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ख़बरें आपके पोर्टफ़ोलियो की दोस्त नहीं

डीपसीक की घटना बताती है कि ख़बरों पर तुंरत रिएक्ट करना शायद ही कभी अच्छा होता है

खबरें आपके पोर्टफोलियो के दोस्त नहीं: DeepSeek से फैली घबराहट से सीखेंAI-generated image

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आप जानते हैं कि कुछ दिन पहले, डीपसीक (DeepSeek) नाम की चीनी कंपनी ने एक AI मॉडल जारी किया, जिसने टेक्नोलॉजी के अमेरिकी हलकों में हलचल मचा दी. Nvidia के शेयर में क़रीब 16 प्रतिशत की गिरावट आई, जो 3+ ट्रिलियन डॉलर के शेयरों की बहुत बड़ी गिरावट है. मुझे नहीं पता कि जब आप ये कॉलम पढ़ रहे होंगे, तब स्थिति क्या होगी, क्योंकि कई बार मार्केट में खलबली मचने के बाद तुरंत उलटा रिएक्शन भी आ जाता है, हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता.

हालांकि, जब समझ और जानकारियां सतही हो, तो बग़ैर गहराई से सोचे-समझे तुरंत प्रतिक्रिया वाली ट्रेडिंग के लिए ख़बरें एक बुरा कारण होती हैं.

पिछले हफ़्ते अमेरिकी बाज़ारों में जो हुआ, वो भारत सहित हर जगह के निवेशकों के लिए एक बेहतरीन सबक़ है. जब डीपसीक की कम कम्प्यूटेशन वाली ताक़त के साथ एडवांस AI मॉडल बनाने की क्षमता को लेकर ख़बर आई, तो दुनिया भर के बाज़ारों में जंगल की आग की तरह घबराहट फैल गई. कहानी आकर्षक थी: एक तकनीकी सफलता जिसने कथित तौर पर मौजूदा AI बूम की नींव को हिला दिया है.

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लेकिन एक पल के लिए पीछे हटें और सोचें कि हमने अलग-अलग सेक्टर में इस पैटर्न को न जाने कितनी बार देखा है. अक्सर सुबह की ख़बरों में, जो इंडस्ट्री को बदल डालने वाले रहस्योद्घाटन लगते हैं, वो आमतौर पर टेक्नोलॉजी और बिज़नस के लगातार चल रहे विकास में एक घटना के तौर पर रह जाते हैं.

मुझे भारत में ई-कॉमर्स के शुरुआती दिनों की याद आती है जब ऑनलाइन रिटेल में हर नया विदेशी निवेश या टेक्नोलॉजी का बेहतर होना पारंपरिक रिटेल शेयरों को नीचे गिरा देता था. आज, जबकि ई-कॉमर्स ने रिटेल सेक्टर को पूरी तरह बदल दिया है, तब कई पारंपरिक रिटेलर जिन्होंने अपनी बुनियादी ताक़त पर ध्यान दिया, वो हालात के मुताबिक़ ढ़लने और ख़ुद को बेहतर बना कर टिके रहने में कामयाब भी रहे हैं और मज़बूत भी हुए हैं.

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ये मुझे मार्केट के व्यवहार को लेकर एक महत्वपूर्ण विषय पर लाता है जिसे हर निवेशक को समझना चाहिए. मार्केट अक्सर ख़बरों पर इस तरह प्रतिक्रिया देते हैं जैसे दुनिया काली और सफेद हो, जैसे कि हर बदलाव के चलते एक स्पष्ट विजेता और एक हारने वाला होना ही चाहिए. हालांकि, वास्तविकता दो अतियों के बीच में होती है. टेक्नोलॉजी की ज़्यादातर सफलताएं पहले से मौजूद हर चीज़ को ख़त्म करने के बजाय मौजूदा अवसरों में बदलाव से नए मौक़े पैदा करती हैं.

किसी भी बड़ी घोषणा के कुछ ही मिनटों के भीतर हमारे फ़ोन और स्क्रीन पर तुंरत दिख जाने वाला अनालेसिस ख़ासतौर पर ख़तरनाक है. ये आनन-फानन में किया गया अनालेसिस शायद ही कभी बिज़नस की वास्तविकताओं को पूरी जटिलता में पकड़ पाता है. इससे भी बड़ी बात है कि ऐसे अनालेसिस अक्सर पहले से स्थापित व्यवसायों के नई चुनौतियों के मुताबिक़ ढलने और बढ़ने की क्षमताओं को अनदेखा कर देते हैं.

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आज हम ग्लोबल टेक सेक्टर में जो देख रहे हैं, वो ज़रूरी नहीं कि कोई क्रांतिकारी पल हो जो मौजूदा टेक्नोलॉजी को बेकार साबित कर दे, बल्कि ये टेक्नोलॉजी के लगातार होने वाले विकास में एक और क़दम हो सकता है. भारतीय निवेशकों के लिए, सबक़ ये नहीं है कि कौन सी ग्लोबल टेक्नोलॉजी का स्टॉक ख़रीदना या बेचना है, बल्कि ये है कि अपने पोर्टफ़ोलियो में ख़बरों के चलते मार्केट की उठा-पटक से कैसे निपटना है.

जब आप किसी टेक्नोलॉजी के सफल होने की बात सुनते हैं जो आपके द्वारा निवेश की गई कंपनी या सेक्टर को ख़तरे में डाल रही है, तो तुरंत प्रतिक्रिया करने की अपनी इच्छा पर लगाम कस कर रखें. अपने आप से पूछें: क्या ये ख़बर असल में उन बुनियादी कारणों को बदल देती है जिनके कारण आपने पहले-पहल ये निवेश किया था? क्या मार्केट की घबराहट उस बिज़नस मॉडल के लिए वास्तविक ख़तरे बता रही है, या ये केवल भविष्य की अनिश्चितता पर प्रतिक्रिया दे रही है?

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जैसा कि मैंने अक्सर सुझाया है, सबसे अक्लमंदी भरा क़दम उन बुनियादी बातों पर ध्यान देना है जो आपके निवेश के फ़ैसलों को सबसे पहले प्रभावित करते हैं. अगर आप किसी कंपनी के मैनेजमेंट, मार्केट की स्थिति और लंबे समय की क्षमता पर विश्वास करते हैं, तो बुनियादी तौर पर क्या कुछ बदला है? या क्या हम बाज़ार के ड्रामे का एक और एपिसोड देख रहे हैं जो पीछे मुड़कर देखने पर काफ़ी अलग लगेगा?

याद रखें, जीवन की तरह, निवेश में पहली प्रतिक्रिया शायद ही कभी सही रहती है. एक गहरी सांस लीजिए, न्यूज़ अलर्ट बंद कीजिए, और ख़ुद को सोचने का वक़्त दीजिए. मार्केट कल भी वहीं रहेगा, और आपका पोर्टफ़ोलियो आपके धीरज के लिए आपका शुक्रिया अदा करेगा.

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