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NSE और BSE में क्या अंतर है?

भारत के स्टॉक एक्सचेंज की दिलचस्प कहानी

NSE और BSE में क्या अंतर है? जानें भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज की कहानी

आज जब हम स्टॉक मार्केट की बात करते हैं, तो दो बड़े नाम सामने आते हैं - NSE (National Stock Exchange) और BSE (Bombay Stock Exchange). लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों की शुरुआत कैसे हुई और कैसे ये भारत के आर्थिक विकास की धुरी बने? आइए, इतिहास से लेकर डिजिटल युग तक के इस सफ़र पर नज़र डालें. पर पहले ये तो समझें कि ये स्टॉक एक्सचेंज हैं क्या और ये करते क्या हैं.

स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहां कंपनियों के शेयर, बॉन्ड और दूसरे अन्य वित्तीय उपकरण (फ़ाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट) ख़रीदे और बेचे जाते हैं. ये निवेशकों और कंपनियों को जोड़ने का एक ज़रिया हैं. यहां हम जिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) नाम के दो एक्सचेंजों की बात कर रहे हैं वो भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों में शुमार हैं.

स्टॉक एक्सचेंज न केवल कंपनियों को पूंजी जुटाने का मौक़ा देते हैं, बल्कि निवेशकों को अपनी संपत्ति बढ़ाने के मौक़े भी देते हैं. NSE और BSE मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं.

अब लगे हाथ एक और टर्म की बात कर लेते हैं जो अक्सर इस्तेमाल में आता है और वो है मार्केट इंडेक्स.

मार्केट इंडेक्स क्या है?

मार्केट इंडेक्स एक ऐसा मानक (पैरामीटर) है जो स्टॉक मार्केट के प्रदर्शन को मापने और ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये एक चुने हुए समूह के शेयरों को दिखाता है, जो किसी ख़ास सेक्टर, मार्केट कैप (कंपनी का साइज़) या दूसरे मानदंडों के आधार पर चुने जाते हैं. इंडेक्स का इस्तेमाल निवेशकों को ये समझने में मदद करता है कि बाज़ार या किसी ख़ास सेक्टर का प्रदर्शन कैसा है.

भारत में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंजों NSE और BSE के अपने मार्केट इंडेक्स हैं, जो उनके ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्टिड कंपनियों के प्रदर्शन को दिखाते हैं. इसकी एक-एक मिसाल देखते हैं:

  • NSE NIFTY 50:
    NSE का प्रमुख इंडेक्स है निफ़्टी 50. ये भारत की टॉप 50 बड़ी कंपनियों को कवर करता है, जो अलग-अलग सेक्टर से हैं. निफ़्टी 50 भारतीय अर्थव्यवस्था और बाज़ार के प्रदर्शन का एक व्यापक इंडीकेटर है.
  • BSE Sensex:
    BSE का प्रमुख इंडेक्स है सेंसेक्स (सेंसेटिव इंडेक्स). ये BSE पर लिस्टिड 30 बड़ी, स्थिर और बुनियादी तौर पर मज़बूत कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है.

सेंसेक्स और निफ़्टी, दोनों ही निवेशकों को ये समझने में मदद करते हैं कि मार्केट किस दिशा में जा रहा है. उदाहरण के लिए, अगर निफ़्टी या सेंसेक्स बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि मार्केट में सकारात्मकता है.

मार्केट इंडेक्स, निवेशकों को मार्केट के मूड और प्रदर्शन का एक सरल और स्पष्ट संकेत देता है, जिससे उन्हें निवेश के निर्णय लेने में मदद मिलती है.

भारत के शेयर बाज़ार का इतिहास

भारतीय शेयर बाज़ार का इतिहास अनेक दिलचस्प घटनाओं और बड़े बदलावों से भरा पड़ा है. BSE और NSE की स्थापना और विकास से जुड़ी कुछ कहानियां सुनने वाली हैं. BSE एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज हैं.

  • BSE की स्थापना और शुरुआती दौर
    बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की स्थापना 9 जुलाई 1875 को प्रेमचंद रॉयचंद द्वारा की गई थी, जो उस समय के बड़े व्यापारी और 'कॉटन किंग' के नाम से जाने जाते थे. मज़ेदार बात ये है कि शुरुआत दिनों में, दलाल स्ट्रीट पर एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयर ट्रेडिंग होती थी, जहां 22 ब्रोकर इकट्ठा होकर लेन-देन किया करते थे.
  • प्रेमचंद रॉयचंद की भूमिका
    प्रेमचंद रॉयचंद की ग़ज़ब की यादाश्त के लिए जाने जाते थे; वे बिना किसी काग़ज़-क़लम के अपने सभी लेन-देन याद रखते थे. उन्होंने 1858 तक क़रीब ₹1 लाख की संपत्ति कमा ली थी, जो उस समय बहुत बड़ी रक़म हुआ करती थी. 1861 में अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान, भारत कपास के व्यापार का केंद्र बन गया, जिससे प्रेमचंद ने भारी मुनाफ़ा कमाया. हालांकि, 1865 में युद्ध ख़त्म होने के बाद उन्हें वित्तीय संकट से जूझना पड़ा, लेकिन उन्होंने दोबारा वापसी की और फिर से संपत्ति खड़ी कर दी.
  • दलाल स्ट्रीट कैसे बनी
    ब्रोकरों का नंबर काफ़ी बढ़ जाने के कारण, ब्रोकरों को अपने काम करने की जगह कई बार बदलनी पड़ी. अंत में, 1874 में, उन्होंने मुंबई की दलाल स्ट्रीट में एक पक्का ठिकाना बनाया गया, जो आज भी BSE का हेडक्वार्टर है. दलाल स्ट्रीट का नाम भी इन्हीं ब्रोकरों की मौजूदगी के कारण पड़ा.

NSE: आधुनिकता की ओर बढ़ते क़दम

स्थापना और उद्देश्य
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना 1992 में हुई, जिसका मक़सद भारतीय कैपिटल मार्केट में पारदर्शिता लाना और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल था. ये भारत का पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंज बना, जिसने पेपर ट्रेडिंग की जगह डिजिटल ट्रेडिंग होने लगी.

  • डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका
    NSE की स्थापना में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बड़ी भूमिका रही. मई 1992 में, उन्होंने NSE के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिससे भारतीय फ़ाइनेंशियल मार्केट्स का आधुनिकीकरण हुआ और BSE के प्रभुत्व को चुनौती मिली. स्वीडिश मॉडल से प्रेरित होकर, NSE ने ऑर्डर-ड्रिवन सिस्टम को अपनाया, जिससे पारदर्शिता और ज़्यादा काम अंजाम देने की दक्षता बढ़ी.
  • प्रारंभिक चुनौतियां और सफलता
    NSE ने अपने शुरुआती दिनों में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपनी तकनीकी श्रेष्ठता और पारदर्शिता के कारण ये तेज़ी से लोकप्रिय हुआ. आज, ये वॉल्यूम के लिहाज़ से भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जहां 1,600 से ज़्यादा कंपनियां लिस्टिड हैं.

ये भी पढ़िए- सही लिक्विड फ़ंड कैसे चुनें? 5 स्टेप गाइड से समझें

प्रमुख घटनाएं और सुधार
कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जो हादसे ही कहे जा सकते हैं और जिनकी वजह से बहुत से लोगों को नुक़सान उठाना पड़ा. मगर इन्हें भी याद रखना ज़रूरी है क्योंकि इनके चलते ही भारत के इन दो इंडेक्स में नए रेग्युलेटरी नियम बनाए गए और सुधार हुए जिनका निवेशकों को फ़ायदा मिल रहा है.

  • हर्षद मेहता घोटाला (1992)
    1992 में हुए इस घोटाले ने भारतीय शेयर बाज़ार की कमज़ोरियों को उजागर किया, जिससे SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने कड़े रेग्युलेटरी सुधार लागू किए. इस घटना ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, जिससे बाद में NSE की स्थापना के रास्ते बने.
  • केतन पारेख घोटाला (2001)
    इस घोटाले ने बाज़ार में पारदर्शिता और निगरानी तंत्र की अहमियत को दोबारा उजागर किया. सेबी ने इसके बाद और सख़्त नियम लागू किए, जिससे निवेशकों का विश्वास बहाल हुआ.
  • डिजिटल युग की शुरुआत
    1995 में BSE ने BOLT (BSE Online Trading) सिस्टम की शुरुआत की, जिससे ट्रेडिंग प्रक्रिया तेज़ और सुरक्षित हुई. NSE ने भी अपनी इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम को बेहतर किया, जिससे निवेशकों को ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा मिली.

BSE और NSE की स्थापना और विकास की ये कहानियां भारतीय कैपिटल मार्केट की प्रगति और बदलावों की कहानी कहती हैं. इन एक्सचेंजों ने समय-समय पर चुनौतियों का सामना करते हुए इनोवेशन और पारदर्शिता को अपनाया, जिससे आज भारतीय शेयर बाजार दुनिया के बड़े बाज़ारों में से एक बन चुका है.

बड़ी घटनाएं और सुधार

वर्ष घटना प्रभाव
1992 हर्षद मेहता घोटाला SEBI की स्थापना और बाजार में पारदर्शिता लाने के प्रयास.
2001 केतन पारेख घोटाला नियामक सुधार और कड़े निगरानी तंत्र लागू.
2020 कोविड-19 का प्रभाव डिजिटल ट्रेडिंग में वृद्धि और निवेशकों की संख्या में उछाल.

रेग्युलेटरी क़दम: SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने इन घटनाओं के बाद नियमों को कड़ा किया, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा.

NSE और BSE बीच बड़े अंतर

विशेषता BSE NSE
स्थापना वर्ष 1875 1992
मुख्यालय मुंबई मुंबई
ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म BOLT (BSE ऑनलाइन ट्रेडिंग) NEAT (नेशनल एक्सचेंज फॉर ऑटोमेटेड ट्रेडिंग)
लिस्टेड कंपनियां 5,000+ 2,000+
प्रमुख इंडेक्स Sensex Nifty

ये भी पढ़िए- पोर्टफ़ोलियो क्या है? इसे बनाने का सही तरीक़ा जानें

डिजिटल युग में बदलाव

1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में भारतीय शेयर बाज़ार ने डिजिटल क्रांति देखी. NSE ने 1994 में पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग शुरू की, जिसने निवेशकों के लिए ट्रेडिंग को तेज़, आसानी से उपलब्ध और पारदर्शी बना दिया. इसके बाद BSE ने भी अपने प्लेटफ़ॉर्म को डिजिटलाइज़ किया.

  • आज क्या स्थिति है:
    • 2023 तक, भारत में 11 करोड़ से ज़्यादा पैन कार्ड-लिंक्ड डीमैट अकाउंट होल्डर हैं. (स्रोत: SEBI)
    • 1990 के दशक में ये नंबर केवल कुछ लाख ही थी.

भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेशकों की बढ़ती संख्या

आज भारतीय स्टॉक मार्केट न केवल भारत की आर्थिक प्रगति का आईना है, बल्कि दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों में से एक है.

वर्ष डीमैट खातों की संख्या
2000 4 लाख
2010 2 करोड़
2023 11 करोड़

नए निवेश कैसे आसानी से मार्केट में निवेश का फ़ायदा उठाएं

यूं तो आज स्टॉक में निवेश करना बेहद आसान है मगर सही स्टॉक चुनना एक टेढ़ी खीर है. यहीं पर स्टॉक निवेश का फ़ायदा देने के लिए म्यूचुअल फ़ंड एक अच्छा विकल्प बन जाते हैं. पर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं?

  • डाइवर्सिफ़िकेशन: म्यूचुअल फ़ंड्स अलग-अलग एसेट क्लास (जैसे बॉन्ड और स्टॉक्स) में निवेश का मौक़ा देते हैं.
  • पेशेवर मैनेजमेंट: ये फ़ंड पेशेवर फ़ंड मैनेजरों द्वारा संचालित होते हैं.
  • लचीलापन: आप SIP (Systematic Investment Plan) के ज़रिए छोटे-छोटे निवेश कर सकते हैं.
  • रिस्क मैनेजमेंट: Mutual Funds निवेश को अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर जोखिम कम करते हैं.

भारत का स्टॉक मार्केट आज निवेश के सबसे आकर्षक अवसरों में से एक है. NSE और BSE ने निवेशकों के लिए अनेक विकल्प दिए हैं. वैल्यू रिसर्च धनक आपकी निवेश यात्रा को आसान और फ़ायदेमंद बनाने के लिए तैयार है. चाहे आप स्टॉक्स में सीधे निवेश करना चाहें या म्यूचुअल फ़ंड्स के ज़रिए, ये प्लेटफ़ॉर्म आपके लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा. आज ही अपने निवेश के सफ़र की शुरुआत करें!

ये भी पढ़िए- रेगुलर से डायरेक्ट म्यूचुअल फ़ंड प्लान में कैसे स्विच करें

NSE और BSE पर कुछ आम सवाल (FAQs)

1. NSE और BSE में कौन बेहतर है?

ये आपकी ज़रूरत पर निर्भर करता है. NSE पर ज़्यादा लिक्विडिटी है, जबकि BSE पर ज़्यादा कंपनियां लिस्टिड हैं. दोनों का इस्तेमाल ट्रेडिंग और निवेश के लिए किया जा सकता है.

2. क्या मैं एक ही स्टॉक को NSE और BSE दोनों पर ख़रीद सकता हूं?

हां, अगर वो स्टॉक दोनों एक्सचेंज पर लिस्टिड है. लेकिन क़ीमत में थोड़ा अंतर हो सकता है.

3. Mutual Funds में निवेश कैसे शुरू करें?

आप एक डीमैट अकाउंट खोलें और अपनी निवेश की प्राथमिकता के आधार पर फ़ंड चुनें. SIP से निवेश करना सबसे आसान है.

4. भारत में स्टॉक निवेश की न्यूनतम आयु क्या है?

18 साल. हालांकि, नाबालिग के लिए गार्जियन के साथ अकाउंट खोला जा सकता है.

5. वैल्यू रिसर्च फ़ंड एडवाइज़र क्या है?

ये एक म्यूचुअल फ़ंड में निवेश की सलाह देने वाली सेवा है, जो आपको सही स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड चुनने के साथ-साथ आपके पूरे निवेश पोर्टफ़ोलियो को बनाने, उसे दुरुस्त रखने और नए सुझाव पाने में मदद करती है. ये लंबे समय के निवेशों के लिए एक भरोसेमंद गाइड है.

6. बाज़ार सूचकांक और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर है?

स्टॉक एक्सचेंज एक प्लेटफ़ॉर्म है जहां निवेशक शेयर, बॉन्ड और दूसरे वित्तीय साधन ख़रीदते और बेचते हैं, जैसे भारत में NSE और BSE . ये कंपनियों और निवेशकों को जोड़ने का माध्यम है.

वहीं, बाजार सूचकांक (Market Index) स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों के प्रदर्शन को मापने का एक साधन है. उदाहरण के लिए, सेंसेक्स (BSE) और निफ़्टी 50 (NSE).

स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग की प्रक्रिया संचालित करता है, जबकि बाजार सूचकांक उस पर आधारित कंपनियों के सामूहिक प्रदर्शन का संकेत देता है.

ये भी पढ़िए- FD vs Mutual Fund: आपके लिए क्या बेहतर है?

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


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