्वेस्ट करने का इससे अच्छा मौक़ा नहीं मिलेगा" मुझे भी ज़बरदस्त FOMO (Fear of Missing Out) होने लगा.
मैंने भी झट से ₹3 लाख स्मॉल-कैप म्यूचुअल फ़ंड्स में डाल दिए.
रियलिटी चेक: क्या सच में सही फै़सला था?
फ़रवरी 2025 आते-आते, ये फै़सला भारी पड़ गया.
BSE स्मॉल-कैप इंडेक्स अपने पीक से क़रीब 14% गिर चुका है. मेरा पोर्टफ़ोलियो, जो दिसंबर में हरे निशान में था, अब पूरा लाल है.
जो लोग कुछ महीने पहले तक स्मॉल-कैप की वाह-वाही कर रहे थे, वो अब चुप हैं. न "बेस्ट टाइम टू इन्वेस्ट" वाले दावे दिख रहे हैं, न कोई ग्रुप में स्क्रीनशॉट शेयर कर रहा है.
बस एक सवाल मन में घूम रहा है – क्या मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई है?
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उतार-चढ़ाव से मिले ये 5 अहम सबक़
1. स्मॉल कैप शॉर्ट टर्म के लिए एक तूफ़ानी सफ़र है
स्मॉल-कैप स्टॉक्स किसी छोटे पानी के जहाज की तरह होते हैं कभी ऊंची लहरों पर, तो कभी डूबने की कगार पर. मार्च 2020 के दौरान स्मॉल-कैप इंडेक्स में सिर्फ़ दो महीनों में 43% गिरावट आई थी. फिर अगले साल इसमें 136% की तेज़ी देखने को मिली. हम यहां इसी उतार-चढ़ाव की बात कर रहे हैं.
2. सफ़ल निवेशक के लिए सब्र ही सब कुछ है
निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप फ़ंड को देखिए. 2018-20 में जब ये अपने पीक से 24% गिरा था तो उस दौरान जिन निवेशकों ने होल्ड किया था उनका पैसा 2021 तक दोगुना हो गया. लेकिन जो घबराकर बेच गए, उन्होंने नुक़सान ही उठाया और भरपाई नहीं कर पाए.
3. SIP एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट
अगर मैंने ₹3 लाख एक-साथ डालने की जगह SIP के ज़रिए हर महीने थोड़ा-थोड़ा करके निवेश किया होता, तो नुक़सान कम होता. SIP रुपए की लागत को औसत करने का काम करती हैं. यानि, जब मार्केट नीचे होता है, तब ज़्यादा यूनिट्स ख़रीद सकते हैं. जब बाज़ार ऊपर होता है, तब कम यूनिट ख़रीदते हैं.
4. लिक्विडिटी
बाज़ार में गिरावट के दौरान, स्मॉल-कैप शेयर को लिक्विडिटी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जिससे शेयर की क़ीमत को प्रभावित किए बिना पोज़ीशन से बाहर निकलना मुश्क़िल हो जाता है. लार्ज-कैप के विपरीत, जिनके बाज़ार गहरे होते हैं, स्मॉल-कैप कम मात्रा में कारोबार करते हैं. यानि, स्मॉल-कैप की लिक्विडिटी कम होती है. बड़े इन्वेस्टर्स जब इन्हें बेचते हैं, तो इनके दाम तेजी से गिरते हैं. एक झटके में बड़ा घाटा लग सकता है.
5. डायवर्सिफ़िकेशन की अहमियत
सिर्फ स्मॉल-कैप पर भरोसा करना पैनिक और स्ट्रेस को दावत देना है. बैलेंस्ड पोर्टफ़ोलियो ज़रूरी है, जो स्थिरता और ग्रोथ दोनों को बैलेंस करे.
अब आगे क्या?
सच कहूं तो; अपने पोर्टफ़ोलियो को लाल निशान में देखना रुलाता है. लेकिन क्या स्मॉल-कैप फ़ंड्स में इन्वेस्ट करना ग़लती थी?
हां, FOMO के होने के डर से लंपसम इन्वेस्टमेंट करना ग़लती थी. लेकिन स्मॉल-कैप में इन्वेस्ट करना कोई ग़लती नहीं थी.
मैं अभी 30 का भी नहीं हूं. मेरे पास समय है. अगर अभी बेच दूं, तो नुक़सान हमेशा के लिए हो जाएगा. इतिहास बताता है कि स्मॉल-कैप धैर्य रखने वालों को इनाम देते हैं. इन्होंे पिछले 10 साल में औसतन 21% रिटर्न दिया है.
मेरी नई स्ट्रैटेजी
- लंपसम इन्वेस्टमेंट बाय-बाय! – अब मैं सिर्फ़ SIP करूंगा. और अपने पोर्टफ़ोलिओ को री-बैलेंस करूंगा.
- पोर्टफ़ोलियो री-बैलेंसिंग – बैलेंस एलोकेशन बेहद ज़रूरी है. स्थिरता के लिए 50-70% इन्वेस्टमेंट लार्ज-कैप फ़ंड्स में, 20-30% मिड-कैप फ़ंड में और 10-20% स्मॉल-कैप में. जब स्मॉल-कैप उछलेंगे तो थोड़ा हिस्सा लार्ज-कैप में शिफ़्ट करूंगा. जब गिरेंगे, तो ख़रीदूंगा.
अब मार्केट नहीं, मेरा प्लान तय करेगा कि मुझे क्या करना है. उम्मीद है, आप भी ऐसा ही करेंगे.
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ये लेख पहली बार फ़रवरी 07, 2025 को पब्लिश हुआ.