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₹30 लाख निवेश करने का सही तरीक़ा क्या है?

म्यूचुअल फ़ंड और स्टॉक के बीच एक को चुनने का सही तरीक़ा बता रहे हैं धीरेंद्र कुमार

म्यूचुअल फ़ंड या शेयरः 30 लाख कहां निवेश करें

मैं म्यूचुअल फ़ंड या स्टॉक के ज़रिए शेयर बाज़ार में ₹30 लाख निवेश करना चाहता हूं. इसे निवेश करने की सही रणनीति क्या होगी? सबसे अच्छी एसेट एलोकेशन स्ट्रैटजी भी बताइए. - हितेंद्र वानी

अगर ये पैसा आपके लिए बहुत अहमियत रखता है, तो इसे थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें. मिसाल के तौर पर, ₹30 लाख को 12 से 24 महीनों में फैला दीजिए. आप इसे कितना फैला कर निवेश करते हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि ये आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है. इस पैसे को कमाने में आपको जितना समय लगा है, वो बता सकता है कि आप इसे कितने समय के दौरान निवेश करें. अगर ये पैसा जमा करने में आपको 5 साल लगे हैं, तो निवेश को 1.5 से 2 साल में फैला कर निवेश करना समझदारी है. ये नज़रिया आपके लिहाज़ से पैसे का महत्व दिखाता है.

कुछ लोगों के लिए, ₹30 लाख मामूली रक़म हो सकी है, जबकि कुछ और लोगों के लिए, ये ज़िंदगी भर की बचत हो सकती है. इस पैसे के कम होने का भावनात्मक और वित्तीय असर आपकी सोच और व्यवहार को काफ़ी प्रभावित करता है. आप इसे निवेश करने में कितना समय लेते हैं ये आपकी स्थिति पर निर्भर करता है.

दूसरा क़दम इस बात को पक्का करना है कि इसे एक अच्छे इक्विटी फ़ंड या एक अच्छी तरह से तैयार इक्विटी पोर्टफ़ोलियो में निवेश किया जाए. एक मज़बूत इक्विटी पोर्टफ़ोलियो बनाना चुनौती भरा काम है. इसके लिए अच्छी क्वालिटी वाली कंपनियों को सावधानी से चुना जाना चाहिए और सोच-समझकर एलोकेशन की ज़रूरत होती है. मिसाल के तौर पर, अगर आप ₹30 लाख का निवेश कर रहे हैं, तो आप बिज़नस की क्षमता के आधार पर एक कंपनी में ₹6 लाख या उससे भी कम एलोकेट कर सकते हैं. मज]बूत बुनियाद वाली और अच्छी संभावनाओं वाली कंपनियों को प्राथमिकता दें.

सुनिश्चित करें कि आपका पोर्टफ़ोलियो अलग-अलग ख़ूबियों वाली कंपनियों में ठीक तरह से फैला हो. डायवर्सिफ़िकेशन से जोख़िम कम करने में मदद मिलती है और इससे आपके निवेश की क्वालिटी बेहतर होती है. अगर आप चुनाव, एलोकेशन और डायवर्सिफ़िकेशन तीनों काम कर सकते हैं तो हर हाल में अपना पोर्टफ़ोलियो ख़ुद बनाएं.

अपना पोर्टफ़ोलियो ख़ुद बनाने के दो बड़े फ़ायदे हैं:

  • व्यक्तिगत संतुष्टि: पोर्टफ़ोलियो बनाने, उसे सफल होते देखने और सीखने की ख़ुशी.
  • आर्थिक फ़ायदा: आप म्यूचुअल फ़ंड से जुड़े ख़र्च (एक्सपेंस रेशियो) से बचते हैं.

हालांकि, अगर आपके पास अपना पोर्टफ़ोलियो मैनेज करने में समय, इच्छा, आत्मविश्वास या जोश की कमी है, तो अपने पैसे को किसी अच्छे फ़्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप फ़ंड मैनेजर को सौंपना बेहतर होगा. ये फ़ंड डायवर्सिफ़िकेशन देते हैं और काम को आसान बनाते हैं. मिसाल के तौर पर, अगर आप हर महीने ₹1 लाख निवेश करते हैं, तो म्यूचुअल फ़ंड ऑटोमैटिक तरीक़े से पैसे को डायवर्सिफ़ाई करता है, जिससे ये तय करने की ज़रूरत ख़त्म हो जाती है कि अभी या अगले महीने कौन सा स्टॉक आपको ख़रीदना है.

अगर आपको स्टॉक मैनेज करने का अनुभव नहीं है, तो स्टॉक में निवेश न करना ही समझदारी है. लेकिन अगर आप इसे लेकर सहज है, अनुभवी हैं और अपने लिए नियम तय कर सकते हैं और उनका पालन कर सकते हैं, तो ख़ुद अपना पोर्टफ़ोलियो बनाना फ़ायदेमंद हो सकता है.

जो लोग अपने स्टॉक पोर्टफ़ोलियो को स्वतंत्र रूप से मैनेज करना चुनते हैं, उन्हें स्टॉक एडवाइज़र सब्सक्राइब करने के बारे में सोचना चाहिए. आप तीन तरह के पोर्टफ़ोलियो: डिविडेंड, लॉन्ग टर्म या एग्रेसिव, में से चुन सकते हैं. हर महीने, आपको 10 स्टॉक की लिस्ट मिलेगी और आप उनमें एक जितनी रक़म निवेश कर सकते हैं. ये सुलझा हुआ नज़रिया पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट को आसान बनाता है.

निष्कर्ष

ये सवाल हमारे एक सब्सक्राइबर ने पूछा था और हमारी ख़ास सीरीज़ सब्सक्राइबर्स हेल्पलाइन पर दिखाया गया था. अगर आप इसी तरह के सवालों के जवाब पाना चाहते हैं तो पिछले महीने का एपिसोड देखें.

ये भी पढ़िए - एक किताब जो हर निवेश की बारीक़ियां बताएगी

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