अच्छा निवेश वही है जो आपके पैसे को सुरक्षा दे और महंगाई को मात दे सके. हालांकि, आपके निवेश के समय के हिसाब से रिटर्न कम या ज़्यादा हो सकता है. एक्सपर्ट्स भी म्यूचुअल फ़ंड की तमाम ख़ूबियां गिनाते नहीं थकते. लेकिन, आपके मन में अक्सर ये सवाल उठता होगा कि असल में म्यूचुअल फ़ंड कैसे काम करते हैं? यहां हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं.
म्यूचुअल फ़ंड क्या है? (Mutual Fund Meaning in hindi)
म्यूचुअल फ़ंड निवेश का ऐसा साधन है, जिसमें निवेशकों के पैसे को इकट्ठा करके एक पेशेवर फ़ंड मैनेजर द्वारा निवेश किया जाता है. ये निवेशकों को उनके निवेश के अनुसार शेयर में हिस्सेदारी देता है. म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों को डायवर्सिफ़िकेशन, पेशेवर प्रबंधन और छोटी रक़म के साथ निवेश का मौक़ा देता है. ये लंबे समय तक निवेश करने के लिए एक सुरक्षित तरीक़ा हो सकता है, क्योंकि इसमें जोखिम कम करने के लिए विभिन्न एसेट्स में निवेश किया जाता है. म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने से निवेशक अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार फ़ायदा उठा सकते हैं.
म्यूचुअल फ़ंड की संरचना (Structure of mutual funds in Hindi)
म्यूचुअल फ़ंड एक सामूहिक निवेश साधन है, जहां पेशेवर फ़ंड मैनेजर निवेशकों का पैसा इकट्ठा करके विभिन्न शेयर, बॉन्ड जैसी एसेट्स और दूसरी सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं. म्यूचुअल फ़ंड की संरचना मुख्य रूप से फ़ंड हाउस (एसेट मैनेजमेंट कंपनी), ट्रस्टी, फ़ंड मैनेजर और निवेशकों से मिलकर बनती है. ये निवेशकों को डायवर्सिफ़ाइड, पेशेवर प्रबंधन और छोटी रक़म से निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है.
म्यूचुअल फ़ंड कैसे निवेश करता है?
निवेश का फैसला म्यूचुअल फ़ंड की स्कीम और उद्देश्यों के आधार पर लिया जाता है. फ़ंड मैनेजर बाज़ार के रुझान, कंपनियों के प्रदर्शन और अन्य फ़ाइनेंशियल फ़ैक्टर्स का विश्लेषण करके निवेश का फैसला लेते हैं. निवेशकों के जोखिम प्रोफ़ाइल और रिटर्न की उम्मीदों के आधार पर फ़ंड का पोर्टफ़ोलियो तैयार किया जाता है. इसके अलावा, म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों के पैसे को डायवर्सिफ़िकेशन प्रदान करता है, जिससे जोखिम को कम किया जा सके.
म्यूचुअल फ़ंड के प्रकार (types of mutual funds in hindi)
म्यूचुअल फ़ंड कई तरह के होते हैं, जिनका आधार निवेशकों की ज़रूरत, जोखिम क्षमता और निवेश अवधि होती है.
इक्विटी फ़ंड: ये फ़ंड मुख्य रूप से शेयर मार्केट में निवेश करता है और लंबे समय में अच्छा रिटर्न देता है. हालांकि, इसमें कम समय में उतार-चढ़ाव भी ज़्यादा होता है.
डेट फ़ंड: ये फ़ंड बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज़ और डेट के दूसरे विकल्पों में निवेश करते हैं. ये फ़ंड सुरक्षित और स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं.
हाइब्रिड फ़ंड: इसमें इक्विटी और डेट दोनों का मिश्रण होता है, जिससे संतुलित रिटर्न मिलता है और इक्विटी फ़ंड्स की तुलना में जोखिम कम होता है.
कुल मिलाकर हर तरह का फ़ंड निवेशकों की ज़रूरतों के मुताबिक़ जोखिम और रिटर्न का संतुलन प्रदान करता है.
ये भी पढ़िए - Debt Mutual Funds कैसे काम करते हैं?
म्यूचुअल फ़ंड से रिटर्न कैसे मिलता है?
म्यूचुअल फ़ंड से रिटर्न निवेशकों को तब मिलता है जब वे फ़ंड में निवेश करते हैं और वो फ़ंड शेयर, बॉन्ड या दूसरे एसेट्स में निवेश करता है. जब इन निवेशों से फ़ायदा होता है, तो इससे म्यूचुअल फ़ंड के NAV (Net Asset Value) में बढ़ोतरी होती है. निवेशक जब अपनी यूनिट्स बेचते हैं, तो उन्हें NAV के हिसाब से रिटर्न मिलता है. इसके अलावा, अगर म्यूचुअल फ़ंड डिविडेंड देता है, तो वो निवेशक को रिटर्न के तौर पर एक निश्चित रक़म मिल सकती है. रिटर्न बाज़ार की स्थिति और फ़ंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है.
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश के तरीके (how to invest money in mutual fund in hindi)
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने के कई तरीक़े हैं. सबसे सामान्य तरीक़ा लंपसम इन्वेस्टमेंट है, जिसमें एकमुश्त राशि निवेश की जाती है. इसमें बाज़ार के उतार-चढ़ाव का प्रभाव होता है, लेकिन यदि निवेश लंबी अवधि के लिए किया जाए तो लाभ की संभावना ज़्यादा रहती है.
दूसरा तरीका सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) है, जिसमें आप नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं. SIP निवेशकों को बाज़ार की अस्थिरता से बचाती है, क्योंकि ये रुपये की कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee Cost Averaging) का फ़ायदा देती है.
इसके अलावा, सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान (SWP) और सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (STP) जैसे तरीके भी होते हैं, जिनमें निवेशक अपने निवेश को एक विशेष तरीक़े से बढ़ा सकते हैं या निकासी कर सकते हैं. इन सभी तरीक़ों से निवेशक अपने फ़ाइनेंशियल गोल्स के अनुसार म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं.
म्यूचुअल फ़ंड के लाभ (benefits of mutual funds in hindi)
1. विविधता (Diversification): म्यूचुअल फ़ंड विभिन्न कंपनियों और सेक्टर्स में निवेश करते हैं, जिससे जोखिम कम होता है. इससे निवेशकों को एक ही फ़ंड में कई प्रकार के विकल्पों में निवेश करना संभव होता है.
2. प्रोफ़ेशनल मैनेजमेंट: म्यूचुअल फ़ंड्स का प्रबंधन विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. ये फ़ंड्स बाज़ार के बदलावों को समझकर बेहतर फैसले लेते हैं, जिससे निवेशकों को फ़ायदा होता है.
3. छोटी रक़म से शुरुआत: म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश के लिए कम रक़म से शुरुआत की जा सकती है, जिससे छोटे निवेशकों के लिए भी ये विकल्प उपयुक्त है.
4. तरलता (Liquidity): म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेशकों को अपनी ज़रूरत के समय आसानी से निवेश वापस लेने की सुविधा होती है. इन फ़ंड्स का NAV आम तौर पर रोज़ बदलता है.
5. टैक्स का फ़ायदा (Tax Benefits): टैक्स सेविंग फ़ंड्स (ELSS) जैसे कुछ म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों को टैक्स छूट का फ़ायदा देते हैं.
ये भी पढ़िए - क्या अपने म्यूचुअल फ़ंड इन्वेस्टमेंट को होल्ड करने का कोई बेहतर तरीक़ा भी है?
म्यूचुअल फ़ंड की 5 सीमाएं (Limitations)
म्यूचुअल फ़ंड कई लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट का एक लोकप्रिय विकल्प हैं, जिसकी वजह डायवर्सिफ़िकेशन, प्रोफ़ेशनल मैनेजमेंट और तुलनात्मक रूप से आसान पहुंच हैं. हालांकि, म्यूचुअल फ़ंड की अपनी कुछ लिमिट भी होती हैं. इसलिए, अगर आप इन्वेस्टमेंट के बारे में सोच रहे हैं, तो आपके लिए इनके बारे में जानना अहम है. यहां हम ऐसी 5 लिमिट्स के बारे में बता रहे हैं.
1. बाजार संबंधी जोखिम
म्यूचुअल फ़ंड जोखिम से अछूते नहीं हैं, क्योंकि वे स्टॉक या बॉन्ड जैसे मार्केट-लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करते हैं, इसलिए उनका परफ़ॉर्मेंस मार्केट की स्थितियों पर निर्भर करता है. अगर स्टॉक मार्केट क्रैश होता है, तो आपके इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड की वैल्यू भी कम हो जाएगी.
2. एक्सपेंस रेशियो (expense ratio in hindi)
प्रत्येक म्यूचुअल फ़ंड में एक्सपेंस रेशियो और मैनेजमेंट फ़ीस जैसी कॉस्ट आती है. हालांकि, ये फ़ीस समय के साथ आपके रिटर्न को कम कर सकती हैं. इन्वेस्ट करने से पहले एक्सपेंस रेशियो की तुलना करना हमेशा सही होता है.
3. इन्वेस्टमेंट पर कोई नियंत्रण नहीं है
जब आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं, तो आपकी तरफ़ से फ़ंड मैनेजर निवेश का फैसला लेता है. इसका मतलब है कि आप पोर्टफ़ोलियो में स्टॉक या बॉन्ड नहीं चुनते हैं. हालांकि ये उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके पास रिसर्च करने का समय नहीं है, लेकिन ये उन लोगों के लिए निराशाजनक हो सकता है जो अपने निवेश पर ज़्यादा नियंत्रण चाहते हैं.
4. लॉक-इन पीरियड
ELSS (इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम) जैसे कुछ म्यूचुअल फ़ंड लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं. ELSS के लिए, ये पीरियड 3 साल होता है. भले ही, ये अनुशासित इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा है, लेकिन अगर आपको तुरंत फ़ंड की ज़रूरत हो तो आप निराश हो सकते हैं.
5. कोई गारंटीड ग्रोथ नहीं
फ़िक्स्ड डिपॉज़िट या सरकारी बॉन्ड के विपरीत, म्यूचुअल फ़ंड गारंटीड रिटर्न का वादा नहीं करते हैं. रिटर्न मार्केट, फ़ंड के प्रकार और अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन पर निर्भर करता है.
उदाहरण के लिए, इक्विटी फ़ंड एक अच्छे साल के दौरान 12-15% रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन मार्केट में मंदी के दौरान 5% तक भी गिर सकते हैं. डेट फ़ंड तुलनात्मक रूप से स्थिर होते हैं, लेकिन कम रिटर्न देते हैं.
म्यूचुअल फ़ंड से जुड़े टैक्स की जानकारी
वर्ष 2024 के बजट सुधारों के बाद, इक्विटी-ओरिएंटेड इन्वेस्टमेंट पर लॉन्ग-टर्म (LTCG) और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर क्रमशः 12.5 और 20 फ़ीसदी टैक्स लगाया जाएगा. इसके अलावा, हर साल ₹1.25 लाख तक के LTCG पर टैक्स नहीं लगता है. इसलिए, आपके ₹5 लाख के मूल इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड निवेश पर इस तरह टैक्स लगाया जाएगा:
केस 1- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स : अगर आप अपनी इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड होल्डिंग्स को एक साल से ज़्यादा समय तक रखने के बाद ₹7 लाख में बेचते हैं, तो आपको ₹2 लाख का मुनाफ़ा होगा. इसमें से ₹1.25 लाख टैक्स-फ़्री होंगे. इसलिए, आपको ₹75,000 के बाक़ी के मुनाफ़े पर 12.5 प्रतिशत टैक्स देना होगा.
केस 2- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स: अगर आप अपने इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड निवेश को एक साल से कम समय में बेचते हैं, तो आपको पूरे ₹2 लाख के मुनाफ़े पर 20 प्रतिशत के फ़्लैट टैक्स रेट का भुगतान करना होगा. ध्यान दें, 31 जनवरी 2018 को या उससे पहले कमाए गए किसी भी मुनाफ़े पर अब टैक्स नहीं लगेगा.
निष्कर्ष
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना एक समझदारी भरा विकल्प हो सकता है क्योंकि ये जोखिम को डायवर्सिफ़िकेशन के साथ कम करता है. इसमें पेशेवर फ़ंड मैनेजर द्वारा निवेश किया जाता है, जो विभिन्न कंपनियों और सेक्टरों में निवेश करते हैं, जिससे पोर्टफ़ोलियो में संतुलन बना रहता है. म्यूचुअल फ़ंड्स में छोटी रक़म से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके अलावा, ये लिक्विडिटी, ट्रांसपेरेंसी और टैक्स बेनेफ़िट आदि भी प्रदान करता है, जिससे ये लंबे समय की वित्तीय सुरक्षा के लिए एक अच्छा विकल्प बनता है.
ये भी पढ़िए - पुराने म्यूचुअल फ़ंड निवेश पर संशोधित एग्ज़िट लोड लागू होते हैं?
ये लेख पहली बार दिसंबर 23, 2024 को पब्लिश हुआ.