हर कोई भविष्य के लिए निवेश करना चाहता है, लेकिन अक्सर विकल्पों की भरमार में सही तरीक़ा समझ पाना मुश्किल हो जाता है. SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इस समस्या का सरल और असरदार समाधान है. SIP के ज़रिये आप नियमित रूप से छोटी-छोटी रक़म निवेश करके बड़ा कॉर्पस बना सकते हैं. यहां हम SIP के ज़रिये निवेश का एक बेहतर प्लान बनाने के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों तरह की इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी शामिल हैं.
आपको यहां म्यूचुअल फ़ंड SIP पर क्या जानने को मिलेगा?
यहां पर हम आपको SIP के ज़रिये निवेश की हर बारीक़ी बताएंगे. हम आपको उस हर सवाल का जवाब देंगे, जो आम तौर पर नए निवेशकों के मन में उठते हैं. साथ ही, आखिर में आपको बताएंगे कि कैसे आप निवेश शुरू कर सकते हैं? इसे पढ़ने के बाद आपके लिए निवेश का फ़ैसला लेना आसान हो जाएगा.
SIP क्या है?
What is SIP: SIP असल में म्यूचुअल फ़ंड स्कीम्स में निवेश का एक ज़रिया है, जिससे आप नियमित रूप से एक निश्चित रक़म निवेश कर पाते हैं. SIP की ख़ास बात ये है कि इसमें बाज़ार में उतार-चढ़ाव के दौरान भी आपका निवेश जारी रहता है, जिससे आपके लिए जोख़िम कम हो जाता है और निवेश अनुशासित बना रहता है.
SIP के फ़ायदे
1. कॉस्ट एवरेज होना (Rupee Cost Averaging): SIP में नियमित रूप से निवेश करने से आप शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव का सामना बेहतर तरीक़े से कर सकते हैं. जब बाज़ार गिरता है, तो आप ज्यादा यूनिट ख़रीदते हैं और जब बाज़ार ऊपर जाता है, तो आपको कम यूनिट मिलती हैं. कॉस्ट एवरेजिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें.
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2. कंपाउंडिंग का जादू: SIP के ज़रिये निवेश किए गए पैसों पर रिटर्न तो मिलता ही है, साथ ही वो रक़म भी आपके निवेश में जुड़ जाती है. इससे आपको कंपाउंडिंग का फ़ायदा मिलता है. उदाहरण के लिए, अगर आप 15 साल तक हर महीने ₹5000 की SIP करते हैं और आपको 10% रिटर्न मिलता है, तो आप लगभग ₹20 लाख का कॉर्पस तैयार कर सकते हैं. कंपाउंडिंग के जादू के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए.
3. निवेश में लचीलापन: SIP की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि आप अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार निवेश की रक़म को घटा या बढ़ा सकते हैं. इससे आपको लंबे समय में एक अच्छा पोर्टफ़ोलियो बनाने में मदद मिलती है.
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निवेश का गोल तय करे
निवेश की शुरुआत करने से पहले आपका गोल स्पष्ट होना चाहिए. SIP के ज़रिये आप अपने छोटे और बड़े दोनों लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर सकते हैं.
1. शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short-term Investment)
आम तौर पर शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट वो होता है, जो 1 से 3 साल के लिए किया जाता है. इसका उद्देश्य किसी निकट भविष्य के ख़र्च को पूरा करना होता है. उदाहरण के लिए, आप अगले 2 साल में किसी फॉरेन ट्रिप पर जाना है, नया गैजेट ख़रीदना चाहते हैं या अपने घर के लिए इमरजेंसी फ़ंड तैयार करना चाहते हैं.
फ़ंड सलेक्शन
शॉर्ट-टर्म स्ट्रैटजी
- समय सीमा: 1-3 साल
- जोख़िम: कम
- अनुमानित रिटर्न: 6-8% प्रति वर्ष
2. लंबे समय का निवेश (Long-term Investment)
लंबे समय के निवेश का गोल बड़ा होता है और यह 5 से 20 साल या उससे ज़्यादा समय तक किया जाता है. ये निवेश घर ख़रीदना, बच्चों की हाइयर एजुकेशन या रिटायरमेंट प्लानिंग जैसे बड़े गोल्स के लिए होता है. इस तरह के निवेश में कंपाउंडिंग का फ़ायदा सबसे ज़्यादा होता है.
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कम समय की SIP के लिए फ़ंड का चुनाव
लंबे समय की रणनीति
- समय सीमा: 5-20 साल
- जोख़िम: मध्यम से ज़्यादा तक
- अनुमानित रिटर्न: 10-12% प्रति वर्ष
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सही फंड कैसे चुनें?
SIP में निवेश करते समय सबसे महत्वपूर्ण है सही फ़ंड का चयन करना. ये चयन आपके जोख़िम लेने की क्षमता, समय सीमा और गोल पर आधारित होना चाहिए.
1. कम समय के निवेश के लिए सही फ़ंड:
- लिक्विड फ़ंड्स: इन फ़ंड्स में आपका पैसा सुरक्षित रहता है और इसमें से कभी भी पैसा निकाल सकते हैं.
- शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड्स: ये फंड्स कम समय के निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प हैं.
- बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स: इन फ़ंड्स में जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन बना रहता है.
2. लंबे समय के निवेश के लिए सही फ़ंड:
- इक्विटी फ़ंड्स: अगर आपके पास 5-10 साल का समय है, तो इक्विटी फ़ंड्स आपके लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं.
- मल्टी-कैप फ़ंड्स: ये फ़ंड विभिन्न सेक्टर्स और मार्केट कैप में निवेश करते हैं, जिससे आपका पोर्टफ़ोलियो डाइवर्सिफ़ाइड होता है.
- ELSS: ये फ़ंड टैक्स सेविंग के लिए बेहतर होते हैं और इनमें लंबे समय में अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना होती है.
SIP की स्ट्रैटजी क्या होनी चाहिए?
1. कम समय की SIP स्ट्रैटजी
अगर लक्ष्य 1-3 साल का है, तो आपको कम जोख़िम वाले फ़ंड्स में निवेश करना चाहिए.
मिसाल के तौर पर, अगर आपको 3 साल में ₹3 लाख चाहिए, तो आप हर महीने ₹7,500 की SIP कर सकते हैं, और 6-8% के रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं.
2. लंबे समय की SIP स्ट्रैटजी
लंबे समय की SIP में ज़्यादा जोख़िम लिया जा सकता है क्योंकि लंबे समय में मार्केट में सुधार ही देखने को मिलता है.
मिसाल के तौर पर, अगर आपको 10 साल में ₹10 लाख चाहिए, तो आप लगभग ₹4,500 की SIP कर सकते हैं और 10-12% के रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं.
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पोर्टफ़ोलियो में डाइवर्सिफ़िकेशन कैसे लाएं?
डाइवर्सिफ़िकेशन से आपके निवेश को बैलेंस रखने में मदद मिलती है. SIP में डाइवर्सिफ़िकेशन लाने के लिए विभिन्न प्रकार के फ़ंड्स जैसे इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फ़ंड्स में निवेश करें.
डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो का उदाहरण
- 50% इक्विटी फ़ंड्स
- 30% डेट फ़ंड्स
- 20% हाइब्रिड फ़ंड्स
ये स्ट्रक्चर आपको बाज़ार के उतार-चढ़ाव के दौरान सुरक्षित रखेगा.
SIP में निवेश करते समय ध्यान रखें!
1. सब्र बना रहे: SIP में समय के साथ कंपाउंडिंग का प्रभाव दिखता है, इसलिए सब्र और अनुशासन से काम लें.
2. बाज़ार में गिरावट से दिल न घबराए: SIP में निवेश करते रहें, क्योंकि गिरावट के समय ज़्यादा यूनिट्स ख़रीदी जाती हैं, जिससे बाज़ार में तेज़ी आने पर अच्छा रिटर्न मिलता है.
3. समय समय पर निवेश की समीक्षा: हर 6-12 महीने में अपने पोर्टफ़ोलियो की समीक्षा करें और ज़रूरत के हिसाब से बदलाव करें.
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म्यूचुअल फ़ंड कैसे ख़रीदें
How to buy a Mutual Fund: अब बारी आती है म्यूचुअल फ़ंड में निवेश शुरू करने की यानी ख़रीदने की. यहां हम आपको इससे जुड़ी हर डिटेल दे रहे हैं, जिससे आपके लिए निवेश करना आसान हो सकता है. इसके बारे में डिटेल में जानकारी के लिए यहां क्लिक कीजिए. हालांकि, यहां हम निवेश के कुछ ऐसे माध्यम बता रहे हैं, जो ख़ासे ज़्यादा प्रचलित हैं.
1. सीधे AMC से
आप सीधे AMC के जरिये भी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं. यदि आप पहली बार किसी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर रहे हैं, तो आपको AMC के ऑफिस जाना पड़ सकता है. इसके बाद, आप अपने फोलियो नंबर का उपयोग करके उसी AMC की अलग-अलग फ़ंड स्कीम्स में ऑनलाइन (बशर्ते ये सुविधा AMC द्वारा दी जाती हो) या ऑफ़लाइन निवेश कर सकते हैं. कुछ AMCs आपको एजेंट भी उपलब्ध कराते हैं ताकि एप्लीकेशन फॉर्म भरने, चेक लेने और पावती भेजने में आपकी मदद कि जा सके.
2. ऑनलाइन/ फ़िनटेक प्लेटफ़ॉर्म से
फ़िनटेक प्लेटफॉर्म जैसे कई थर्ड-पार्टी ऑनलाइन पोर्टल या ऐप हैं जिनके जरिये आप AMCs की अलग-अलग म्यूचुअल फ़ंड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं. निवेश करते समय आसान फ़ंड ट्रांसफ़र सुविधा देने के लिए ज़्यादातर पोर्टल ने बैंकों के साथ हाथ मिलाया हुआ है.
3. अपने बैंक से
बैंक भी एक इंटरमीडियरी की तरह काम करते हैं और अलग-अलग AMCs की फ़ंड स्कीमें डिस्ट्रीब्यूट करते हैं. आप अपनी बैंक ब्रांच के जरिये सीधे फ़ंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं.
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निवेश के लिए क्या चाहिए?
किसी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में निवेश के लिए आपके पास PAN और बैंक अकाउंट होना चाहिए. आपकी KYC (नो योर कस्टमर) भी पूरी होनी चाहिए. और ये बैंक अकाउंट मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन कोड (MICR) और इंडियन फ़ाइनेंशियल सिस्टम कोड (IFSC) डिटेल के साथ निवेशक के नाम पर होना चाहिए. इन जानकारियों का उल्लेख चेक बुक में होता है और किसी एजेंट या डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा कैंसिल बैंक चेक मांगना बहुत ही आम बात है.
KYC कैसे पूरा करें?
SEBI द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत, KYC की प्रक्रिया पूरी करनी ज़रूरी है.
KYC प्रक्रिया सिक्योरिटीज़ मार्केट में SEBI द्वारा रेग्युलेटेड अलग-अलग इंटरमीडियरी जैसे म्यूचुअल फ़ंड, पोर्टफ़ोलियो मैनेजर, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स, स्टॉक ब्रोकर्स, वेंचर कैपिटल फ़ंड, कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम (CIS) और अन्य के लिए एक जैसी हैं. इसलिए, सिर्फ़ एक बार KYC की प्रक्रिया कर ली जाए तो इन इंटरमीडियरी से डील करते वक़्त ये प्रक्रिया दोहरानी नहीं पड़ती और निवेशकों का काम आसान हो जाता है.
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KYC के लिए ज़रूरी डॉक्युमेंट
- हाल की पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो
- पहचान का प्रमाण जैसे PAN कार्ड या UID (आधार) या पासपोर्ट या मतदाता पहचान पत्र या ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी
- निवास प्रमाण जैसे पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड या निवास का रजिस्टर्ड लीज/सेल एग्रीमेंट या लेटेस्ट बैंक अकाउंट स्टेटमेंट या पासबुक या लेटेस्ट टेलीफोन बिल (केवल लैंडलाइन) या हालिया बिजली का बिल या हालिया गैस का बिल, जो कि तीन महीने से ज़्यादा पुराने न हों.
- आपको इन डॉक्युमेंट्स की ख़ुद से सत्यापित की हुई कॉपी और वेरिफिकेशन के लिए ओरिजिनल डॉक्युमेंट्स जमा करने होते हैं. यदि वेरिफिकेशन के लिए ओरिजिनल डॉक्युमेंट्स उपलब्ध नहीं हैं, तो डॉक्युमेंट्स की कॉपी अधिकृत संस्थाओं द्वारा सही तरीक़े से सत्यापित होना ज़रूरी है. यदि आप इन ज़रूरी डॉक्युमेंट्स को जमा नहीं करते हैं, तो KYC प्रक्रिया पूरी होने में देरी हो सकती है.
- भारत के निवासी अपने डॉक्युमेंट्स इन लोगों से सत्यापित करा सकते हैं: नोटरी, राजपत्रित अधिकारी, शेड्यूल कमर्शियल या को-ऑपरेटिव बैंक या मल्टीनेशनल फ़ॉरेन बैंक के मैनेजर. ये न भूलें कि कॉपी पर इनका नाम, पदनाम और मुहर लगी हुई हो.
- NRIs अपने डॉक्युमेंट्स इन लोगों से सत्यापित करा सकते हैं: भारत में रजिस्टर्ड शेड्यूल कमर्शियल बैंकों की विदेशी शाखाओं के अधिकृत अधिकारी, नोटरी पब्लिक, कोर्ट मजिस्ट्रेट, न्यायाधीश, उस देश में मौज़ूद भारतीय दूतावास (जिस देश में NRI रहता है).
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अपना KYC स्टेटस कैसे जानें?
How to check KYC status: मौज़ूदा निवेशक और वे लोग जिन्होंने आवेदन जमा कर दिए हैं, अपने PAN नंबर का इस्तेमाल करके इन KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसी के ज़रिये अपना KYC स्टेटस पता कर सकते हैं:
- https://www.cvlkra.com/
- https://kra.ndml.in/
- https://www.nsekra.com/
- https://camskra.com/
- https://www.karvykra.com/
SIP कैसे रिडीम करें?
How to withdraw money from mutual fund SIP: सीधे शब्दों में कहें तो ELSS (इनका लॉकइन 3 साल होता है) को छोड़कर आप किसी भी फ़ंड से जब चाहे पैसा निकाल सकते हैं. हालांकि, संबंधित फ़ंड की शर्तों के तहत आपको एग्ज़िट लोड देना पड़ सकता है.
आपको फ़िनटेक प्लेटफ़ॉर्म या जिसके ज़रिये आप निवेश कर रहे हैं, उस पर ऑनलाइन जाकर रिडीम का विकल्प चुनना होगा. आपके मोबाइल पर OTP आएगा और आप जितना चाहे पैसा निकाल सकते हैं. अधिकतम 3 दिन दिन में आपके बैंक अकाउंट में पैसा आ जाएगा. इस बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए.
असल में, दूसरे निवेश विकल्पों के उलट, म्यूचुअल फ़ंड के निवेश काफ़ी ज़्यादा 'लिक्विड' होते हैं. लिक्विड' का मतलब है, निवेश को बिना किसी देरी के आप जब चाहें निकाल सकते हैं.
निष्कर्ष
SIP के ज़रिए लंबे समय और छोटी अवधि के लक्ष्यों के लिए प्रभावी निवेश योजना बनाई जा सकती है. सही फ़ंड का चुनाव, नियमित निवेश और सब्र रखकर आप अपने किसी भी फ़ाइनेंशियल गोल को आसानी से पूरा कर सकते हैं.
SIP की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये छोटे निवेशों को भी बड़ा बनाकर आपके भविष्य को सुरक्षित रख सकती है.
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FaQ
1. SIP क्या है?
SIP (Systematic Investment Plan) एक ऐसा ज़रिया है जिसमें आप म्यूचुअल फ़ंड में नियमित रूप से एक निश्चित रक़म का निवेश करते हैं. ये मासिक, त्रैमासिक या साप्ताहिक आधार पर किया जा सकता है, जिससे निवेश में अनुशासन बना रहता है.
2. SIP कैसे काम करती है?
SIP में हर माह आपकी चुनी हुई राशि म्यूचुअल फंड में निवेश हो जाती है, और इसके बदले आपको यूनिट्स मिलती हैं। ये यूनिट्स NAV के आधार पर मिलती हैं. मार्केट नीचे होने से आप कम क़ीमत पर और मार्केट में तेज़ी पर आप ज़्यादा यूनिट ख़रीद पाते हैं.
3. SIP और एकमुश्त (Lump Sum) निवेश में क्या अंतर है?
SIP में आप नियमित अंतराल पर छोटी-छोटी राशि निवेश करते हैं. Lump Sum में आप एक ही बार में बड़ी राशि निवेश करते हैं. SIP में मार्केट के उतार-चढ़ाव का फ़ायदा मिलता है, जबकि एकमुश्त निवेश में ये जोखिम ज़्यादा होता है.
4. SIP में न्यूनतम निवेश राशि कितनी है?
SIP में आप ₹500 प्रति माह से भी शुरुआत कर सकते हैं. कई फंड्स में ₹100 से भी निवेश की सुविधा है.
5. Direct vs Regular: किस प्लान निवेश बेहतर होता है?
डायरेक्ट प्लान में ख़र्च कम होता है. इसलिए, इसमें निवेश करना ज़्यादा बेहतर है.
6. क्या SIP में टैक्स छूट मिलती है?
ELSS SIP में निवेश करने पर धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है.
सामान्य म्यूचुअल फ़ंड SIP में टैक्स का फ़ायदा नहीं मिलता, लेकिन LTCG पर कुछ सीमा तक टैक्स छूट हो सकती है.
7. क्या SIP को बीच में रोकना संभव है?
हां, आप SIP को बीच में रोक सकते हैं या कुछ समय के लिए स्थगित कर सकते हैं. हालांकि, SIP रोकने से आपका निवेश प्रभावित हो सकता है.
8. SIP में कितना रिटर्न मिलता है?
SIP रिटर्न फ़ंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. इक्विटी SIP में 12-15% तक का रिटर्न मिलने की संभावना होती है, जबकि डेट फंड्स में रिटर्न कम (5-8%) हो सकता है.
9. क्या SIP सुरक्षित है?
SIP म्यूचुअल फ़ंड से जुड़ी होती है, जो मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है. हालांकि, लंबे समय के निवेश से जोखिम कम हो सकता है. SIP निवेश में अनुशासन और धैर्य बनाए रखना चाहिए.
10. SIP में कितने प्रकार के फ़ंड्स होते हैं?
इक्विटी फ़ंड्स: स्टॉक्स में निवेश करते हैं. ऊंचे रिटर्न के साथ जोखिम भी ज़्यादा होता है.
डेट फ़ंड्स: सरकारी बॉन्ड और फ़िक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. कम जोखिम के साथ स्थिर रिटर्न देते हैं.
हाइब्रिड फ़ंड्स: इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं.
11. SIP कब शुरू करनी चाहिए?
SIP जितनी जल्दी शुरू की जाए उतना अच्छा है. समय के साथ कंपाउंडिंग का फ़ायदा मिलता है, जिससे आपका निवेश तेज़ी से बढ़ता है.
12. क्या SIP से जल्दी पैसा निकाल सकते हैं?
हां, आप SIP से कभी भी पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन अगर आपने ELSS में निवेश किया है, तो 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है।
13. क्या SIP में निवेश की अवधि निश्चित है?
नहीं, SIP की अवधि आप अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं. इसे आप 1 साल, 3 साल, 5 साल या अनिश्चित समय तक चालू रख सकते हैं.
14. SIP से बड़ा फ़ंड कैसे बनाया जा सकता है?
लंबे समय तक नियमित निवेश और SIP की राशि बढ़ाते रहने से आप बड़ा फ़ंड बना सकते हैं. हर साल अपनी SIP में टॉप-अप करने की सुविधा भी होती है.
15. SIP निवेश कैसे शुरू करें?
म्यूचुअल फ़ंड ऐप/वेबसाइट से SIP रजिस्टर करें.
अपने पैन कार्ड, आधार कार्ड और बैंक डिटेल्स को KYC (Know Your Customer) से वेरिफाई करें.
एक अच्छा फ़ंड चुनें. निवेश की राशि और अवधि तय करें.
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ये लेख पहली बार अक्तूबर 14, 2024 को पब्लिश हुआ.