AI-generated image
आमतौर पर स्थिरता के साथ ग्रोथ चाहने वाले कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ंड की ओर रुख़ करते हैं. ये फ़ंड, डेट इन्वेस्टमेंट (Debt investment for safety) को इक्विटी के एक छोटे हिस्से (equity investment for growth) के साथ मिलाकर एक संतुलित और कम रिस्क वाला पोर्टफ़ोलियो बनाते हैं. हालांकि, उनकी बनावट दोधारी तलवार की तरह काम करती है. इसका डेट (debt) वाला हिस्सा आपके निवेश को स्थिरता देता है, लेकिन इन फ़ंड्स से होने वाले फ़ायदे पर अब आपके टैक्स स्लैब रेट के मुताबिक़ टैक्स लगाया जाता है. जिसका मतलब हुआ कि टैक्स के लिहाज़ ये उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद नहीं हैं जो टैक्स के सबसे ऊंचे 30 फ़ीसदी के ब्रैकेट में आते हैं.
यहीं पर ये तीन इक्विटी सेविंग्स फ़ंड बड़े काम के साबित हुए हैं. ICICI प्रूडेंशियल , फ्रैंकलिन इंडिया और PGIM इंडिया के इक्विटी सेविंग्स फ़ंड्स ने टैक्स बचाने का ज़्यादा फ़ायदेमंद मॉडल अपनाया है, जिससे वे टैक्स की बचत और कम अस्थिरता तलाशने वाले कंज़र्वेटिव निवेशकों के लिए आकर्षक हो गए हैं.
टैक्स के लिहाज़ से फ़ायदेमंद ये तीन इक्विटी सेविंग्स फ़ंड मार्केट में मौजूद दूसरे इक्विटी सेविंग फ़ंड्स से कुछ अलग हैं. जहां ये तीनों फ़ंड इक्विटी, डेट और आर्बिट्राज में भी निवेश करते हैं, वहीं अपने पूरे इक्विटी निवेश को सिर्फ़ 15-16 फ़ीसदी तक ही सीमित रखते हैं. वहीं कैटेगरी कैटेगरी औसत देंखें तो ये 30 फ़ीसदी है. इसके बावजूद, वे आर्बिट्राज की मदद से अपने कुल इक्विटी एक्सपोज़र को 65 फ़ीसदी से ऊपर बनाए रखते हैं. इस तरह से उन्हें इक्विटी में मिलने वाला टैक्स का अतिरिक्त फ़ायदा पाने में मदद मिलती है.
इसलिए, अगर आप इन तीन फ़ंड्स में से किसी में एक साल से ज़्यादा के लिए निवेश करते हैं, तो सिर्फ़ ₹1.25 लाख से ज़्यादा के मुनाफ़े पर 12.5 फ़ीसदी टैक्स लगेगा. अगर आप एक साल के अंदर पैसा निकालते हैं, तो मुनाफ़े पर टैक्स रेट 20 फ़ीसदी होगा. ये कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ंड्स के मुक़ाबले ज़्यादा टैक्स बचा सकते हैं, ख़ासकर उनके लिए जो टैक्स के सबसे ऊंचे 30 फ़ीसदी ब्रैकेट में आते हैं.
स्थिरता
चूंकि इन तीनों फ़ंड्स ने अपने नेट इक्विटी एक्सपोज़र को क़रीब आधा करके 15-16 फ़ीसदी कर दिया है, इसलिए वे ज़्यादा स्थिर हो गए हैं. उनका स्टैंडर्ड डीविएशन, जो निवेश की अस्थिरता का एक पैमाना है, चार फ़ीसदी अंकों से कम हो गया है.
फ़ंड | पूर्व में नेट इक्विटी एक्सपोज़र | मौजूदा नेट इक्विटी एक्सपोज़र |
---|---|---|
फ्रैंकलिन इंडिया इक्विटी सेविंग्स फ़ंड | 30-45% | जुलाई 2023 से: 15-18% |
ICICI प्रू इक्विटी सेविंग्स फ़ंड | 30-50% | अप्रैल 2021 से: 16-20% |
PGIM इंडिया इक्विटी सेविंग्स फ़ंड | 30-40% | सितंबर 2021 से: 16-18% |
प्रदर्शन
अतिरिक्त स्थिरता के लिए कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ंड्स के मुक़ाबले थोड़ा कम रिटर्न मिलता है, ख़ासकर इसलिए क्योंकि कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ंड्स में एवरेज नेट इक्विटी एलोकेशन ज़्यादा होता है, जो 20 फ़ीसदी है.
हालांकि, टैक्स के बाद के रिटर्न पर विचार करते समय, ख़ासतौर से सबसे ऊंचे टैक्स ब्रैकेट (30 फ़ीसदी टैक्स दर) में आने वालों के लिए, तीन इक्विटी बचत फ़ंड्स का प्रदर्शन ज़्यादा सही दिखाई देता है. तीन इक्विटी बचत फ़ड्स में से दो - फ्रैंकलिन इंडिया इक्विटी सेविंग्स और ICICI प्रूडेंशियल इक्विटी सेविंग्स - ने अपना इक्विटी एक्सपोज़र कम करने के बाद से कंज़र्वेटिव हाइब्रिड के मुक़ाबले में 1-1.17 परसेंटेज प्वाइंट ज़्यादा रिटर्न दिया है, जबकि तीसरे फ़ंड ने कम रिटर्न दिया है, लेकिन सिर्फ़ 0.1 प्रतिशत.
फ़ंड | नए इक्विटी एलोकेशन के बाद टैक्स के बाद रिटर्न | नए इक्विटी एलोकेशन के बाद एवरेज कंज़रवेटिव हाइब्रिड का टैक्स के बाद रिटर्न |
---|---|---|
फ्रैंकलिन इंडिया इक्विटी सेविंग्स फ़ंड | 9.54% | 8.54% |
ICICI प्रू इक्विटी सेविंग्स फ़ंड | 7.96% | 6.79% |
PGIM इंडिया इक्विटी सेविंग्स फ़ंड | 6.13% | 6.23% |
इक्विटी सेविंग्स के रिटर्न पर 12.5% टैक्स लगाया जाता है, जबकि कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ंड पर 30% टैक्स लगाया जाता है. नए इक्विटी एलोकेशन के लागू होने के बाद से रिटर्न |
निष्कर्ष
ये तीनों टैक्स एफ़िशियंट इक्विटी सेविंग्स फ़ंड, पारंपरिक इक्विटी सेविंग्स फ़ंड और कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फ़ंड के बीच की जगह भरते हैं, जो इक्विटी टैक्स के फ़ायदों के साथ सुरक्षित रिटर्न देते हैं.
इस सबके बात ध्यान देने वाली बात ये है कि रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम चाहने वालों के लिए ये फ़ंड सही नहीं हो सकते. क्यों? क्योंकि रिटायर लोगों और रेगुलर इनकम चाहने वालों को अपने पैसे का कम-से-कम एक तिहाई हिस्सा इक्विटी में रखना चाहिए ताकि ये पक्का किया जा सके कि उनके पैसे जल्दी ही ख़त्म न हो जाएं, क्योंकि ये तीनों फ़ंड अपना 15-16 फ़ीसदी पैसा ही इक्विटी में रखते हैं.
ये भी पढ़िएः यही समय है लॉन्ग-ड्यूरेशन फ़ंड में निवेश का