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म्यूचुअल फ़ंड का NAV ₹10 से बढ़कर ₹4,000 कैसे हुआ?

आइए म्यूचुअल फ़ंड के नेट एसेट वैल्यू (NAV) को पूरी तरह समझें

म्यूचुअल फ़ंड की NAV 10 रुपये से बढ़कर 4,000 रुपये कैसे हुई?AI-generated image

म्यूचुअल फ़ंड NAV (नेट एसेट वैल्यू) ने निवेशकों को लंबे समय तक हैरान किया है. वे तब और भी हैरान हो जाते हैं जब देखते हैं कि म्यूचुअल फ़ंड का NAV समय के साथ ₹10 रुपये से ₹4,000 तक बढ़ गया है. हालांकि, ये ग्रोथ कोई चमत्कार नहीं है. ये अनुशासन के साथ किया गया फ़ंड मैनेजमेंट, कंपाउंडिंग और समय का नतीजा है. आइए जानें कि ये होता कैसे है.

NAV क्या है और इसकी शुरुआत ₹10 से क्यों होती है?

NAV, देनदारियों को घटाने के बाद म्यूचुअल फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो का प्रति यूनिट मूल्य दिखाता है. इसका कैलकुलेशन फ़ंड के परिसंपत्तियों (एसेट्स) के कुल मूल्य को बकाया यूनिट्स की संख्या से विभाजित करके किया जाता है.

मिसाल के तौर पर, अगर कोई फ़ंड ₹10 करोड़ के एसेट से शुरू होता है और 1 करोड़ यूनिट जारी करता है, तो उसका NAV ₹10 है. जैसे-जैसे फ़ंड स्टॉक या बॉन्ड जैसे एसेट्स में निवेश करता है और उनका मूल्य बढ़ता है, NAV समय के साथ बढ़ता है. ये बढ़ोतरी फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो का बढ़ना दिखाती है, जिसे ख़र्चों के साथ एडजस्ट किया जाता है.

जब कोई म्यूचुअल फ़ंड लॉन्च किया जाता है, तो ये आमतौर पर सरलता और एक स्तर पर रहने के लिए अपनी यूनिट्स की क़ीमत ₹10 रखता है. ये केवल एक शुरुआती प्वाइंट है और ये आने वाले समय में फ़ंड के प्रदर्शन का संकेत नहीं है.

NAV ग्रोथ के कारण क्या होते हैं?

  • पोर्टफ़ोलियो में ग्रोथ: म्यूचुअल फ़ंड इक्विटी जैसे एसेट्स में निवेश करते हैं, जो आमतौर पर समय के साथ बढ़ते हैं, जिससे NAV बढ़ता है.
  • समय के साथ कंपाउंडिंग: जब निवेश को लंबे समय तक रखा जाता है, तो कंपाउंडिंग रिटर्न बढ़ता है, जिसके नतीजे में NAV ग्रोथ तेज़ होती है.
  • आमदनी का दोबारा निवेश: ग्रोथ स्कीमों में, कमाए गए लाभांश और ब्याज (डेट फ़ंड के मामले में) को फिर से निवेश किया जाता है, जिससे कंपाउंडिंग में तेज़ी आती है.
  • फ़ंड का कुशल प्रबंधन: एक कुशल फ़ंड मैनेजर स्टॉक का चुनाव, समय और रीबैलेंस के ज़रिए पोर्टफ़ोलियो के प्रदर्शन को व्यवस्थित करते हैं, जो NAV की ग्रोथ पर काफ़ी असर करते हैं.

NAV ग्रोथ की मिसाल

निप्पॉन इंडिया ग्रोथ फ़ंड को देखें, जिसे 1995 में ₹10 के NAV पर लॉन्च किया गया था. नवंबर 2024 तक, इसका NAV ₹4,000 से ज़्यादा हो गया, जो क़रीब 23 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दे रहा था.

अगर किसी निवेशक ने शुरुआत में ₹1 लाख का निवेश किया था:

  • ख़रीदी गई यूनिट्स: 10,000 (₹1,00,000 ÷ ₹10)
  • नवंबर 2024 तक NAV: ₹4,052
  • मौजूदा निवेश का मूल्य: ₹4.05 करोड़ (10,000 यूनिट्स × ₹4,052)

ये बदलाव समय के साथ निवेश में बने रहने, कंपाउंडिंग और लगातार पोर्टफ़ोलियो ग्रोथ की ताक़त दिखाता है.

NAV को लेकर ग़लतफ़हमियां

ऊंचे NAV का मतलब ये नहीं है कि फ़ंड महंगा है. ये केवल पिछली ग्रोथ को दिखाता है और भविष्य के रिटर्न के लिए फ़ंड की क्षमता पर कोई असर नही करता.

कम NAV का मतलब ऊंचा रिटर्न नहीं है. फ़ंड का रिटर्न NAV पर नहीं, बल्कि फ़ंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए:

आदित्य बिड़ला सन लाइफ फ्लेक्सी कैप फ़ंड (NAV: ₹1,761) का 5 साल का SIP रिटर्न 21 प्रतिशत है.

पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फ़ंड (NAV: ₹82) का 5 साल का SIP रिटर्न 25 प्रतिशत है.

निवेशक के लिए याद रखने वाली काम की बातें

  • बाज़ार में बिताए समय की अहमियत: मार्केट साइकिल के दौरान निवेश में बने रहने से आपका पैसा बढ़ता है और कंपाउंड होता है.
  • फ़ंड की क्वालिटी पर ध्यान दें: केवल NAV ही नहीं, बल्कि प्रदर्शन, निरंतरता और फ़ंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को ज़रूर देखें.
  • ग्रोथ के लिए दोबारा निवेश करें: ग्रोथ स्कीमें मुनाफ़े को दोबारा निवेश करती हैं, जिससे लंबे समय के दौरान पूंजी बनाने में तेज़ी आती हैं.

म्यूचुअल फ़ंड के ₹10 से ₹4,000 तक के NAV का सफ़र कंपाउंडिंग और लंबे समय के निवेश की ताक़त का अच्छा उदाहरण है. अकेले NAV पर ध्यान देने के बजाय, पूछें कि फ़ंड का प्रदर्शन और प्रबंधन आपको क्या बताता है और क्या ये आपके लक्ष्यों के मुताबिक़ है.

समझ-बूझ कर निवेश के फ़ैसले लेने के लिए और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले फ़ंड्स को ट्रैक करने, एक्सपर्ट सलाह पाने और गहराई से समझने के लिए वैल्यू रिसर्च फ़ंड एडवाइजर पर आएं.

ये भी पढ़ें: म्‍यूचुअल फ़ंड से दोस्‍ती अच्छी है

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