फंड वायर

मोमेंटम फ़ंड: फ़ायदे, नुक़सान और सही निवेश रणनीति

ये फ़ंड आपके निवेश के लिए कैसे रहेंगे जानिए यहां

मोमेंटम फ़ंड: फायदे, नुकसान और सही निवेश रणनीतिAI-generated image

मोमेंटम फ़ंड क्या हैं?

मोमेंटम फ़ंड उन स्टॉक्स में निवेश करते हैं जो हाल के समय में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और जिनमें आगे भी ग्रोथ की संभावना होती है. ये स्ट्रैटेजी इस सोच पर टिकी होती है कि जिन शेयरों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है, वो आगे भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखेंगे.

मोमेंटम फ़ंड्स का हालिया प्रदर्शन और उतार-चढ़ाव

सितंबर 2024 तक, मोमेंटम फ़ंड्स निवेशकों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हो गए थे. अलग-अलग एसेट मैनेजमेंट कंपनियां लगातार नए मोमेंटम फ़ंड लॉन्च कर रही थीं, और इनका छह महीने और एक साल का प्रदर्शन भी काफ़ी अच्छा था. हालांकि, सितंबर 2024 के बाद जब मार्केट में 10% से ज़्यादा की गिरावट आई, तब मोमेंटम फ़ंड्स में भी भारी गिरावट देखी गई. ये मोमेंटम स्ट्रैटजी की अस्थिरता को उजागर करता है, जो अच्छे समय में तो शानदार रिटर्न दे सकती है, लेकिन मार्केट की गिरावट के दौरान नुक़सान भी ज़्यादा हो सकता है.

मोमेंटम फ़ंड के अलग-अलग बेंचमार्क

मोमेंटम फ़ंड के अलग-अलग बेंचमार्क

बेंचमार्क ट्रैक करने वाले फ़ंड्स की संख्या पैरेंट इंडेक्स AUM (साइज़)
निफ़्टी 200 मोमेंटम 30 TRI 11 निफ़्टी 200 Rs 11,690 cr
निफ़्टी 500 मोमेंटम 50 TRI 4 निफ़्टी 500 Rs 1,160 cr
निफ़्टी मिडकैप 150 मोमेंटम 50 TRI 3 निफ़्टी मिडकैप 150 Rs 1,605 cr
निफ़्टी मिडस्मॉल कैप 400 मोमेंटम क्वालिटी 100 TRI 2 निफ़्टी मिडस्मलॉल कैप 400 Rs 524 cr
निफ़्टी 500 मल्टीकैप मोमेंटम क्वालिटी 50 TRI 2 निफ़्टी 500 Rs 170 cr
निफ़्टी स्मॉलकैप 250 मोमेंटम क्वालिटी 100 TRI 2 निफ़्टी स्मॉलकैप 250 Rs 649 cr
(सोर्स: वैल्यू रिसर्च, डेटा 21 जनवरी 2025 और 31 दिसंबर 2024 तक)

मोमेंटम फ़ंड के रिटर्न

पैसिव मोमेंटम फ़ंड

हमने पीरियड को तीन फ़ेज़ में बांट कर मोमेंटम इंडेक्स और उनके मूल इंडेक्स के एक साल के ट्रेलिंग रिटर्न का अनालेसिस किया:

  • बढ़ने का फ़ेज़ (जनवरी 2024 से सितंबर 2024)
  • गिरावट का फ़ेज़ (सितंबर 2024 से जनवरी 2025)
  • कुल मिलाकर 12 महीने का प्रदर्शन.

संक्षेप में इनके रिज़ल्ट कुछ इस तरह हैं:

इंडेक्स इंडेक्स के रिटर्न (बढ़ता हुआ फ़ेज़) मूल इंडेक्स रिटर्न (बढ़ता फ़ेज़) इंडेक्स के रिटर्न (घटने का फ़ेज़) मूल इंडेक्स का रिटर्न (घटने का फ़ेज़) इंडेक्स रिटर्न (ट्रेलिंग 1-साल) मूल इंडेक्स रिटर्न (ट्रेलिंग 1-साल)
निफ़्टी 200 मोमेंटम 30 TRI 34.91% 27.16% -21.75% -12.61% 5.57% 11.12%
निफ़्टी 500 मोमेंटम 50 TRI 32.29% 27.29% -21.79% -12.49% 3.47% 11.39%
निफ़्टी मिडकैप 150 मोमेंटम 50 TRI 32.72% 29.04% -14.89% -11.88% 12.95% 13.72%
निफ़्टी मिडस्मॉल कैप 400 मोमेंटम क्वालिटी 100 TRI 30.01% 28.47% -13.62% -11.90% 12.30% 13.18%
निफ़्टी 500 मल्टीकैप मोमेंटम क्वालिटी 50 TRI 28.89% 27.29% -16.96% -12.49% 7.04% 11.39%
निफ़्टी स्मॉलकैप 250 मोमेंटम क्वालिटी 100 TRI 23.66% 27.43% -14.31% -11.93% 5.96% 12.22%
  • जब मार्केट में तेज़ी थी, तो एक को छोड़कर सभी मोमेंटम इंडेक्स अपने मूल इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे.
  • जब अच्छा दौर ख़त्म हुआ, तो सभी मोमेंटम इंडेक्स अपने मूल इंडेक्स के मुक़ाबले ज़्यादा गिर गए.
  • और क्योंकि ये इंडेक्स बुरे समय में पहले की तुलना में ज़्यादा गिर गए, इसलिए उनमें से कोई भी 12 महीने की अवधि में अपने मूल इंडेक्स को पीछे नहीं छोड़ सका.

पैसिव मोमेंटम इंंडेक्स अच्छे समय में तो ख़ूब चमके, लेकिन जब मार्केट में गिरावट आई तो बुरी तरह लड़खड़ा गए.

अब, कल्पना कीजिए कि किसी ने जनवरी 2024 में इन इंडेक्स में निवेश किया. सितंबर तक वे सातवें आसमान पर होंगे, जब निफ्टी 500 मोमेंटम 50 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फ़ंड में उनके ₹1 लाख बढ़कर ₹1.32 लाख हो जाएंगे, जबकि इसके पैरेंट इंडेक्स में ये ₹1.27 लाख होगा.

कुछ महीने बाद, जनवरी 2025 में, स्थिति बदल गई है. निवेश की वैल्यू घटकर ₹1.05 लाख रह गई है, जबकि पैरेंट इंडेक्स निवेशक अभी भी ₹1.11 लाख पर बैठा होगा.

एक्टिव मोमेंटम फ़ंड

उपलब्ध चार ऐसे फ़ंड्स में से, केवल दो ही इतने लंबे समय से चल रहे हैं कि कम से कम एक साल का ट्रैक रिकॉर्ड बना सकें.

नीचे दी गई टेबल उसी अवधि में उनके रिटर्न को दिखाती है जिसकी हमने पैसिव रूप से मैनेज किए जाने वाले मोमेंटम फ़ंड्स के लिए समीक्षा की थी.

फ़ंड का नाम फ़ंड का रिटर्न (बढ़ने का फ़ेज़) बेंचमार्क रिटर्न (बढ़ने का दौर) फ़ंड का रिटर्न (घटने का फ़ेज़) बेंचमार्क रिटर्न (घटने का फ़ेज़) फ़ंड रिटर्न (ट्रेलिंग 1-साल) बेंचमार्क रिटर्न (ट्रेलिंग 1-साल)
क्वांट मोमेंटम फ़ंड 33.82% 27.29% -15.23% -12.81% 13.44% 10.99%
सैमको एक्टिव मोमेंटम फ़ंड 19.12% 27.29% -2.73% -12.81% 15.87% 10.99%
नोट: दोनो फ़ंड्स के लिए बेंचमार्क निफ़्टी 500 TRI है.
  • दोनों फ़ंड्स में से, क्वांट मोमेंटम फ़ंड ने बढ़ते फ़ेज़ के दौरान अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि सैमको एक्टिव मोमेंटम फ़ंड पीछे रह गया. हालांकि, गिरावट के चरण में, भूमिकाएं उलट गईं - सैमको ज़्यादा लचीला साबित हुआ, क्वांट की तुलना में मंदी को बेहतर तरीक़े से संभाला.
  • एक्टिव निवेश की स्ट्रैटजी वाले दोनों फ़ंड्स ने 12 महीने के आधार पर बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, ये सिर्फ़ दो फ़ंड्स की कहानी है.

ये भी पढ़िए- SIP Calculator: हर महीने की कॉफ़ी या SIP? छोटी आदत, बड़ा असर!

मोमेंटम फ़ंड के फ़ायदे (What are the advantages of investing in momentum funds?)

1. ऊंचे रिटर्न की संभावना
मोमेंटम फ़ंड हाल में अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयरों में निवेश करते हैं, जिससे निवेशकों को तेज़ी वाले मार्केट में बेहतरीन रिटर्न मिल सकता है. उदाहरण के लिए, जनवरी 2024 में निवेश किए गए ₹1,00,000 की रक़म सितंबर 2024 तक निफ़्टी 500 मोमेंटम 50 इंडेक्स में बढ़कर ₹1,32,000 हो गई, जबकि इसके पैरेंट इंडेक्स में यह बढ़कर ₹1,27,000 हुआ.

2. ऑटोमैटिक स्टॉक सेलेक्शन
इन फ़ंड्स में स्टॉक्स का चुनाव ट्रेंड के आधार पर किया जाता है, जिससे निवेशक को मैन्युअल रिसर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती. ये उन निवेशकों के लिए फ़ायदेमंद है, जिनके पास शेयरों की स्टडी करने का समय नहीं है. म्यूचुअल फ़ंड कंपनियां ये काम ऑटोमेटेड एल्गोरिदम और एक्सपर्ट्स के ज़रिए करती हैं, जिससे बेहतर स्टॉक्स की पहचान आसान हो जाती है.

3. विविधता (Diversification)
ये फ़ंड अलग-अलग सेक्टर और मार्केट कैप के स्टॉक्स को शामिल कर सकते हैं, जिससे निवेश रिस्क बैलेंस रहता है. मिसाल के तौर पर, अगर टेक्नोलॉजी सेक्टर में गिरावट आती है, तो दूसरे सेक्टरों में मज़बूत प्रदर्शन करने वाले स्टॉक्स से पोर्टफ़ोलियो को स्थिर रखा जा सकता है. ये डाइवर्सिटी निवेशकों के लिए सुरक्षा देती है.

मोमेंटम फ़ंड के नुक़सान (What are the disadvantages of momentum funds?)

1. ऊंची अस्थिरता (Volatility)
जब मार्केट में गिरावट आती है, तो मोमेंटम फ़ंड अपने पैरेंट इंडेक्स के मुक़ाबले ज़्यादा गिर सकते हैं. उदाहरण के लिए, सितंबर 2024 के बाद, निफ़्टी 500 मोमेंटम 50 इंडेक्स में निवेश की गई राशि जनवरी 2025 तक ₹1,05,000 तक गिर गई, जबकि पैरेंट इंडेक्स में ये ₹Rs 1,11,000 था.

2. हाई टर्नओवर और ज़्यादा लागत
मोमेंटम फ़ंड्स में स्टॉक्स का लगातार बदलाव (High Turnover) होता है, जिससे ट्रांजैक्शन कॉस्ट ज़्यादा हो सकती है. भारतीय निवेशकों के लिए ये एक अहम बात है क्योंकि हर बार ट्रेडिंग फ़ीस और टैक्स का बोझ पड़ता है, जिससे असली रिटर्न कुछ कम हो सकता है.

3. गिरावट के समय कमज़ोर प्रदर्शन
जब मार्केट में बड़ी गिरावट आती है, तो ये फ़ंड ज़्यादा नुक़सान झेल सकते हैं क्योंकि वे हाल के ट्रेंड पर आधारित होते हैं. उदाहरण के लिए, 2020 में जब कोविड-19 के कारण मार्केट गिरा, तो मोमेंटम फ़ंड्स में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली. इसीलिए, निवेशकों को इस रणनीति को अपनाने से पहले लंबी अवधि का नज़रिया अपनाने के बारे में सोचना चाहिए.

ये भी पढ़िए- 10 साल में सबसे ज़्यादा रिटर्न देने वाले 5 Best Mutual Funds

क्या आपको मोमेंटम फ़ंड में निवेश करना चाहिए? (kya momentum funds me invest karna chahiye?)

मोमेंटम फ़ंड्स हाई रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं, लेकिन इनमें अस्थिरता भी ज़्यादा होती है. अगर आप इनमें निवेश करने की सोच रहे हैं, तो अपनी रिस्क सहने की क्षमता और निवेश की समय सीमा को ध्यान में रखकर निर्णय लें. सही रिसर्च और गाइडेंस के साथ मोमेंटम फ़ंड आपके पोर्टफ़ोलियो में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं.

1. हाल ही में अच्छा प्रदर्शन करने वाले फ़़ंड्स का पीछा करना भारी पड़ सकता है: सितंबर 2024 तक मोमेंटम फ़ंड्स के शानदार रिटर्न की ओर आकर्षित होने वाले निवेशकों को फ़िलहाल नुक़सान हो सकता है. निफ़्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फ़ंड में ₹1 लाख का निवेश केवल चार महीनों में क़रीब ₹21,000 का नुक़सान दिखा सकता है, जबकि इसके पैरेंट इंडेक्स निफ़्टी 200 में ₹12,600 का नुक़सान हुआ है.

2. सीमित इतिहास और पूरी मार्केट साइकल में प्रदर्शन साबित नहीं किया है: पैसिव और एक्टिव दोनों तरह के मोमेंटम फ़ंड अपेक्षाकृत नए हैं, उनके लंबी अवधि के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा सीमित है. कई ने पूरी मार्केट साइकल का अनुभव नहीं किया है, इसलिए केवल समय ही बताएगा कि वे अलग-अलग मार्केट की स्थितियों में कैसा प्रदर्शन करते हैं. किसी भी फ़ंड का मूल्यांकन उसके वास्तविक लचीलेपन को समझने के लिए पूरे मार्केट साइकल से गुज़रने के बाद ही करना महत्वपूर्ण है.

3. ज़्यादा उतार-चढ़ाव : मोमेंटम फ़ंड बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाले होसकते हैं. हालांकि वे तेज़ी के दौर में मज़बूत रिटर्न देते हैं, लेकिन मार्केट में गिरावट के दौरान उन्हें भारी नुक़सान उठाना पड़ता है, जैसा कि ऊपर दिए गए ज़्यादातर इंडेक्स के मामले में देखा जा सकता है.

ये भी पढ़िए- छोटी SIP का बड़ा खेल: एक जूनियर के करोड़पति बनने की कहानी

मोमेंटम फ़ंड्स पर पूछे जाने वाले आम सवाल-जवाब (FAQs)

1. मोमेंटम फ़ंड कैसे काम करते हैं?

मोमेंटम फ़ंड हाल के समय में अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टॉक्स में निवेश करते हैं. ये फ़ंड पिछले कुछ महीनों के परफ़ॉर्मेंस डेटा के आधार पर स्टॉक्स का चुनाव करते हैं और ट्रेंड फ़ॉलो करते हैं. जैसे ही स्टॉक्स का मोमेंटम कमज़ोर पड़ता है, फ़ंड मैनेजर उन्हें बदल देते हैं.

2. मोमेंटम फ़ंड किस तरह के निवेशकों के लिए सही हैं?

ये फ़ंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो हाईर रिस्क लेने को तैयार हैं और अस्थिरता (Volatility) को सहन कर सकते हैं. अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं और तेज़ी वाले मार्केट में ज़्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो ये एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

3. क्या मोमेंटम फ़ंड लंबी अवधि के लिए अच्छे हैं?

हां, लेकिन इनका प्रदर्शन मार्केट की स्थितियों पर निर्भर करता है. जब मार्केट में तेज़ी होती है, तो ये फ़ंड बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं. मगर, मंदी के समय इनका प्रदर्शन कमज़ोर हो सकता है.

4. मोमेंटम फ़ंड्स और मल्टी-कैप/लार्ज-कैप फ़ंड्स में क्या अंतर है?

मल्टी-कैप और लार्ज-कैप फ़ंड लंबी अवधि में स्थिर रिटर्न देने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं और वे फ़ंडामेंटल एनालिसिस पर ज़्यादा ध्यान देते हैं. जबकि मोमेंटम फ़ंड हाल के ट्रेंड पर ध्यान देते हैं और इनमें अस्थिरता अधिक होती है.

5. मोमेंटम फ़ंड में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

इनमें निवेश करने से पहले अपने रिस्क प्रोफाइल को समझना ज़रूरी है. साथ ही, इनका पिछला प्रदर्शन देखने के बजाय पूरे मार्केट साइकल का अध्ययन करना चाहिए.

ये भी पढ़िए- स्मॉल-कैप फ़ंड्स में पिछले साल ₹3 लाख निवेश किए थे, क्या बड़ी ग़लती हो गई?

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, क्या आपको अब भी इसमें ख़रीदारी करनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटउज्ज्वल दास

‘Buy the Dip’ की सबसे असरदार रणनीति: हर निवेशक के लिए एक ज़रूरी तरीक़ा

पढ़ने का समय 4 मिनटAmeya Satyawadi

निफ़्टी नेक्स्ट 50 ने निफ़्टी 50 को ज़्यादातर हराया: क्या अब पाला बदलने का वक़्त है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAmeya Satyawadi

Stock Rating Update: Coal India सहित इन 5 फ़ाइव-स्टार स्टॉक्स में बने मौके!

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

बफ़ेट का तरीक़ा बाज़ार के तूफ़ानों से बचने का (2008-11 के पत्र)

पढ़ने का समय 5 मिनटकार्तिक आनंद विजय

म्यूचुअल फंड पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

नये सेक्टर, पुरानी ट्रिक

क्यों हॉट' इन्वेस्टमेंट की होड़ में कॉर्पोरेट गवर्नेंस क्यों एक टिकाऊ रिटर्न का आधार बना हुआ है

दूसरी कैटेगरी