एन.पी.एस.

NPS इन्वेस्टर्स न करें ये ग़लती

आइए समझते हैं कि आपको एक्टिव और ऑटो में से कौन सा विकल्प चुनना चाहिए

NPS ऑटो चॉइस vs एक्टिव चॉइस: एक निवेशक को नहीं करनी चाहिए ये ग़लतीAI-generated image

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करते समय, आपके सामने दो विकल्प होते हैं: ऑटो चॉइस और एक्टिव चॉइस.

ऊपर से देखने पर, ऑटो चॉइस सरल और ज़्यादा सुविधाजनक विकल्प लगता है. ये आपके लिए एसेट एलोकेशन को अपने आप संभालता है, आपकी उम्र के आधार पर इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज़ के बीच आपके निवेश को एडजस्ट करता है.

संभालने की टेंशन से फ़्री ये विकल्प अक्सर निवेशकों को इसे चुनने के लिए लुभाता है. आखिर कौन नहीं चाहेगा कि उनके पैसे का प्रबंधन एक "एक्सपर्ट" सिस्टम करे?

लेकिन यहां एक समस्या है - ये डिफ़ॉल्ट विकल्प चुपचाप आपके लंबे समय के रिटर्न को सीमित कर सकता है.

पहले ऑटो चॉइस को समझिए

NPS में ऑटो चॉइस का विकल्प चार वैरिएंट उपलब्ध कराता है, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग जोखिम को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किए गए इक्विटी एक्सपोज़र के अलग-अलग स्तर हैं. हालांकि वे थोड़े अलग हैं, लेकिन चारों एक जैसे पैटर्न का पालन करते हैं.

  • कंज़रवेटिव लाइफ़ साइकल फ़ंड (LC25) - केवल 25 फ़ीसदी इक्विटी से शुरू होता है और 35 वर्ष की आयु से हर साल कम होना शुरू होता है. इसके बाद, 55 वर्ष की आयु तक ये मात्र 5 फ़ीसदी रह जाता है.
  • मॉडरेट लाइफ़ साइकल फ़ंड (LC50) (डिफ़ॉल्ट विकल्प) - 50 फ़ीसदी इक्विटी से शुरू होता है, लेकिन 35 वर्ष की आयु से हर साल कम होना शुरू हो जाता है. इसके बाद, 55 वर्ष की आयु तक ये 10 फ़ीसदी रह जाता है.
  • बैलेंस्ड लाइफ़ साइकल फ़ंड (BLC50) - हाल ही में शुरू किया गया एक विकल्प जो 50 फ़ीसदी इक्विटी से शुरू होता है, लेकिन 45 वर्ष की आयु से धीरे-धीरे इक्विटी का हिस्सा कम होने लगता है. इसके बाद, 55 वर्ष की आयु तक ये 35 फ़ीसदी तक गिर जाता है.
  • एग्रेसिव लाइफ़ साइकल फ़ंड (LC75) - ये 75 फ़ीसदी के सबसे ऊंचे इक्विटी एक्सपोज़र के साथ शुरू होता है, लेकिन अन्य की तरह, ये 35 वर्ष की आयु में कम होना शुरू हो जाता है और 55 वर्ष की आयु तक 15 फ़ीसदी तक कम हो जाता है.

…सबसे एग्रेसिव प्लान भी बहुत जल्द कंज़रवेटिव हो जाता है

पहली नज़र में, एग्रेसिव लाइफ़ साइकल फ़ंड (LC75) अपने 75 फ़ीसदी इक्विटी एलोकेशन के साथ ग्रोथ-ओरिएंटेड विकल्प की तरह लगता है. हालांकि, इक्विटी एक्सपोज़र में स्वतः (ऑटोमैटिक) कमी 35 वर्ष की आयु से ही शुरू हो जाती है, जब ज़्यादातर निवेशकों के पास रिटायर होने के लिए अभी भी कई दशक बाक़ी होते हैं.

जब आप 55 वर्ष के हो जाते हैं, तो आपका इक्विटी एलोकेशन घटकर सिर्फ़ 15 फ़ीसदी रह जाता है, जिसमें से ज़्यादातर बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज़ में स्थानांतरित हो जाता है.

अब बात आती है, इसमें समस्या क्या है? असल में, इक्विटी ने ऐतिहासिक रूप से लंबी अवधि में अन्य एसेट क्लास की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. इसे बहुत जल्दी कम करने से कम समय में अस्थिरता में कमी देखने को मिल सकती है, लेकिन इससे भी अहम बात ये है कि ये आपके वेल्थ तैयार करने के लिहाज़ से प्रमुख वर्षों के दौरान आपकी ग्रोथ की क्षमता को सीमित कर देता है.

अगर आप चाहते हैं कि आपका NPS निवेश ज़्यादा कारगर हो, तो इक्विटी में लंबे समय तक निवेश बनाए रखने से आपके रिटायरमेंट कॉर्पस में काफ़ी फ़र्क़ आ सकता है.

क्यों एक्टिव चॉइस बेहतर विकल्प हो सकता है

इसलिए, यदि आप अपने NPS रिटर्न को अधिकतम करने के बारे में गंभीर हैं, तो ऑटो चॉइस की तुलना में एक्टिव चॉइस में ज़्यादा लचीलापन और लंबे समय में ग्रोथ की क्षमता प्रदान करता है.

ये आपको इक्विटी में 75 फ़ीसदी तक एलोकेट करने और ऑटो चॉइस के साथ होने वाली स्वतः कमी के बिना उस स्तर को बनाए रखने की अनुमति देता है.

आपके पास इस बात का भी पूरा नियंत्रण है कि आपका योगदान इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज़ के बीच कैसे वितरित किया जाता है, जिससे आप अपने पोर्टफ़ोलियो को अपनी व्यक्तिगत जोखिम क्षमता और फ़ाइनेंशियल गोल्स के साथ जोड़ सकते हैं.

लंबे समय तक निवेश करने वाले युवा निवेशकों के लिए, ऊंचे इक्विटी एक्सपोज़र बनाए रखना विशेष रूप से फ़ायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे कम्पाउंडिंग को काम करने के लिए ज़्यादा समय मिल जाता है. इससे संभावित रूप से लंबे समय में काफ़ी ज़्यादा रिटर्न मिल सकता है.

ये भी पढ़िए- ₹25 हज़ार से ₹1 लाख की सैलरी में UPS पेंशन और NPS रिटायरमेंट कॉर्पस कितना होगा?

क्या फ़र्क़ पड़ सकता है?

इक्विटी का हिस्सा कम करने के प्रभाव को समझने के लिए, आइए पिछले दशक के रिटर्न की तुलना करें:

  • NPS इक्विटी फ़ंड: 12.5 फ़ीसदी सालाना रिटर्न दिया
  • सरकारी सिक्योरिटीज़: 8.5 फ़ीसदी सालाना रिटर्न दिया

ये अंतर 40 फ़ीसदी से ज़्यादा का है. एक दशक पहले इक्विटी में ₹10 लाख का निवेश बढ़कर लगभग ₹32.4 लाख हो गया होगा, जबकि सरकारी सिक्योरिटीज़ में यही निवेश सिर्फ़ ₹22.6 लाख का होगा.

कैसे देखें कि आप निवेश के किस विकल्प का इस्तेमाल कर रहे हैं?

अपने निवेश विकल्प की जांच करने के लिए, बस अपने NPS खाते में लॉग इन करें और अपने होल्डिंग स्टेटमेंट को एक्सेस करें. इसमें स्पष्ट रूप से चुने गए निवेश के ख़ास विकल्प के साथ उल्लेख किया गया है कि आपने एक्टिव चॉइस चुना है या ऑटो चॉइस.

ऑटो से एक्टिव चॉइस में कैसे स्विच करें

अगर आप ऑटो चॉइस में हैं और एक्टिव चॉइस में स्विच करना चाहते हैं, तो प्रक्रिया सरल है और इसे हर फ़ाइनेंशियल ईयर में चार बार निःशुल्क किया जा सकता है.

स्विच करने के स्टेप्स:
1. आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से अपने NPS खाते में लॉग इन करें

2. चेंज स्कीम प्रेफरेंस (Change scheme preference) पर जाएं

3. अपनी निवेश प्राथमिकता के रूप में एक्टिव चॉइस चुनें

4. अपना इच्छित एसेट एलोकेशन (75 फ़ीसदी इक्विटी तक) सेट करें

5. बदलावों की पुष्टि करें और इस तरह, आपका काम हो गया!

आख़िरी बात

भले ही, ऑटो चॉइस का विकल्प सुविधाजनक लगता है, इसके ऑटोमैटिक तरीक़े से इक्विटी का हिस्सा कम किए जाने से आपको ग्रोथ की क्षमता में कमी के तौर पर क़ीमत चुकानी पड़ सकती है, ख़ासकर जब आपके पास समय हो.

अगर आप अपने रिटायरमेंट कॉर्पस को अधिकतम करना चाहते हैं, तो आज ही अपने निवेश विकल्प की जांच करने पर विचार करें.

ज़्यादा इक्विटी एलोकेशन के साथ एक्टिव चॉइस पर स्विच करना आपके फ़ाइनेंशियल फ्यूचर के लिए एक गेम-चेंजिंग कदम हो सकता है.

ये भी पढ़िए- क्या NPS Vatsalya में मुझे निवेश करना चाहिए?

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