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सेंसेक्स क्या है?

शेयर बाज़ार के नए निवेशक के लिए सेंसेक्स के बारे में जानना समझना ज़रूरी है

SENSEX क्या है? | Meaning Of Sensex In Hindi | निवेश कैसे करें

सेंसेक्स शब्द का क्या अर्थ है? (SENSEX Full Form In Hindi)

सेंसेक्स का पूरा नाम "Stock Exchange Sensitive Index" है. ये बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का एक प्रमुख सूचकांक (इंडेक्स) है, जिसमें 30 सबसे बड़ी और मज़बूत कंपनियों को शामिल किया जाता है.

सेंसेक्स का इतिहास (History of Sensex In Hindi)

सेंसेक्स का इतिहास भारतीय शेयर बाज़ार के विकास का प्रतीक है. 1 जनवरी 1986 को सेंसेक्स की स्थापना हुई, जिसमें प्रमुख 30 कंपनियों को शामिल किया गया. शुरुआती दिनों में, ट्रेडिंग मैन्युअल तरीक़े से होती थी, जहां ब्रोकर या दलाल खुली बोली लगाकर लेन-देन करते थे. 1995 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के डिजिटल होने से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है.

निवेशकों की संख्या में भी समय के साथ बड़ी ग्रोथ हुई है. SEBI के मुताबिक़, मौजूदा समय में क़रीब 32.38 करोड़ निवेशक प्लेटफ़ॉर्म पर रजिस्टर्ड हैं.

इसके अलावा, 2024 में क़रीब 22.5 करोड़ निवेशक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) के ज़रिए निवेश कर रहे थे, जो मासिक औसतन ₹22,360 करोड़ का निवेश करते थे.

ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारतीय शेयर बाज़ार में निवेशकों की भागीदारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो देश की आर्थिक प्रगति और वित्तीय समावेशन (फ़ाइनेंशियल इनक्लूज़न) की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है.

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सेंसेक्स की सबसे बड़ी घटनाएं

भारतीय शेयर बाज़ार का सफ़र उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. सेंसेक्स ने कई अहम घटनाओं का सामना किया, जो न केवल निवेशकों के विश्वास को प्रभावित करने वाली रहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पूरे तंत्र को भी हिला कर रख दिया. शुरुआती दौर में शेयर बाज़ार में निवेशक पूरी तरह से ट्रेडिंग फ़्लोर पर निर्भर थे, जहां बोली लगाकर ट्रेड या सौदे होते थे. समय के साथ, जैसे-जैसे नई टेक्नोलॉजी आती गई, तो निवेशकों को तेज़ी से जानकारियां मिलनी शुरू हुई. लेकिन इस सफ़र में कई उतार-चढ़ाव आए. कुछ अहम घटनाएं इस तरह रहीं.

1992 - हर्षद मेहता स्कैम: ये घोटाला भारतीय शेयर बाज़ार का पहला बड़ा झटका था, जिसने न केवल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) बल्कि लाखों छोटे निवेशकों को भारी नुक़सान पहुंचाया. इस घोटाले में बैंकिंग सिस्टम की खामियों का फ़ायदा उठाकर बाज़ार में कृत्रिम उछाल लाया गया, जिसके बाद शेयर बाज़ार धड़ाम से गिर गया.

2008 - ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस: अमेरिका के सबप्राइम क्राइसिस के कारण सेंसेक्स ने भारी गिरावट देखी. इस संकट ने निवेशकों का विश्वास बुरी तरह हिला दिया और भारतीय शेयर बाज़ार को ग्लोबल फ़ाइनेंशियल संकट की मार झेलनी पड़ी.

2020 - COVID-19 महामारी: जब पूरी दुनिया एक अदृश्य दुश्मन से लड़ रही थी, तब भारतीय शेयर बाज़ार भी अछूता नहीं रहा. लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों में ठहराव के कारण सेंसेक्स में ऐतिहासिक गिरावट आई. हालांकि, सरकार और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के क़दम उठाने की बदौलत बाज़ार ने फिर से मज़बूती हासिल की और तेज़ी से रिकवरी भी देखी गई.

इन घटनाओं के बाद सेबी ने बाज़ार में विश्वास बहाल करने के लिए कड़े नियम लागू किए, जिससे आज भारतीय शेयर बाज़ार ज़्यादा पारदर्शी और निवेशकों के लिए सुरक्षित बन पाया है. हालांकि व्यवस्था में सुधार एक लगातार चलती रहने वाली प्रक्रिया है और आगे भी ऐसा ही होता रहेगा.

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सेंसेक्स कैसे काम करता है? (How Sensex Works In Hindi)

सेंसेक्स का मूल्यांकन "फ़्री फ़्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन" के आधार पर किया जाता है. इसका मतलब है कि केवल पब्लिक के पास मौजूद शेयरों का मूल्य ही इसमें गिना जाता है. जब इन कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें बढ़ती हैं, तो सेंसेक्स भी बढ़ता है, और अगर क़ीमतें गिरती हैं, तो सेंसेक्स नीचे आता है.

सेंसेक्स कैसे कैलकुलेट करें? (How to Calculate Sensex In Hindi)

सेंसेक्स का कैलकुलेशन इस फ़र्मूले से किया जाता है:

उदाहरण: अगर फ़्री फ़्लोट मार्केट कैप 50,000 करोड़ और बेस वैल्यू 100 है, तो सेंसेक्स 50,000 हो सकता है.

सेंसेक्स में शामिल कंपनियां (Components of Sensex In Hindi)

कंपनी का नाम सेक्टर
रिलायंस ऊर्जा
टाटा कंसल्टेंसी आईटी
एचडीएफसी बैंक बैंकिंग
BSE हर छह महीने में कंपनियों की समीक्षा कर घटक कंपनियों में बदलाव कर सकता है.

सेंसेक्स के फ़ायदे (Advantages of Sensex In Hindi)

  1. मार्केट का बैरोमीटर: ये भारतीय अर्थव्यवस्था की कुल स्थिति को दिखाता है.
  2. पारदर्शिता: निवेशकों को भारतीय शेयर बाज़ार के मूड को समझने में मदद करता है.
  3. डायवर्सिफ़िकेशन : इसमें अलग-अलग सेक्टर की कंपनियां शामिल होती हैं, जिससे रिस्क कम होता है.

सेंसेक्स के नुक़सान (Disadvantages of Sensex In Hindi)

  1. सीमित कंपनियां: केवल 30 कंपनियां शामिल होने के कारण यह पूरे बाज़ार को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता.
  2. बाज़ार में अस्थिरता: सेंसेक्स में तेज़ी से उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, जिससे छोटे निवेशक घबरा सकते हैं.

सेंसेक्स और निफ़्टी में क्या अंतर है? (Difference Between Sensex and Nifty in Hindi)

सेंसेक्स और निफ़्टी भारतीय शेयर बाज़ार के दो बड़े इंडेक्स (प्रमुख सूचकांक) हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं.

तुलना SENSEX Nifty
एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
कंपनियों की संख्या 30 कंपनियां 50 कंपनियां
स्थापना का साल 1986 1996
इंडेक्स कैलकुलेशन का तरीक़ा फ़्री फ़्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन फ़्री फ़्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन
इंडस्ट्री कवरेज सीमित लेकिन प्रमुख कंपनियां ज़्यादा व्यापक

सेंसेक्स पुरानी और ज़्यादा स्थापित कंपनियों को प्राथमिकता देता है, जबकि निफ़्टी ज़्यादा अलग-अलग तरह की डाइवर्स और नई कंपनियों को शामिल करता है.

सेंसेक्स में निवेश कैसे करें? (How to Invest in Sensex in Hindi)

सेंसेक्स में निवेश करने के लिए निवेशकों के पास कई विकल्प हैं:

  1. इंडेक्स फंड्स:
    • सेंसेक्स इंडेक्स फ़ंड्स में निवेश करके आप पूरे इंडेक्स के प्रदर्शन का फ़ायदा उठा सकते हैं.
    • ये फ़ंड्स कम लागत और कम रिस्क के साथ सेंसेक्स को ट्रैक करते हैं.
  2. एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs):
    • ETF में निवेश करने से आप सीधे सेंसेक्स के प्रदर्शन को अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल कर सकते हैं.
    • ETFs को शेयर बाज़ार में उसी तरह ख़रीदा-बेचा जा सकता है जैसे दूसरे स्टॉक्स.
  3. डायरेक्ट स्टॉक इन्वेस्टमेंट:
    • सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के शेयर ख़रीदकर आप सीधे निवेश कर सकते हैं.
    • इसके लिए आपको कंपनियों की गहरी रिसर्च और उनके भविष्य की संभावनाओं को समझना होगा.
  4. म्यूचुअल फ़ंड्स:
    • SIP के जरिए धीरे-धीरे निवेश करना लंबी अवधि में एक मज़बूत फ़ाइनेंशियल प्लान साबित हो सकती है.
    • वैल्यू रिसर्च धनक जैसी सर्विस निवेशकों को सही फ़ंड चुनने में मदद कर सकती हैं.

निष्कर्ष (Conclusion)

सेंसेक्स भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पैमाना है. इसके ज़रिए निवेशक भारतीय शेयर बाज़ार में हो रहे बदलावों को समझ सकते हैं और अपने निवेश निर्णयों को बेहतर बना सकते हैं. पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय बाज़ार ने अभूतपूर्व ग्रोथ दर्ज की है, जिससे आज करोड़ों निवेशक इसमें शामिल हो चुके हैं.

अगर आप निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं, तो वैल्यू रिसर्च धनक जैसी सर्विस आपको सही दिशा में गाइड कर सकती हैं. ये प्लेटफ़ार्म आपको आपके निवेश लक्ष्यों, जोखिम सहने की क्षमता और निवेश की अवधि के अनुसार बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड्स और स्टॉक्स चुनने में मदद करता है.

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सेंसेक्स पर कुछ आम सवाल (FAQs)

1. सेंसेक्स कैसे बनता है?

सेंसेक्स 30 प्रमुख कंपनियों के स्टॉक्स के प्रदर्शन के आधार पर बनता है, जिनका चुनाव मार्केट कैपिटलाइज़ेशन, सेक्टर का प्रतिनिधित्व और स्थिरता के आधार पर किया जाता है. इसका कैलकुलेशन "फ़्री फ़्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन" टेकनीक से की जाती है.

2. सेंसेक्स और निफ़्टी में क्या मुख्य अंतर है?

सेंसेक्स में BSE की 30 प्रमुख कंपनियां शामिल होती हैं, जबकि निफ़्टी में NSE की 50 कंपनियां होती हैं. सेंसेक्स ज़्यादा ऐतिहासिक महत्व रखता है, जबकि निफ़्टी व्यापक कवरेज देता है.

3. सेंसेक्स में निवेश करने के लिए सबसे अच्छा तरीक़ा क्या है?

निवेशकों के लिए सेंसेक्स में निवेश करने का सबसे आसान तरीक़ा इंडेक्स फ़ंड्स और ETFs हैं, जो पूरे इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं और कम ख़र्चीले होते हैं.

4. क्या सेंसेक्स में निवेश करना सुरक्षित है?

हां, लेकिन शेयर बाज़ार स्वाभाविक रूप से जोखिम भरा होता है. लंबी अवधि के लिए निवेश करने और सही फ़ंड्स में निवेश करने से जोखिम को कम किया जा सकता है.

5. सेंसेक्स में कौन-कौन सी कंपनियां शामिल हैं?

सेंसेक्स में 30 कंपनियां शामिल हैं, जैसे कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़, TCS, HDFC बैंक, इंफ़ोसिस, आदि. इन कंपनियों का चुनाव उनकी मार्केट वैल्यू और परफ़ॉर्मेंस के आधार पर किया जाता है.

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