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Zomato क्यों जुटा रही है ₹8,500 करोड़?

ज़ोमैटो QIP से कंपनी की संभावित प्रतिस्पर्धा की तैयारी के संकेत मिलते हैं

Zomato क्या निवेश के लिए सही है? जानिए हिंदी मेंAI-generated image

तीन साल पहले नक़दी जुटाने के बाद, नए ज़माने की स्टार्टअप कंपनी ज़ोमैटो फिर से इस राह पर लौट आई है. ये क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के ज़रिए ₹8,500 करोड़ जुटाएगी, जो 2021 में अपने IPO में जुटाए गए ₹9,000 करोड़ से थोड़ा ही कम है. कंपनी के पास दिखाने के लिए कई अच्छी चीज़ें हैं: नई बढ़ी हुई नेट प्रॉफ़िटेबिलिटी (छह तिमाहियों के लिए), ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू और रेवेन्यू में उत्साहजनक बढ़ोतरी, और शेयर की क़ीमत में 3.5 गुना उछाल!

फ़ंड पाना मुश्किल नहीं होगा. लेकिन हैरान करने वाली बात है कि कैश से लबालब, कर्ज़ से आज़ाद कंपनी जिसके पास ₹12,000 करोड़ से ज़्यादा के लिक्विड एसेट्स (₹10,333 करोड़ के बॉन्ड, म्यूचुअल फ़ंड, कंपनी के शेयर) हैं, उसे और ज़्यादा कैश की क्या ज़रूरत है? मैनेजमेंट का कहना है कि इसका मक़सद "बैलेंस शीट मज़बूत करना और प्रतिस्पर्धियों के साथ समान अवसर सुनिश्चित करना है, जो अतिरिक्त पूंजी जुटाना जारी रखते हैं". बैलेंस शीट पहले से ही मज़बूत है, इसलिए हम मानते हैं कि इसका दूसरे कारण से ज़्यादा लेना-देना है.

QIP ही क्यों

मैनेजमेंट ने माना है, फ़ंड जुटाने का समय मात्र संयोग नहीं है. ज़ोमैटो के प्रतिद्वंद्वी भारी मात्रा में धन जुटा रहे हैं. स्विगी अपने आने वाले IPO में ₹3,750 करोड़ जुटाएगी, जबकि ज़ेप्टो ने हाल ही में ₹8,000 करोड़ से ज़्यादा के अपने सबसे नए फ़ंडिंग राउंड को बंद कर दिया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, इंडस्ट्री-वाइस फ़ंड जुटाने वालों की भीड़ क्विक डिलीवरी सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए है जो तेज़ी से बढ़ रही है.

ज़ोमैटो अपनी रफ़्तार बनाए हुए है. मैनेजमेंट को शायद कारोबारी माहौल में आने वाले उतार-चढ़ाव का अंदेशा है, क्योंकि उसके प्रतिद्वंद्वी कंपनियां उसमें पैसा लगा रही हैं, इसलिए वो संभावित प्रतिद्वंद्विता के युद्ध के लिए ख़ुद पूंजी जुटा कर रहा है.

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क्विक डिलीवरी, ताज का हीरा बनेगी?

ज़ोमैटो का क्विक डिलीवरी बिज़नस ब्लिंकिट के ताज का अगला हीरा है. ये पारंपरिक फ़ूड डिस्ट्रीब्यूशन इंडस्ट्री के मुक़ाबले में बहुत तेज़ रफ़्तार से बढ़ रहा है. ब्लिंकिट ने H1 FY25 में ज़ोमैटो के कुल रेवेन्यू का 24 फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सा बनाया. मैनेजमेंट को भरोसा है कि ब्लिंकिट आख़िरकार फ़ूड डिस्ट्रीब्यूशन इंडस्ट्री से आगे निकल जाएगा.

कंपनी ने दिसंबर 2026 तक 751 से बढ़कर 2,000 ब्लिंकिट डार्क स्टोर खोलने का लक्ष्य रखा है. ये ऑपरेशन को बढ़ाने, अपनी ख़ुद की इन्वेंट्री का मैनेजमेंट करने और बड़ी प्रोडक्ट रेंज पेश करने के लिए गोदाम भी विकसित कर रही है. QIP के पैसे से इन योजनाओं को फ़ंड मिलने की उम्मीद है. लेकिन कंपनी को अभी यूनिट इकोनॉमिक्स का पता लगाना बाकी है क्योंकि ब्लिंकिट EBITDA नेगेटिव बना हुआ है. कंपनी का कहना है कि नए डार्क स्टोर खोलने से कुल मिलाकर बिज़नस मार्जिन कम हो रहा है.

इसमें आक्रामक प्रतिस्पर्धा को जोड़ दें तो मुनाफ़े का रास्ता और भी चुनौती भरा लगता है. स्विगी (इंस्टामार्ट) और ज़ेप्टो क्विक कॉमर्स सेगमेंट में ब्लिंकिट से ठीक पीछे हैं. उनके हालिया फ़ंड जमा करने ने इस पेचीदा बाज़ार में प्रतिद्वंद्विता को और भी धारदार बना दिया है, जहां भारी छूट मिलना एक आम बात है और बाज़ार में हिस्सेदारी हमेशा बदलती रहती है. फिर, फ़्लिपकार्ट, जियो मार्ट, अमेज़न और बिग बास्केट जैसी दूसरी दिग्गज कंपनियां भी हिस्सेदारी के लिए होड़ कर रही हैं.

हक़ीक़त में, इनमें से किसी भी कंपनी के इस काम के चारों तरफ़ कोई ख़ास सुरक्षा घेरा या खाई नहीं है जो इस बिज़नस को इसी तक सीमित रखे. सभी मार्केट में हिस्सा पाने केलिए संघर्ष कर रहे हैं और तेज़ी से कैश बहा रहे हैं. ज़ोमैटो ने कुछ तिमाहियों पहले नेट प्रॉफ़िट में आते ही दलाल-स्ट्रीट में चौंकाने वाला मुनाफ़ा हासिल किया. हालांकि, निवेशकों को ये याद रखने की ज़रूरत है कि इसकी प्रोफ़िटिबिलिटी ख़ास तौर से दूसरी तरह की आमदनी के कारण है, न कि मुख्य ऑपरेशन से मिले मुनाफ़े के कारण. दूसरी आमदनियों के बिना, ज़ोमैटो का मुनाफ़ा हाल की दो तिमाहियों में सकारात्मक हो गया. हालांकि, इसके बावजूद ये रेवेन्यू (H1 FY 25) का सिर्फ़ 0.2 फ़ीसदी है.

मुख्य बिज़नस पिछली दो तिमाहियों में प्रॉफ़िटेबल हो गया है

मैट्रिक्स Q2 FY24 Q3 FY24 Q4 FY24 Q1 FY25 Q2 FY25
प्रॉफ़िट (टैक्स से पहले) अदर इनकम सहित (करोड़ ₹) 21 124 161 239 237
प्रॉफ़िट (टैक्स से पहले) अदर इनकम के बिना (करोड़ ₹) -191 -95 -74 3 16
अंतर (अदर इनकम) (करोड़ ₹) 212 219 235 236 221

हमारी सलाह

हमें उम्मीद है कि QIP के पैसे का इस्तेमाल उसी तरह किया जाएगा जिस तरह IPO से मिली आय का इस्तेमाल किया गया था: क्विक डिलीवरी बाज़ार में नेतृत्व बनाए रखने के लिए तेज़ी से नक़दी ख़र्च करने के लिए. हालांकि, रणनीति अभी तक स्वस्थ और स्थिर लाभ रूपांतरण में तब्दील नहीं हुई है. फ़ूड डिस्ट्रीब्यूशन इंडस्ट्री को EBITDA को सकारात्मक बनाने में एक दशक से ज़्यादा वक़्त लगा. ब्लिंकिट उसी लंबे रास्ते पर लगता है. याद रखें, कंपनी के स्तर पर, इसके निवेश से होने वाली दूसरी इनकम नेट प्रोफ़िट में पहली योगदान करने वाली है.

ग़ैर-स्टार्टअप की दुनिया में, विशाल फ़ंडरेज़र आमतौर पर सकारात्मक संकेत होते हैं. ये अच्छी ख़बर है कि कोई कंपनी विस्तार और विकास के लिए धन एलोकेट करने जा रही है. लेकिन जब लक्ष्य विनाशकारी प्रतिस्पर्धा के हमले से बचना हो, तो ये बिज़नस की अस्थिर प्रकृति को उजागर करता है. निवेशकों के लिए, QIP का मतलब इक्विटी कमज़ोर पड़ना है. जिसका मतलब होगा कि कंपनी की आने वाली तिमाहियों में ज़्याद मुनाफ़े की रिपोर्ट करने पर भी कम आय (EPS) होगी.

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