एक कांप्रीहेंसिव कार इन्श्योरेंस पॉलिसी में दो हिस्से होते हैं। थर्ड पार्टी कवर और ओन डैमेज कवर। नियमों के तहत कार खरीदने के साथ ही थर्ड पार्टी कवर लेना अनिवार्य है। लेकिन ओन डैमेज कवर खरीदना अनिवार्य नहीं है। ओन डैमेज कवर आपकी कार को चोरी या एक्सीडेंट में हुए नुकसान को कवर करता है। ऐसे में आपको ओन डैमेज कवर भी जरूर खरीदना चाहिए। हालांकि कार इन्श्योरेंस में कार की चोरी और कार को हुए नुकसान का क्लेम फाइल करने का प्रॉसेस थोड़ा अलग है। हम आपको बता रहे हैं कि दोनों तरह का क्लेम कैसे फाइल किया जा सकता है।
एक्सीडेंट क्लेम
अगर आपकी कार से एक्सीडेंट हो जाता है तो आपको तुरंत इन्श्योरेंस कंपनी को इसकी जानकारी देनी चाहिए। अगर इसमें देरी करते हैं तो आपको दिक्कत हो सकती है। जानकारी में देरी होने पर इन्श्योरेंस कंपनी देरी के कारणों को जानने के लिए अपने स्तर पर जांच करने लगती है। हालांकि आपको यह ध्यान रखना होगा कि अगर आपका क्लेम सही है तो इन्श्योरेंस कंपनी सिर्फ देरी से जानकारी देने के आधार पर क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती है।
जब आप इन्श्योरेंस कंपनी को एक्सीडेंट की जानकारी देते हैं तो आपकी इन्श्योरेंस कंपनी कार को रिपेयर के लिए गैरेज तक ले जाने में मदद करती है। इसके बाद आपको क्लेम फॉर्म भरना होता है। इस फॉर्म में दूसरी कई जानकारी के साथ आपसे पूछा जाता है कि एक्सीडेंट में कोई तीसरा व्यक्ति घायल तो नहीं हुआ है या प्रॉपर्टी को नुकसान तो नहीं हुआ है। अगर कोई घायल होता है या प्रॉपर्टी को ज्यादा नुकसान होता है तो इसके बारे में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट यानी एफआईआर की कॉपी देनी होती है। इसके बाद इन्श्योरेंस कंपनी सर्वेयर को भेजती है। सर्वेयर एक्सीडेंट में हुए नुकसान आंकलन करता है। इसके आधार पर इन्श्योरेंस कंपनी कार रिपेयर की अनुमानित लागत का भुगतान कर देती है।
अगर आपकी पॉलिसी कैशेलेस सुविधा देती है तो इन्श्योरेंस कंपनी सीधे गैरेज को भुगतान करेगी। आपको यह ध्यान रखना होगा कि इन्श्योरेंस कंपनी रिपेयर के पूरे बिल का भुगतान नहीं करेगी। आपको पूरे बिल का एक हिस्सा खुद अपनी जेब से देना होगा। इस हिस्से को डिडक्टिबल कहा जाता है। डिडक्टिबल क्लेम का वह हिस्सा होता है जो इन्श्योरेस कवर में शामिल नहीं होता है और पॉलिसी होल्डर को इसका भुगतान खुद करना होता है। इसके अलावा पॉलिसी डेप्रिशियसन भी काटती है। हालांकि आजकल कार इन्श्योरेंस प्लान के साथ एड ऑन कवर भी आ रहे हैं।
अगर आप एड ऑन कवर खरीदते हैं तो डिडक्टिबल या डेप्रिशियसन के लिए अपनी जेब से भुगतान नहीं करना होगा। कार को नुकसान के मामलों में इन्श्योरेंस कंपनी नुकसान के कारण का पता लगाती है। अगर कार को नुकसान अवैध गतिविधि जैसे शराब के नशे में कार ड्राइव करने की वजह से हुआ है तो इन्श्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है।
कार चोरी का क्लेम
कार चोरी का क्लेम फाइल करने का प्रॉसेस थोड़ा अलग है। इसमें आपको एक्सीडेंट की तुलना में ज्यादा जानकारी देनी होती है। सबसे पहले आपको अपने इलाके के पुलिस स्टेशन में कार चोरी की एफआईआर दर्ज करानी होती है। पुलिस आपकी कार को ट्रैक करने के लिए 90 दिन का समय ले सकती है। इस अवधि तक वह कार को ट्रैक नहीं कर पाती है तो उसे नॉन ट्रेसेबल रिपोर्ट जारी करनी पड़ती है। आपको इन्श्योरेंस कंपनी को कार चोरी की एफआईआर रिपोर्ट के साथ पॉलिसी नंबर व्हीकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देना होता है। आपको ध्यान रखना होगा कि निरीक्षण के समय इन्श्योरेंस कंपनी आपसे कार की चाबी मांगेगी। आपकी कार चोरी हो गई है यह साबित करने के लिए कार की चाबी आपके पास होना अहम है। इस रिपोर्ट को जमा कराने के बाद इन्श्योरेंस कंपनी अपने स्तर पर भी कुछ जांच कराती है। सभी प्रॉसेस पूरे होने के बाद इन्श्योरेंस कंपनी क्लेम का सेटलमेंट कर देती है।
ये लेख पहली बार दिसंबर 09, 2017 को पब्लिश हुआ.