सैलरी आई, और ग़ायब भी हो गई!
हर महीने की वही कहानी - सैलरी आती है, और पलक झपकते ही ख़र्च में ग़ायब हो जाती है. यानि, "हाथ की रोटी, पेट में गई". लेकिन ज़रा सोचिए, क्या हो अगर हम अपनी इनकम का एक हिस्सा सबसे पहले अपने फ़ाइनेंशियल फ़्यूचर के लिए अलग कर दें?
यही है "सैलरी आई, SIP चली गई" का मंत्र, जो न सिर्फ़ बचत की आदत डालता है बल्कि आपको आर्थिक रूप से भी मज़बूत बनाता है. पर क्या ये इतना आसान है? आइए देखते हैं.
SIP को ख़र्च मानें, बचत की चिंता छोड़ें
हम रोज़मर्रा की ज़रूरतों जैसे किराया, बिजली बिल और लोन की EMI को सबसे ऊपर रखते हैं, तो SIP को भी एक ज़रूरी ख़र्च की तरह समझें. यही सोच है जो आपके निवेश को बिना रुकावट के बढ़ा पाएगी और हां नीचे दी गई टेबल देखिए. आपको ख़ुद लगेगा कि ये किया जा सकता है जब लंबे अर्से में ऐसे बढ़िया नतीजे मिलें:
SIP से तैयार हो सकती है कितनी वैल्थ
सैलरी (मासिक) | SIP राशि (10%) | बचत (5 साल) |
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₹50,000 | ₹5,000 | ₹3,60,000 (15% रिटर्न) |
₹75,000 | ₹7,500 | ₹5,40,000 (15% रिटर्न) |
(सोर्स: म्यूचुअल फंड रिपोर्ट्स) |
SIP - छोटे निवेश से बड़ा सपना
SIP में निवेश के तीन बड़े फ़ायदे:
1. रुपये की कॉस्ट एवरेजिंग : SIP निवेश की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये आपको बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बचाता है. जब मार्केट नीचे होता है, तो कम क़ीमत पर ज़्यादा यूनिट्स मिलती हैं और जब मार्केट ऊपर जाता है, तो पहले से ख़रीदी गई यूनिट्स का मूल्य बढ़ता है. इससे आपकी औसत ख़रीद क़ीमत संतुलित रहती है.
2. पावर ऑफ़ कंपाउंडिंग: छोटी रक़म के नियमित निवेश से मिलने वाला ब्याज जब दोबारा निवेश में ही शामिल हो जाता है, तो ये धीरे-धीरे एक बड़े कॉर्पस (कोष) में बदल जाता है. जितना जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना ज़्यादा कंपाउंडिंग का फ़ायदा मिलेगा.
3. डिसिप्लिन: SIP एक ऑटोमैटिक निवेश का तरीक़ा है जो आपको नियमित बचत और निवेश की आदत डालती है, जिससे आप बिना तनाव के अपने फ़ाइनेंशियल गोल्स की ओर बढ़ते हैं.
कैसे करें SIP को सैलरी का हिस्सा?
ऑटो-डेबिट सेट करें: सैलरी के आते ही SIP में पैसा कट जाए, जिससे आप निवेश को प्राथमिकता देंगे और भूलने की चिंता नहीं रहेगी.
छोटी रक़म से शुरुआत करें: अगर आप निवेश को लेकर किसी पशोपेश में हैं, तो ₹1,000 जैसी छोटी रक़म से शुरुआत करें और समय के साथ इसे बढ़ाएं.
निवेश बढ़ाएं: जैसे-जैसे आपकी सैलरी बढ़ती है, वैसे-वैसे अपनी SIP की रक़म में भी इज़ाफ़ा करें ताकि आपका निवेश भी आपकी आमदनी के साथ बढ़े.
SIP का सही फ़ंड कैसे चुनें?
लॉन्ग-टर्म गोल: रिटायरमेंट, बच्चों की शिक्षा, या घर ख़रीदने जैसे लक्ष्यों के लिए SIP एक बेहतरीन विकल्प है.
रिस्क प्रोफ़ाइल: अगर आप हाई रिटर्न चाहते हैं और जोखिम लेने को तैयार हैं तो प्योर इक्विटी फ़ंड चुनें, वरना हाईब्रिड या बैलेंस्ड फ़ंड्स भी एक विकल्प हो सकते हैं.
फ़ंड परफ़ॉर्मेंस: किसी भी फ़ंड में निवेश करने से पहले उसके पिछले सालों के रिटर्न, फ़ंड मैनेजर के अनुभव और रेटिंग को ज़रूर जांचें.
क्यों है SIP सबसे आसान और असरदार निवेश?
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SIP को हर तरह के निवेशक - नए और अनुभवी, दोनों के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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इसमें मार्केट टाइमिंग की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि नियमित निवेश से औसत लागत कम होती है.
- टैक्स सेविंग का फ़ायदा मिलता है, ख़ासतौर पर ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) फ़ंड्स के ज़रिए.
सैलरी आए, तो SIP जाए!
हर महीने सैलरी मिलते ही SIP को अपनी प्राथमिकता बनाएं, ताकि फ़ाइनेंशियल गोल की ओर सही दिशा में बढ़ सकें.
ये भी पढ़िए- SIP रिटर्न कैसे कैलकुलेट करें?
बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड कैसे चुनें
Best Mutual Fund: हर कोई SIP शुरू करने के लिए बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड ही चुनना चाहता है. इस मामले में धनक ( dhanak.com ) का बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड टूल आपकी मुश्किल आसान कर सकता है. अच्छा म्यूचुअल फ़ंड चुनने के लिए आप इसकी मदद ले सकते हैं. ये टूल बिल्कुल फ़्री है. हालांकि, इसके लिए आपको धनक पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. और, सिर्फ़ अपना ईमेल देने पर ही यहां रजिस्ट्रेशन हो जाएगा.
इसमें निवेश के लिए सबसे अच्छे लगने वाले फ़ंड को फ़ाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. इस तरह से हम 1 स्टार से 5 स्टार तक की रेटिंग देते हैं. और, जिन फ़ंड्स को निवेश के लायक़ नहीं मानते है, उन्हें कोई रेटिंग नहीं दी जाती. हमारे इस फ़ीचर को इस्तेमाल करिए और निवेश के ज़रिए खुद को आर्थिक तौर पर सफ़ल बनाएं.
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. SIP में निवेश शुरू करने के लिए न्यूनतम राशि क्या है?
₹500 से भी SIP शुरू की जा सकती है. ये आपको धीरे-धीरे निवेश की आदत डालने में मदद करता है.
2. SIP में कब तक निवेश करना चाहिए?
लॉन्ग टर्म यानी 5-10 साल तक निवेश करने से अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ती है.
3. क्या SIP मार्केट गिरने पर भी फ़यदेमंद होती है?
हां, क्योंकि रुपये की कॉस्ट एवरेजिंग से आपको कम क़ीमत पर ज़्यादा यूनिट्स मिलती हैं.
4. क्या SIP बंद कर सकते हैं अगर पैसे की ज़रूरत पड़े?
जी हां, आप SIP रोक सकते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में ये फ़ायदेमंद होती है.
5. SIP और FD में क्या फ़र्क़ है?
FD में फ़िक्स्ड रिटर्न मिलता है, जबकि SIP में बाज़ार के मुताबिक़ ज़्यादा रिटर्न की संभावना होती है.
ये भी पढ़िए- SIP Calculator: हर महीने की कॉफ़ी या SIP? छोटी आदत, बड़ा असर!
ये लेख पहली बार फ़रवरी 03, 2025 को पब्लिश हुआ.