आप एक सामान्य स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के बारे में जानते हैं। यह पॉलिसी अस्पताल में भर्ती होने पर आपके इलाज का बिल चुकाती है। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा सेगमेंट में क्रिटिकल इलनेस बीमा प्लान भी बेहद लोकप्रिय हैं। क्रिटिकल इलनेस प्लान में आम तौर पर गंभीर बीमारियों को कवर किया जाता है। ऐसे में अगर आप सामान्य स्वास्थ्य बीमा कवर के साथ क्रिटिकल इलनेस प्लान खरीदें तो बेहतर होगा। गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर के इलाज का खर्च काफी अधिक होता है। सामान्य स्वास्थ्य बीमा कवर शायद गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पर्याप्त न हो। ऐसे में क्रिटिकल इलनेस प्लान बेहद अहम साबित हो सकता है। हालांकि आपको सामान्य स्वास्थ्य बीमा कवर के विकल्प के तौर पर क्रिटिकल इलनेस प्लान नहीं लेना चाहिए।
क्या है क्रिटिकल इलनेस प्लान
स्वास्थ्य बीमा दो तरह के होते हैं। इन्डेम्निटी प्लान और डिफाइंड बेनेफिट प्लान। एक सामान्य हेल्थ इन्श्योरेंस पॉलिसी हॉस्पिटलाइजेशन पर आने वाले खर्च, प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन खर्च और लिस्टेड डे केयर प्रोसीजर को कवर करती है। इसे इन्डेम्निटी प्लान कहते हैं। वहीं डिफाइंड बेनेफिट पॉलिसी एक तय राशि मुहैया कराती है। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी डिफाइंड बेनेफिट प्लान है। पॉलिसी होल्डर को अगर कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो बीमारी के डायग्नोसिस पर उसे तय राशि दी जाती है। भले ही हॉस्पिटल का बिल कुछ भी हो। ज्यादातर क्रिटिकल इलनेस प्लान ऐसे होते हैं जो एक बार क्लेम देने के बाद खत्म हो जाते हैं। कुछ प्लान होते हैं जिनमें आप एक से ज्यादा बार गंभीर बीमारी होने पर क्लेम ले सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
आपको क्रिटिकल इलनेस प्लान लेते समय कुछ जरूरी बातों का रखना होगा। इसमें सबसे अहम है वेटिंग पीरियड। ज्यादातर हेल्थ प्लान में वेटिंग पीरियड का क्लॉज होता है। क्रिटिकल इलनेस प्लान में सरवाइवल पीरियड का क्लॉज होता है। ज्यादातर इन्श्योरेंस कंपनियां अपने क्रिटिकल इलनेस प्लान में 30 दिन का सरवाइवल पीरियड रखती हैं। अगर किसी पॉलिसी होल्डर को पॉलिसी लेने के 30 दिन के अंदर गंभीर बीमारी का पता चलता है तो उसे क्लेम नहीं मिलेगा। पॉलिसी लेने के 30 दिन के बाद ही वह क्लेम कर सकता है। हालांकि कुछ क्रिटिकल प्लान में सरवाइवल पीरियड के क्लॉज को माफ किया जा सकता है।
कैसे खरीदें क्रिटिकल इलनेस प्लान
क्रिटिकल इलनेस प्लान खरीदने से पहले यह समझना बहुत जरूरी है कि इस प्लान के तहत क्या कवर किया जाता है। आपको यह गलती नहीं करनी चाहिए कि आप प्लान में यह देखें कि किस प्लान में कितनी ज्यादा गंभीर बीमारियां कवर हैं और आप वह प्लान खरीद लें। आपको प्लान के तहत बीमारी की परिभाषा को भी समझना होगा जिससे कि क्लेम के समय आपको कोई झटका न लगे। उदाहरण के लिए हो सकता है कि क्रिटिकल इलनेस प्लान में कैंसर को कवर किया गया हो लेकिन कैंसर की शुरुआती स्टेज को कवर न किया गया हो।
राइडर के तौर पर भी खरीद सकते हैं क्रिटिकल इलनेस प्लान
दूसरी अहम बात यह है कि क्रिटिकल इलनेस प्लान आप दो तरह से खरीद सकते हैं। एक तो अलग क्रिटिकल इलनेस प्लान खरीद सकते हैं। दूसरा तरीका है कि आप लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी के साथ इसे राइडर के तौर पर भी खरीद सकते हैं। अगर आप राइडर के तौर पर क्रिटिकल इलनेस प्लान लेते हैं तो यह पॉलिसी तभी तक प्रभावी रहेगी जब जब कि आपकी बेस पॉलिसी प्रभावी रहेगी। अगर आप बेस पॉलिसी को सरेंडर कर देते हैं आपको क्रिटिकज इलनेस पॉलिसी के बेनेफिट्स नहीं मिलेंगे। हेल्थ इन्श्योरेंस प्लान के विपरीत क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेने के लिए आपको बहुत कम पेपेरवर्क करना पड़ता है। इसका कारण यह है कि पॉलिसी होल्डर को कोई बीमारी डायग्नोस होने पर ही क्लेम होता है।
ये लेख पहली बार मई 25, 2018 को पब्लिश हुआ.