आप जीवन बीमा यानी टर्म प्लान के लिए प्रीमियम कैसे देना चाहेंगे। एकमुश्त यानी एक बार में या हर साल। हो सकता है कि आपका बैंक आपको होम लोन को कवर करने के लिए सिंगल प्रीमियम टर्म प्लान लेने की सलाह दे। आपको भी सिंगल प्रीमियम प्लान खरीदना सुविधाजनक लग सकता है क्योंकि आप एक बार प्रीमियम का भुगतान करके निश्चिंत हो सकते हैं। लेकिन आपको टर्म प्लान लेने से पहले दूसरे तमाम फैक्टर्स पर भी गौर करना चाहिए। आज हम आपको बता रहे हैं कि रेग्युलर प्रीमियम प्लान आपके लिए क्यों बेहतर है।
क्या है अंतर
सिंगल प्रीमियम वाले ऑप्शन में आपको प्रीमियम का भुगतान एकमुश्त करना होता है। इसका मतलब है कि आपको एक बार में ज्यादा रकम प्रीमियम के तौर पर चुकानी होती है। वहीं रेग्युलर प्रीमियम प्लान में आप प्रीमियम का भुगतान हर साल या कुछ साल में करते हैं। रेग्युलर प्रीमियम प्लान में आप प्रीमियम कई सालों में चुकाते हैं। ऐसे में आपके लिए प्रीमियम की रकम सस्ती पड़ती है।
कवर और टैक्स बेनेफिट
मौजूदा नियम के मुताबिक सिंगल प्रीमियम प्लान में मिनिमम सम अश्योर्ड प्रीमियम का 125 फीसदी होना ही चाहिए। तभी इसे जीवन बीमा प्लान माना जाएगा। लेकिन इस तरह के प्लान में टैक्स बेनेफिट नहीं मिलता है क्योंकि टैक्स बेनेफिट के लिए जरूरी है कि इन्श्योरेंस कवर सालाना प्रीमियम का कम से कम 10 गुना होना चाहिए। ऐसे में रेग्युलर प्रीमियम प्लान पर टैक्स बेनेफिट मिलता है क्योंकि अगर अगर कोई 45 साल से कम उम्र का व्यक्ति 10 साल का प्लान लेता है तो मिनिमम सम अश्योर्ड सालाना प्रीमियम का 10 गुना होता है।
कमीशन
सिंगल प्रीमियम प्लान में एजेंट को एक ही बार कमीशन मिलता है। और यह कमीशन प्रीमियम का 2 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है। वहीं रेग्युलर प्लान में कमीशन प्रीमियम चुकाने की अवधि से जुड़ा होता है। 10 साल पुरानी बीमा कंपनी के लिए पहले साल कमीशन 35 फीसदी तक हो सकता है। इसके बाद यह 7.5 फीसदी हो जाता है और चौथे साल से कमीशन प्रीमियम का 5 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है।
लंबी अवधि में फायदा
सिंगल प्रीमियम प्लान में प्रीमियम एकमुश्त चुकाया जाता है। जैसे अगर 20 साल का प्लान है तो आपको सारा प्रीमियम एक बार में ही देना होगा। अगर किसी पॉलिसी होल्डर की मौत 5 वें साल हो जाती है तो फिर बचे टर्म का प्रीमियम एक तरह से बेकार हो जाता है। अब रेग्युलर प्लान में सिंगल प्लान की तुलना में प्रीमियम की राशि ज्यादा चुकानी पड़ती है लेकिन आपको याद रखना होगा कि समय के साथ पैसे की कीमत कम होती जाती है। अगर आप महंगाई को ध्यान में रखें तो समय के साथ सालाना प्रीमियम सस्ता होता जाता है।
ये लेख पहली बार अक्तूबर 28, 2020 को पब्लिश हुआ.