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जब भी मैं म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करता हूं, तो पूरी रक़म एलोकेट होने के बजाय, यूनिट की कैलकुलेशन थोड़ी कम रक़म के लिए की जाती है. हालांकि फ़र्क़ ज़्यादा नहीं है, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि ऐसा क्यों है? - धनक सब्सक्राइबर
ज़ाहिर है, सवाल खड़े होते हैं लेकिन ये चिंता की बात नहीं. क्योंकि जब आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं, तो सरकार आपके पैसा का एक छोटा हिस्सा स्टाम्प ड्यूटी के तौर पर लेती है. ये शुल्क हरेक म्यूचुअल फ़ंड ख़रीद पर लागू होता है, और सभी निवेशकों पर समान रूप से लागू किया जाता है.
ये कैसे काम करता है?
जब आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं, तो आपके निवेश की रक़म पर 0.005% की दर से स्टाम्प ड्यूटी लगाई जाती है. स्टाम्प ड्यूटी काटने के बाद बची हुई रक़म का इस्तेमाल यूनिट एलोकेट करने के लिए किया जाता है.
₹5,000 की SIP के लिए स्टाम्प ड्यूटी की कैलकुलेशन:
₹5,000 × 0.005% = ₹0.25. इसलिए, यूनिट को पूरे ₹5,000 के बजाय ₹4,999.75 में एलोकेट किया जाएगा.
स्टाम्प ड्यूटी कटौती आपके द्वारा की गई हरेक म्यूचुअल फ़ंड ख़रीद पर लागू होती है.

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ये कहां लागू होता है?
- SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान)
- एकमुश्त निवेश (लंपसम इन्वेस्टमेंट)
- म्यूचुअल फ़ंड में डिविडेंड दोबारा से निवेश करने पर
लेकिन ये रिडेम्शन (यूनिट बेचने) या स्विच (फ़ंड बदलने) पर लागू नहीं होती.
आख़िरी बात!
इन छोटी कटौतियों की परवाह छोड़ें. स्टाम्प ड्यूटी एक सरकारी अनिवार्य शुल्क है जिसे टाला नहीं जा सकता और सभी म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों पर समान रूप से लागू होता है. इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने के बजाय, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट प्लानिंग और डिसिप्लिन पर फ़ोकस करें. याद रखिए, आपके पोर्टफ़ोलियो की असली ग्रोथ समय और अनुशासन के साथ होती है, न कि छोटी कटौतियों से. असल में, म्यूचुअल फ़ंड में निवेश एक मैराथन है, न कि स्प्रिंट रेस.
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