AI-generated image
आग बुझाने वाला दमकल विभाग और सीमाओं की सुरक्षा में लगे जवानों की बहादुरी की मिसालें दी जाती हैं. अगर निवेश में बहादुरी की मिसाल देखनी है तो माइक्रो-कैप स्टॉक में निवेश करने वालों से मिलिए. अलबत्ता उनकी बहादुरी किसका और कितनों का भला करती है ये सोचने वाली बात है. मगर निवेश की दुनिया में रिस्क का दमखम उठाने वाले यही जांबाज़ होते हैं.
माइक्रो स्टॉक पर दांव लगाना ज़बरदस्त रिटर्न पाने का लालच तो देता है, निवेशकों का पैसा पल भर में ख़ाक में भी मिला सकता है. हाल में ऐसा ही हुआ है, फ़ार्मा सेक्टर की माइक्रो-कैप कंपनी पार ड्रग्स एंड केमिकल्स (Par Drugs and Chemicals) में पैसा लगाने वालों के साथ. और ये तब हुआ है जब पार ड्रग्स एंड केमिकल्स की आर्थिक स्थिति और ग्रोथ अच्छी थी.
अब सवाल है कि निवेशकों को ये झटका क्यों लगा? 2 दिसंबर 2024 को पार ड्रग्स ने घोषित किया कि वो अपने पूरे फ़ार्मा बिज़नस को सिर्फ़ ₹93 करोड़ में बेच रहे हैं. ये क़ीमत, कंपनी की मार्केट कैप (₹429 करोड़) की तुलना में क़रीब 78% डिस्काउंट पर थी. इस घोषणा के बाद सिर्फ़ दो दिन में कंपनी के शेयर 36% लुढ़क गए.
पार ड्रग्स, एक्टिव फ़ार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (FY24 रेवेन्यू का 67%) और फ़ाइन केमिकल्स (33 %) में महारथ रखती है, और भारत में एंटासिड प्रोडक्ट्स जैसे मैग्नीशियम ऑक्साइड, सुक्रालफ़ेट, और मैग्नीशियम ट्राईसिलिकेट की सबसे बड़ी निर्माता है. इसके ग्राहकों में फ़ाइज़र, सिप्ला, और यूनाइटेड फ़ॉस्फ़ोरस जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इसी मूल बिज़नस की वजह से कंपनी की आर्थिक स्थिति मज़बूत है.
मनभावन आंकड़े
कंपनी का रेवेन्यू और टैक्स के बाद की कमाई (PAT) क्रमशः 14 और 32 फ़ीसदी सालाना बढ़ा है
FY24 | FY23 | FY22 | FY21 | FY20 | |
---|---|---|---|---|---|
रेवेन्यू (₹ करोड़) | 96 | 96 | 75 | 61 | 56 |
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट (₹ करोड़) | 19 | 15 | 13 | 13 | 7 |
ऑपरेटिंग मार्जिन (%) | 20.3 | 15.6 | 17.3 | 21.7 | 12 |
प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स (₹ करोड़) | 15 | 11 | 9 | 12 | 5 |
ऑपरेटिंग कैश फ़्लो (₹ करोड़) | 20 | 13 | 8 | 12 | 8 |
ROCE (%) | 25 | 23.2 | 21.9 | 28.7 | 15.6 |
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट: अन्य आय (other income) को छोड़कर EBIT (अर्निंग बिफोर इंटरेस्ट एंड टैक्स) |
Par Drugs and Chemicals: क्या छोटे निवेशकों के साथ बड़ा धोखा किया?
कंपनी ने बताया कि फ़ार्मा बिज़नस से मिली रक़म को रियल एस्टेट (₹27 करोड़), क्लीन एनर्जी (₹25 करोड़) और कैपिटल मार्केट (₹41 करोड़) जैसे नए सेक्टरों में निवेश किया जाएगा. कंपनी ने कहा कि ये सेक्टर मौजूदा फ़ार्मा बिज़नस की तुलना में ज़्यादा मौक़े देते हैं. लेकिन समस्या ये है कि ये सौदा PHAL-JIG फ़ाइन कैमिकल्स नाम की एक प्राइवेट कंपनी से हुआ है, जिसे पार ड्रग्स के प्रमोटर ग्रुप के परिवार के लोग ही चलाते हैं. PHAL-JIG फ़ाइन केमिकल्स के प्रमोटर सरिताबेन वल्लभभाई सावनी और शिल्पा फ़ाल्गुनभाई सावनी, पार ड्रग्स के प्रमोटर ग्रुप के सदस्यों फ़ाल्गुन वल्लभभाई सावनी और जिग्नेश वल्लभभाई सावनी के क़रीबी रिश्तेदार हैं.
ये सौदा छोटे निवेशकों के साथ बड़े धोखे जैसा है. प्रमोटरों ने जिस तरह से ₹93 करोड़ में सौदा किया है, उससे सवाल उठते हैं कि क्या ये सौदा सिर्फ़ प्रमोटर ग्रुप को फ़ायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. इस तरह की मिलीभगत वाला लेनदेन कंपनी की गवर्नेंस पर गंभीर सवाल खड़े करता है. पार ड्रग्स का ये फ़ैसला दिनदहाड़े की गई चोरी से कम नहीं लगता. प्रमोटरों ने एक ऐसा क़दम उठाया है जो छोटे शेयरहोल्डरों को दरकिनार करते हुए प्रमोटरों को फ़ायदा पहुंचाने वाला दिखाई देता है. अपने मार्केट कैप से कम क़ीमत पर बिज़नस बेचना कोई नई बात नहीं, लेकिन संबंधित पार्टी को इतनी बड़ी छूट देना चिंता की बात है.
कंपनी के बोर्ड ने इस सौदे को मंजूरी दी है, लेकिन अभी इसे शेयरहोल्डरों की अनुमति मिलना अभी बाक़ी है. ये पूरा मामला छोटे निवेशकों के लिए बड़ा सबक़ है.
पार ड्रग्स एंड केमिकल्स से सीखने वाले सबक़
ये मामला याद दिलाता है कि सिर्फ़ अच्छे फ़ाइनेंशियल आंकड़े किसी कंपनी में निवेश करने के लिए काफ़ी नहीं हैं. कंपनी की पारदर्शिता, मैनेजमेंट की ईमानदारी और निवेशकों का हित ध्यान में रखना भी उतना ही ज़रूरी है. इन ख़ूबियों के बिना, अच्छे से अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियां भी बेकार साबित हो सकती हैं.
निवेशकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए, ख़ासकर माइक्रो-कैप कंपनियों के मामले में, जहां धोखाधड़ी का रिस्क हमेशा बना रहता है. पार ड्रग्स का ये मामला एक सबक़ है कि मार्केट में सूझबूझ और भरोसे के बिना निवेश करना जोख़िम भरा हो सकता है.
ये भी पढ़ें - IGL शेयर में गिरावट क्या निवेश का मौक़ा है?