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सोना पिछले 1 साल में 20% बढ़ा है, क्या ये निवेश का मौक़ा है!

क्या हैं वो तीन कारण जिनकी वजह से सोना इतना बढ़ा और क्या आपके लिए ये एक सही निवेश है

सोना पिछले 1 साल में 20% बढ़ा है, क्या ये निवेश का मौक़ा है!AI-generated image

गोल्ड में तेज़ी है, पिछले 12 महीनों में इस चमकदार धातु में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आइए समझते हैं ऐसा क्यों हुआ है?

1. वैल्यू को स्टोर

सोने की लोकप्रियता के सबसे स्थायी कारण से बात शुरू करते हैं. सदियों से इस क़ीमती धातु को वैल्यू के शानदार स्टोर के तौर पर देखा जाता है. आमतौर पर इसमें तब उछाल आता है जब वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अनिश्चितता या डर का माहौल होता है. ऐसे में, सोना निवेशकों के लिए एक सुरक्षित ठिकाने का काम करता है.

इसलिए, बुरे दौर में, जिसमें मौजूदा वक़्त में रूस-यूक्रेन और मिडिल-ईस्ट का संघर्ष शामिल है, सोना स्थिरता का सूचक बन जाता है. ऐसे समय में लोग सोना इसलिए ख़रीदना शुरू कर देते हैं, क्योंकि सदियों से इसका मूल्य क़ायम रहा है.

यहां तक कि कुछ बड़े उभरते हुए बाज़ारों के सेंट्रल बैंक भी हाल के वर्षों में ज़्यादा-से-ज़्यादा क़ीमती धातु को स्टोर कर रहे हैं.

2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले ने हमें दिखाया कि सोने का भंडारण कितना महत्वपूर्ण हो सकता है. जब अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधों के तहत अमेरिकी डॉलर में रखी रूस की कई संपत्तियों को ज़ब्त कर लिया, तब पता चला कि किसी देश का रिज़र्व कैसे कमज़ोर हो सकता है. हालांकि, गोल्ड रिज़र्व अछूता रहता है, जिससे राष्ट्रों को मुश्किल समय के दौरान भरोसेमंद फ़ाइनेंशियल सिक्योरिटी मिलती है.

इसलिए, अपने गोल्ड रिज़र्व को बढ़ाने वाले देश भी सोने के दाम को बढ़ा सकते हैं.

2. रुपये के अवमूल्यन का असर

वैश्विक स्तर पर सोने की ख़रीद-फ़रोख़्त अमेरिकी डॉलर में होती है. चूंकि हम सोने को रुपये में ख़रीदते हैं, और ऐतिहासिक रूप से, समय के साथ अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपये की क़ीमत में गिरावट आई है इसलिए सोना और भी महंगा हो गया है. इसका मतलब है कि अब उतनी ही मात्रा में सोना ख़रीदने के लिए हमें ज़्यादा रुपये ख़र्च करने होंगे.

उदाहरण के लिए, भले ही गोल्ड ने पिछले पांच साल में डॉलर के संदर्भ में लगभग 70 प्रतिशत का कुल मुनाफ़ा (absolute return) दिया हो, पर रुपये के संदर्भ में इसने लगभग 105 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. यानी, ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पिछले पांच साल में डॉलर के मुक़ाबले रुपया कमज़ोर हुआ है.

3. दरों में कटौती की उम्मीद

सोने की क़ीमतें आम तौर पर ब्याज दरों की विपरीत दिशा में चलती हैं. जब ब्याज दरें कम होती हैं तो ये धातु ज़्यादा आकर्षक हो जाती है क्योंकि इसकी ऑपर्च्युनिटी कॉस्ट या अवसर लागत कम होती है.

इसके विपरीत, जब ब्याज दरें ऊंची होती हैं तो सोना कम आकर्षक हो जाता है, क्योंकि फ़िक्स्ड इनकम या निश्चित आय वाले निवेश से सोने की तुलना में ज़्यादा पैसा कमाया जा सकता है.

चूंकि अमेरिकी फ़ेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकता है, इसलिए कई एक्सपर्ट मानते हैं कि निवेशकों ने पहले ही कटौती कर दी है और गोल्ड ख़रीदना शुरू कर दिया है.

क्या करना चाहिए

ऐसे निवेशों को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है जिन्होंने 20 प्रतिशत से ज़्यादा का रिटर्न दिया हो.

हालांकि, वैल्यू रिसर्च ने हमेशा ही सोने के एक अनुत्पादक या अनप्रोडक्टिव एसेट क्लास के रूप में देखा है, क्योंकि ये अपनी मूल्य में बढ़ोतरी के लिए बाज़ार की मांग पर निर्भर करता है.

हालांकि, छोटे अर्से में सोने के दाम का इस तरह से बढ़ना आकर्षक लग सकता है, पर ऐतिहासिक रूप से, इसमें सालाना केवल 7-8 प्रतिशत रिटर्न ही मिला है, जो इक्विटी की तुलना में काफ़ी कम है, और जिसने पिछले 10 साल में लगभग 14 प्रतिशत रिटर्न (S&P BSE 500) दिया है.

कुछ निवेशक चाहते हैं कि वो अपने पोर्टफ़ोलियो में सोने के शामिल करें. अगर आप भी इन लोगों में से हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर ही विचार करें. इसके लिए हम दो बड़े कारण आपको दे रहे हैं:

1 - हालांकि, SGB (Sovereign Gold Bond) और फ़िज़िकल गोल्ड (Physical Gold) का दाम एक जैसा ही बढ़ता है, पर SGB हरेक साल 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज देता है.

2 - इसके अलावा, अगर आप SGB को उसकी मैच्योरिटी तक रखते हैं, तो मुनाफ़ा टैक्स फ़्री होता है.

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