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6 प्वाइंट में समझिए रोशी जैन की स्ट्रैटजी, संभालती हैं ₹75,000 करोड़ के एसेट

HDFC एसेट मैनेजमेंट कंपनी की जानी-मानी फ़ंड मैनेजर से बातचीत

6 प्वाइंट में समझिए रोशी जैन की स्ट्रैटजी, संभालती हैं ₹75,000 करोड़ के एसेट

इंडस्ट्री की सबसे जानी-मानी फ़ंड मैनेजरों में से एक रोशी जैन HDFC एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड की सीनियर फ़ंड मैनेजर- इक्विटी हैं. उनके मैनेज किए जाने वाले फ़ंड्स - HDFC फ़्लेक्सी कैप, HDFC ELSS टैक्स सेवर और HDFC फ़ोकस्ड फ़ंड का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है. इन फ़ंड्स की कुल एसेट ₹75,000 करोड़ है. 6 प्वाइंट में समझिए उनकी निवेश स्ट्रैटजी...

1. सस्ते शेयर ख़रीदने पर ज़ोर

हमारी इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी सस्ते वैल्यूएशन वाली क्वालिटी कंपनियों पर फ़ोकस करती है. इसके पीछे मक़सद ये रहता है कि मीडियम से लॉन्ग टर्म में ग्रोथ की संभावनाओं वाली मज़बूत कंपनियों को चुना जाए और उनके वैल्यूएशन को लेकर अनुशासित रहा जाए. हमारा मानना है कि ये रणनीति लॉन्ग टर्म में अच्छी स्थिति में लाती है.

2. इकोनॉमिक साइकिल का असर न हो

निवेशकों को अच्छी क्वालिटी और आकर्षक वैल्यूएशन वाली कंपनियों के ज़रिए डाइवर्सिटी बनाए रखनी चाहिए, ताकि उनके निवेश पर बिज़नस के इकोनॉमिक साइकिल का असर न पड़े. उन्हें उन कंपनियों से बचना चाहिए जिनके अच्छे प्रदर्शन की वजह सिर्फ़ शॉर्ट-टर्म के फ़ैक्टर होते हैं.

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3. स्टॉक चुनने के लिए बॉटम-अप स्ट्रैटजी

मोटे तौर पर, हमारी इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी स्टॉक चुनने के लिए बॉटम-अप रुख़ के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें उचित वैल्यूएशन पर क्वालिटी वाली कंपनियों पर फ़ोकस किया जाता है. मक़सद ये होता है कि मीडियम से लॉन्ग-टर्म में ग्रोथ की संभावना वाली मज़बूत कंपनियों को चुना जाए.

4. वैल्यूएशन पर नज़रिया

वैल्यूएशन के मामले में, हम लॉन्ग-टर्म की अर्निंग, रिटर्न और कैश फ़्लो को ध्यान में रखते हुए एक मिला-जुला नज़रिया अपनाते हैं. जब हमें लगता है कि कोई स्टॉक हमारी इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी या वैल्यूएशन के फ़्रेमवर्क में अब फ़िट नहीं बैठता है, तो वहां हम एग्ज़िट करते हैं.

5. शॉर्ट-टर्म में प्रदर्शन को ज़्यादा अहमियत नहीं

हमारे फ़ंड्स के बेहतर प्रदर्शन की वजह हमारे द्वारा इन्वेस्टमेंट फ़िलॉसफ़ी का पालन करने में अनुशासन और कंसिस्टेंसी बरक़रार रखना है. हमारी कोशिश मीडियम से लॉन्ग-टर्म में अपने निवेशकों के लिए वैल्यू बनाना है, और मैं शॉर्ट-टर्म में बेहतर या ख़राब प्रदर्शन को ज़्यादा अहमियत नहीं देती.

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6. डाइवर्सिफ़ाइड और कॉन्सनट्रेटेड पोर्टफ़ोलियो

मार्केट की स्थिति के लिहाज़ से लार्ज-कैप में हमारे झुकाव के कारण पोर्टफ़ोलियो कॉन्सनट्रेटेड दिखाई देते हैं. लेकिन, अगर आप Nifty 50 इंडेक्स का अनालेसिस करेंगे, तो पाएंगे कि इस इंडेक्स में टॉप 10 स्टॉक्स का वेट भी 57 फ़ीसदी है. हमारा मानना है कि हम अपनी एक्टिव इन्वेस्टमेंट स्टाइल और फ़िलॉसफ़ी के ज़रिए ये पक्का करते हैं कि लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के अवसरों को भुनाने के लिए हमारा पोर्टफ़ोलियो डाइवर्स और अच्छी स्थिति में रहे.

Roshi Jain का पूरा इंटरव्यू पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें..

ये लेख पहली बार जून 05, 2024 को पब्लिश हुआ.

पुर्नलेखन: Mohit Parashar

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