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म्यूचुअल फ़ंड में IDCW क्या है?

क्या ये लंबे समय के निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प है या आप रिटर्न पर समझौता कर रहे हैं?

Mutual Funds में IDCW क्या है? क्या आपको Invest करना चाहिए?AI-generated image

IDCW या इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विड्रॉल प्लान्स, एक प्रकार के म्यूचुअल फ़ंड हैं जहां फ़ंड की तरफ से इन्वेस्टर्स को डिविडेंड बांटा जाता है. ये भुगतान फ़ंड के मुनाफ़े या निवेश की गई रक़म के एक हिस्से से हासिल होते हैं.

इस लेख में, हम जानेंगे कि म्यूचुअल फ़ंड में IDCW कैसे काम करता है, उनके टैक्स के नियम, सामान्य ग़लतफहमियां क्या हैं और क्या वे लंबे समय के निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं. चलिए शुरू करते हैं!

म्यूचुअल फ़ंड में IDCW कैसे काम करता है?
IDCW प्लान म्यूचुअल फ़ंड द्वारा दिए जाने वाले भुगतान विकल्प के रूप में काम करते हैं. यहां बताया गया है कि वे कैसे काम करते हैं:

  • डिविडेंड की घोषणा: जब कोई फ़ंड हाउस डिविडेंड पेआउट का विकल्प चुनता है, तो म्यूचुअल फ़ंड की प्रति यूनिट पर एक ख़ास डिविडेंड की घोषणा की जाती है.
  • वापस मिले कॉर्पस का हिस्सा: ये भुगतान कोई अतिरिक्त फ़ायदा नहीं है, बल्कि आपकी निवेश की गई रक़म का एक हिस्सा आपको वापस लौटाया जाता है।

आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:

मान लीजिए कि आपके पास ₹200 प्रति यूनिट की क़ीमत वाले म्यूचुअल फ़ंड की 1,000 यूनिट हैं. फ़ंड हाउस ने ₹2 प्रति यूनिट के डिविडेंड भुगतान की घोषणा की है. आपको निम्नलिखित डिविडेंड मिलेगा:

1,000 यूनिट x ₹2 प्रति यूनिट = ₹Rs 2,000

हालांकि, ये भुगतान आपके फ़ंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) को उसी अनुपात में कम कर देता है. इस मामले में, NAV कम हो जाएगा और ये ₹198 प्रति यूनिट पर आ जाएगा. नतीजतन, आपका कुल कॉर्पस डिविडेंड की रक़म से कम हो जाता है।

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IDCW प्लान्स पर टैक्स
किसी भी लंबे समय के निवेशक के लिए, म्यूचुअल फ़ंड चुनते समय टैक्सेशन पर विचार करना ज़रूरी होता है:

  • स्लैब रेट्स के आधार पर टैक्स: म्यूचुअल फ़ंड में IDCW से मिले डिविडेंड पर आपकी व्यक्तिगत इनकम टैक्स स्लैब रेट पर टैक्स लगाया जाता है. ये आपके टैक्स के बाद के रिटर्न को ख़ासा प्रभावित कर सकता है, ख़ासकर अगर आप ऊंचे टैक्स ब्रेकेट में आते हैं.
  • कोई टैक्स बेनेफ़िट नहीं: ग्रोथ प्लान में जहां आपको रिडेम्शन तक टैक्स को टालने की अनुमति मिलती है, वहीं, IDCW प्लान में डिविडेंड मिलते ही टैक्स का बोझ पड़ जाता है.

IDCW प्लान्स के बारे में सामान्य ग़लतफहमियां क्या हैं?
म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों के बीच इनके व्यापक चलन के बावजूद, इन प्लान्स को काफ़ी ग़लत समझा जाता है. हम इनमें से कुछ मिथकों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं:

1. हर बार डिविडेंड भुगतान फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो में शामिल शेयर की तरफ़ से डिविडेंड मिलने के कारण किया जाता है
भले ही, डिविडेंड का भुगतान डिविडेंड की घोषणा करने वाले शेयरों से किया जा सकता है, लेकिन, इसका भुगतान संबंधित शेयरों को बेचकर होने वाले फ़ायदे से भी किया जा सकता है.

2. डिविडेंड आपको मिलने वाला कैपिटल गेन से अलग होता है
मिलने वाला डिविडेंड अतिरिक्त इनकम नहीं है. इसके बजाय, वे स्टॉक बेचने से हुए फ़ायदे का एक हिस्सा हैं, जिसका अर्थ है कि आपकी मौजूदा पूंजी का वो हिस्सा आपको वापस दिया जा रहा है.

3. म्यूचुअल फ़ंड नियमित रूप से डिविडेंड का भुगतान करने के लिए मुनाफ़ा बुक करते हैं
ये सच नहीं है. डिविडेंड का भुगतान फ़ंड मैनेजर के विवेक पर निर्भर करता है. इसलिए, फ़ंड हाउस किसी भी मनमाने समय पर डिविडेंड भुगतान की पेशकश करने का फैसला कर सकता है.

क्या आपको इनमें निवेश करना चाहिए?
हमारी सलाह है कि इन प्लान्स से बचें. प्राथमिक मुद्दों में से एक ये है कि वे डिविडेंड को पुनः निवेश नहीं करते हैं. इसके बजाय, डिविडेंड का भुगतान किया जाता है, जो निवेश के नेट एसेट वैल्यू (NAV) को कम करता है और कंपाउंडिंग की संभावना को सीमित करता है.

इसके अतिरिक्त, म्यूचुअल फ़ंड में IDCW से मिलने वाले डिविडेंड पर निवेशक की स्लैब दर पर टैक्स लगाया जाता है, जो रिटर्न को काफ़ी हद तक कम कर सकता है. ये उन्हें किसी भी निवेशक के लिए एक कमज़ोर विकल्प बनाता है, यहां तक ​​कि नियमित भुगतान चाहने वालों के लिए भी ये ऐसा ही है, क्योंकि टैक्स का बोझ निवेश पर प्रभावी रिटर्न को और कम कर देता है.

अंत में, डिविडेंड का भुगतान किसी भी मनमानी तारीख़ पर किया जाता है. इससे इसे नियमित इनकम का स्रोत बनाना मुश्किल हो जाता है.

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निष्कर्ष: सही विकल्प कैसे चुनें
भले ही, म्यूचुअल फंड में IDCW रिटायरमेंट इनकम देने या पैसिव इनकम उपलब्ध कराने के लिए एक व्यवहार्य विकल्प की तरह लग सकता है, लेकिन वास्तविकता काफ़ी अलग है. डिविडेंड पर स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है; यदि आप ऊंचे टैक्स ब्रेकेट में हैं, तो आपके पास पैसा बहुत कम बचता है. साथ ही, आपके डिविडेंड पर तुरंत टैक्स लगाया जाता है जब आप उन्हें हासिल करते हैं.

इसके अलावा, फ़ंड हाउस डिविडेंड ट्रांसफर करने की तारीख़ तय करता है. इससे इसका नियमित इनकम के रूप में काम आना मुश्किल हो जाता है।

ग्रोथ प्लान चुनना और SWP (सिस्टेमैटिक विड्रॉल प्लान) के ज़रिए ज़रूरी इनकम को अपने खाते में ट्रांसफर करना ज़्यादा समझदारी भरा कदम है. इस तरह, आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि जब भी आपको ज़रूरत हो, आपको नियमित इनकम मिलती रहेगी, बजाय इसके कि आपको फ़ंड हाउस द्वारा आपके फ़ंड को रिलीज़ करने का इंतज़ार करना पड़े.

जैसा कि चर्चा की गई है, म्यूचुअल फ़ंड में IDCW आपकी मौजूदा पूंजी से ही डिविडेंड का भुगतान करता है. इससे इन प्लान्स के लिए ग्रोथ प्लान की तुलना में रिटर्न बहुत कम हो जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्रोथ प्लान उन डिविडेंड को फिर से निवेश करते हैं, जिससे आपको कंपाउंडिंग की पावर का फ़ायदा मिलता है. इसलिए, हम आपको किसी भी फ़ंड के लिए ग्रोथ प्लान चुनने की सलाह देते हैं.

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ये लेख पहली बार जनवरी 17, 2025 को पब्लिश हुआ.

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